(गुंजन शर्मा)
नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी (जीईएम) टीम के अनुसार, दुनियाभर में केवल 35 प्रतिशत महिलाएं ही विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में स्नातक स्तर तक की पढ़ाई कर पाई हैं और पिछले दशक में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है।
वैश्विक शिक्षा निगरानी के अनुसार, इसकी एक वजह गणित में कम आत्मविश्वास और लैंगिक रूढ़िवाद है।
दुनिया भर में शिक्षा क्षेत्र में हो रहे घटनाक्रमों और रुझानों का विश्लेषण करने वाली टीम ने बताया कि डिजिटल परिवर्तन का नेतृत्व पुरुष कर रहे हैं और डेटा व कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) में महिलाओं की संख्या केवल 26 प्रतिशत है।
वैश्विक शिक्षा निगरानी टीम के एक सदस्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “2018 से 2023 तक के महत्वपूर्ण आंकड़ों से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर, एसटीईएम में स्नातक स्तर की पढ़ाई करने वालों में केवल 35 प्रतिशत महिलाएं हैं और पिछले 10 वर्षों में कोई प्रगति नहीं हुई है। इसकी एक वजह यह है कि लड़कियों का गणित में आत्मविश्वास जल्द ही खत्म हो जाता है, भले ही वे अच्छा प्रदर्शन कर सकती हों। इसका एक कारण लैंगिक रूढ़िवादिता को समझा जा सकता है जिसकी वजह से महिलाएं एसटीईएम में करियर नहीं बना पातीं।”
अधिकारी ने कहा, ‘‘यूरोपीय संघ में, सूचना प्रौद्योगिकी की डिग्री प्राप्त करने वाली चार में से केवल एक महिला ने डिजिटल व्यवसायों को अपनाया है, जबकि दो में से एक पुरुष ने ऐसा किया है। डिजिटल परिवर्तन का नेतृत्व पुरुष कर रहे हैं। दुनिया के अग्रणी अर्थव्यवस्था वाले देशों में डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 26 प्रतिशत, इंजीनियरिंग में 15 प्रतिशत और क्लाउड कंप्यूटिंग में 12 प्रतिशत है। यह समाज के लिए नुकसानदेह है।’’
टीम ने पाया कि दुनियाभर में 68 प्रतिशत देशों में एसटीईएम शिक्षा को समर्थन देने की नीतियां हैं, लेकिन इनमें से केवल आधी नीतियां ही विशेष रूप से लड़कियों और महिलाओं पर केन्द्रित हैं।
संक्षिप्त विवरण में कहा गया है, ‘देशों को एसटीईएम और तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण (टीवीईटी) में लड़कियों की प्रतिभा और रुचि को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।”
भाषा जोहेब सुभाष
सुभाष
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