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Thursday, 19 December, 2024
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लॉकडाउन के बाद चंदा मिलना बंद, बुजुर्गों के लिए आखिरी सहारा बने वृद्धाश्रम भी छिन जाने का खतरा

हेल्पएज इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैथ्यू चेरियन ने कहा कि लॉकडाउन और आर्थिक मंदी के चलते वृद्धाश्रमों को चंदा पूरी तरह मिलना बंद हो गया है.

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नई दिल्ली: जिंदगी के अपने अंतिम वर्ष वृद्धाश्रमों में गुजार रहे हजारों वृद्धों के सामने दान आधारित इन आश्रयस्थलों को पिछले कुछ महीनों से चंदा नहीं मिलने के कारण अपने सिर से छत का साया छिन जाने का खतरा पैदा हो गया है.

लॉकडाउन और उसके बाद के काल में कारोबार ठप्प हो जाने और आय सिमट जाने के बाद कई वृद्धाश्रम राशन और दवाइंया जैसी अपनी जरूरी चीजों के लिए अपना बजट कांटने-छांटने के बाद बाध्य हो गये हैं. कुछ वृद्धाश्रमों को डर सता रहा है कि यदि वित्तीय संकट बना रहा तो कहीं उन्हें अपनी यह सुविधा बंद भी करनी पड़ सकती है.

हेल्पएज इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैथ्यू चेरियन ने कहा, ‘वृद्धाश्रम, खासकर छोटे और मझोले वृद्धाश्रम स्थानीय लोकोपकारी नागरिकों एंव कारोबारी समुदायों से मिलने वाले चंदे पर निर्भर रहते हैं. लॉकडाउन और आर्थिक मंदी के चलते यह चंदा पूरी तरह मिलना बंद हो गया है.’

उन्होंने कहा कि शायद कई संस्थानों को ‘अपनी संपूर्ण आय में भारी गिरावट’ के चलते बंद करना पड़ सकता है.

असहाय बुजुर्गों के लिए काम कर रहे गैर लाभकारी संगठन हेल्पएज इंडिया के अनुसार देश में करीब 1500 वृद्धाश्रम हैं जिनमें करीब 70000 वृद्ध रहते हैं.

धनवानों के कुछ ऐसे आश्रमों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर वृद्धाश्रम अपने कामकाज के लिए अलग-अलग सीमा तक चंदों पर निर्भर करते हैं. इन आश्रमों में रहने वालों के लिए बहुत कुछ दांव पर लग गया है. कुछ को साफ-सफाई, धोने, खाना पकाना जेसे कई काम खुद करने पड़ रहे हैं.

परिस्थिति से बाध्य होकर ये बुजुर्ग यहां आये. परिवार में चीजें ठीक-ठाक नहीं रहने, वित्तीय दबाव, जीवन के आखिरी सालों में साथी की जरूरत जैसे कारणों से वे यहां आये.

शशि मल्होत्रा (73) एक ऐसे ही बुजुर्ग हैं जिन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि यदि यह आश्रम बंद हो गया तो वह कहां जाएंगे.

आयकर विभाग के पूर्व निरीक्षक मल्होत्रा की पत्नी 2008 में चल बसीं और उन्होंने 12 साल से अपने बेटों को नहीं देखा. वह गोविंदपुरी में दिल्ली मेट्रो रेल निगम द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में रहते हैं.

इस आश्रम में मल्होत्रा और 55 साल से अधिक उम्र के 20 अन्य बुजुर्ग मुफ्त रहते हैं. वृद्धाश्रम के बजट में 30 फीसद की कटौती की गयी है.

दक्षिण दिल्ली के छत्तरपुर में वृद्धाश्रम ‘शांतिनिकेतन’ में 60 साल से अधिक उम्र के 38 बेघर और गरीब रहते हैं. चंदे में 50 फीसद गिरावट आने के बाद इस वृद्धाश्रम ने अपने सभी चार कर्मियों को हटा दिया है.

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