scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशकेरल, पंजाब की तरह सीएए के खिलाफ बंगाल विधानसभा में टीएमसी भी लाएगी प्रस्ताव

केरल, पंजाब की तरह सीएए के खिलाफ बंगाल विधानसभा में टीएमसी भी लाएगी प्रस्ताव

मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि हमने 20 जनवरी को विधानसभा अध्यक्ष को प्रस्ताव सौंप दिया. यह 27 जनवरी को विधानसभा के समक्ष रखा जाएगा.

Text Size:

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के संसदीय मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने मंगलवार को बताया कि टीएमसी संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ 27 जनवरी को विधानसभा में प्रस्ताव पेश करेगी.

चटर्जी ने कहा, ‘हमने 20 जनवरी को विधानसभा अध्यक्ष को प्रस्ताव सौंप दिया. इसे 27 जनवरी को विधानसभा के समक्ष रखा जाएगा.’

विधानसभा ने पिछले वर्ष सितम्बर में एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था.

पंजाब और केरल ने भी सीएए के खिलाफ पारित किया है प्रस्ताव

इससे पहले पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पास किया है और संशोधित नागरिकता कानून को रद्द करने की मांग की है. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाने की संभावना से बृहस्पतिवार को इनकार नहीं किया था.

उनसे पूछा गया था कि क्या राज्य सरकार केरल की तर्ज पर सीएए के खिलाफ कोई प्रस्ताव लाने वाली है. इस पर सिंह ने कहा, ‘कल तक इंतजार कीजिए.’

राज्य की कांग्रेस सरकार ने मंगलवार को कहा था कि वह सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर सदन की भावना के अनुसार आगे बढ़ेगी.

मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार विभाजनकारी सीएए को लागू नहीं करने देगी.

सिंह ने कहा कि वह और कांग्रेस धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन उनका विरोध सीएए में मुस्लिमों समेत कुछ अन्य धार्मिक समुदायों के प्रति किए गए भेदभाव को लेकर है.

केरल विधानसभा ने इस विवादित कानून को खत्म करने के लिए प्रस्ताव पारित किया है. ऐसा करने वाला केरल पहला राज्य है.

केरल के बाद पंजाब ने भी विधानसभा में सीएए के खिलाफ पास किया है प्रस्ताव

पंजाब विधानसभा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को ‘स्पष्ट रूप से भेदभावकारी’ बताते हुए इसे तत्काल निरस्त करने की मांग के प्रस्ताव पारित किया है और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने घोषणा की है कि उनकी सरकार इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी.

केरल के बाद पंजाब दूसरा राज्य है जहां सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है.

भाजपा की सहयोगी, विपक्षी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने कानून के मौजूदा रूप में प्रस्ताव का विरोध किया और इस बात पर जोर दिया कि वह राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का समर्थन नहीं करेगा.

सत्तारूढ़ कांग्रेस, मुख्य विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी और लोक इंसाफ पार्टी ने प्रस्ताव का यह कहते हुए समर्थन किया कि कानून ‘देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बर्बाद कर देगा.’ भाजपा ने इसका विरोध किया.

संसदीय कार्य मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को तीन घंटे की चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित किया गया. इसमें तर्क दिया कि यह ‘संविधान के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नकारता है.’

संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ सबसे पहले केरल विधानसभा ने प्रस्ताव पारित किया था. केरल कानून के खिलाफ उच्चतम न्यायालय भी गया है.

सीएए 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता देने का प्रावधान करता है जबकि मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को इससे बाहर रखा गया है.

सिंह ने बाद में विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘केरल की तरह पंजाब भी इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का रुख करेगा.’

share & View comments