पटना: भागलपुर जिले में गंगा नदी पर निर्माणाधीन अगुवानी-सुल्तानगंज पुल का एक हिस्सा रविवार शाम ढह गया. अधिकारियों ने कहा कि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. संयोग से, यह दूसरी बार है जब पुल का एक हिस्सा ढह गया है, इससे पहले अप्रैल 2022 में पुल भरभरा कर गिर गया था.
उस समय, राज्य सड़क निर्माण विभाग ने कहा था कि तूफान के कारण पुल गिर गया, इस बहाने पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मजाक उड़ाया था.
इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने एक बयान में कहा, “दोषी पाए जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.”
भागलपुर के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) कुमार अनुराग ने दिप्रिंट को बताया, “भागलपुर को खगड़िया जिले से जोड़ने के लिए बनाए जा रहे गंगा पर पुल के पिलर 9 और 13 के बीच का खंभा शाम को ढह गया. जो ढांचा गिरा उसकी लंबाई करीब 250-300 मीटर थी. कोई हताहत नहीं हुआ क्योंकि पुल जनता के लिए खुला नहीं था.”
भागलपुर के जिला मजिस्ट्रेट का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे अनुराग ने कहा कि घटना के वक्त घटनास्थल के आसपास कोई श्रमिक बल नहीं था.
3.6 किमी लंबा पुल जिसकी लागत 1,711 करोड़ रुपये है इसे नीतीश के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में जाना जाता है. फरवरी 2014 में बड़ी धूमधाम से आधारशिला रखी गई थी और यह परियोजना पूरी होने वाली थी. इस साल के अंत में इसका उद्घाटन होने की उम्मीद थी.
सड़क निर्माण विभाग के इंजीनियरों के अनुसार, पुल के पूरा हो जाने पर, यह राष्ट्रीय राजमार्ग 31 को 107 से जोड़ेगा, जिससे यात्रा के समय में कटौती होगी और कई जिलों को लाभ होगा.
इस बीच, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, जिनके पास सड़क निर्माण विभाग का प्रभार भी है, ने रविवार शाम मीडिया से बात करते हुए कहा कि आईआईटी रुड़की ने पुल में गंभीर डिजाइन खामियों का संकेत दिया था. उन्होंने बिहार के प्रधान सचिव (सड़क निर्माण) प्रत्यय अमृत से मामले की गहन जांच करने को भी कहा.
यादव ने कहा, “पिछले साल अप्रैल में, जब मैं विधानसभा में विपक्ष का नेता था, मैंने पुल के बारे में गंभीर संदेह व्यक्त किया था. जब मैं सत्ता में आया तो मैंने आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों से पुल की जांच कराई थी. रिपोर्ट अभी आनी बाकी है, लेकिन यह एक दोषपूर्ण डिजाइन की ओर इशारा करता है. ”
पुल का निर्माण निजी फर्म एस.पी. सिंगला कंस्ट्रक्शन कर रही है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, कंपनी पहले ही कई डेडलाइन मिस कर चुकी है और इसके गिरने से काम पूरा होने में और देरी होगी.
समाचार रिपोर्टों के अनुसार, परियोजना पर काम मार्च 2019 तक पूरा किया जाना था, लेकिन तब तक 25 प्रतिशत काम भी नहीं किया गया था. बाद में, राज्य सरकार ने कथित तौर पर समय सीमा को मार्च 2020 तक बढ़ा दिया, जिसे आगे बढ़ाकर 2022 कर दिया गया.
डीडीसी अनुराग ने कहा, हमने जांच के लिए अधिकारियों और इंजीनियरों की एक टीम बनाई है,“पुल बिहार सरकार के उपक्रम बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के अंतर्गत आता है. ”
दिप्रिंट कॉल के जरिए एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन्स के पटना कार्यालय और ईमेल के जरिए कंपनी पहुंचा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
विपक्ष भ्रष्टाचार का लगा रहा है आरोप
परबत्ता (खगड़िया) से जनता दल (यूनाइटेड) के विधायक संजीव कुमार ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि उन्होंने पिछले साल विधानसभा में पुल पर किए जा रहे काम की गुणवत्ता पर सवाल उठाया था.
उन्होंने कहा, “निर्माण कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए.”
कुमार काम की गुणवत्ता पर सवाल उठाने वाले जद (यू) के एकमात्र विधायक नहीं थे. मीडिया रिपोर्टों अनुसार, सुल्तानगंज (भागलपुर) से पार्टी के एक अन्य विधायक ललित नारायण मंडल ने पिछले साल इसके निर्माण में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का आरोप लगाया था, .
नाम न छापने की शर्त पर सड़क निर्माण विभाग के इंजीनियरों ने भी पुल की डिजाइन को लेकर संदेह जताया.
इस बीच, विपक्ष ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए नीतीश कुमार पर हमला शुरू कर दिया है.
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने दिप्रिंट को बताया, “जब पहली बार निर्माणाधीन पुल गिरा, तो बिहार का इस बहाने मज़ाक उड़ाया गया कि आंधी के कारण पुल गिर गया. आज तक, सरकार पहले पतन पर एक रिपोर्ट के साथ सामने नहीं आई है. अब ऐसा दूसरी बार हुआ है. यह बिहार में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार को दिखाता है.’
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