कटक/भुवनेश्वर: ‘आजाद वाणी’ के प्रसारण के साथ ही रेडियो स्टेशन का वो रूम बस गुंजायमान हो गया. ओडिशा की भुवनेश्वर स्पेशल जेल के 20 कैदियों के लिए एक नया दिन, एक नया शो था जिसका वो लंबे समय से इंतजार कर रहे थे क्योंकि अब ये कैदी रैडियो जॉकी की ट्रेनिंग पूरी कर रेडियो स्टेशन के पैनल पर अपनी जादूई आवाज बिखेरने को तैयार थे.
राज्य की राजधानी के झारपाड़ा इलाके में स्थित जेल और कटक में चौद्वार सर्कल जेल कैदियों को नए जमाने का कौशल विकास प्रशिक्षण दे रही है ताकि जेल से बाहर निकलने के बाद वे आजीविका कमा सकें. यह पहल पिछले नवंबर में शुरू हुई थी.
ओडिशा के महानिदेशक (जेल) और सुधारात्मक सेवाओं के निदेशक, मनोज छाबड़ा ने दिप्रिंट को बताया, “बढ़ईगीरी, वेल्डिंग, हथकरघा जैसे पारंपरिक कौशल विकास कार्यक्रम पहले से ही मौजूद हैं, लेकिन हम इसे राज्य की जेलों में अपग्रेड करना चाहते थे. राज्य सरकार की सहायता से, हमने आरजे कोर्स, सैलून कोर्स, पैरामेडिक्स कोर्स शुरू किया है, और हम कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए हर दिन उनकी काउंसलिंग भी कर रहे हैं.
छाबड़ा ने कहा कि आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार होने के बाद इस पहल को राज्य की अन्य जेलों में भी बढ़ाया जाएगा.
जेल अधिकारियों के अनुसार, भुवनेश्वर जेल में 1,176 पुरुष, 58 महिलाएं और दो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों सहित 1,236 कैदी हैं, जबकि कटक जेल में 1,119 पुरुष और 39 महिलाएं हैं.
ओडिशा में एक निजी रेडियो स्टेशन है, रेडियो चॉकलेट – जहां जेल और सुधार सेवा विभाग के सहयोग से भुवनेश्वर जेल में कैदियों को छह महीने का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम प्रदान कर रहा है. कटक स्थित नॉन प्रॉफिट संस्था अमूल्य जीवन फाउंडेशन भी दोनों जेलों में कैदियों के पुनर्वास में रचनात्मक भूमिका निभाती है.
कैदियों के पास न केवल खुद को व्यस्त रखने के लिए बल्कि रिहा होने के बाद हासिल किए गए कौशल का उपयोग करने और मनपसंद कोर्स चुनने के कई प्रकार के कार्यक्रम हैं.
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‘बाहर निकलने के बाद हमें कमाने में मदद मिलेगी’
भुवनेश्वर की स्पेशल जेल में बंद एक विचाराधीन कैदी, जो जयपुर का रहने वाला है, ने दिप्रिंट को बताया: “हम अपने स्वयं के शो बनाते हैं जो पूरे दिन जेल की सेल में चलाए जाते हैं. हम समाचार प्रसारित करते हैं, जिंगल बनाते हैं, संगीत बजाते हैं और इंटरव्यू भी करते हैं…यह एक क्रिएटिव फील्ड है और रिहा होने के बाद हमें जीविकोपार्जन में मदद मिलेगी. हम शो की कंपेयरिंग कर सकते हैं, पॉडकास्ट शुरू कर सकते हैं या रेडियो स्टेशन से जुड़ सकते हैं.
भुवनेश्वर जेल में कैदियों का मार्गदर्शन करने वाली रेडियो चॉकलेट की आरजे कोमल ने कहा कि अब तक रेस्पांस बहुत अच्छा मिल रहा है. “हम न केवल जॉकी बनने के तकनीकी पहलुओं को सिखाते हैं, बल्कि यहां लगे उपकरण को कैसे संचालित करना है और ऑन एयर शो की मेजबानी कैसे करनी है का तरीका भी सिखाते हैं. यह एक उत्साही बैच है, वे अपने शो की योजना पहले से बनाते हैं और उनके पास बेहतरीन आइडियाज भी होते हैं.”
जब अमूल्य जीवन फाउंडेशन की प्रमुख (कार्यक्रम) श्वेता कानूनगो ने भुवनेश्वर जेल का दौरा किया, तो उत्साही कैदियों ने उन्हें अपनी क्लासेज और उनके द्वारा सीखे गए नए कौशल के बारे में विस्तृत जानकारी दी.
उन्होंने कहा, “मैं यहां जेलों में बहुत संतुष्टिदायक समय बिताती हूं. कैदी अद्भुत हैं और उनमें सीखने की उत्सुकता है. कुछ सुंदर कविताएं लिखते हैं, कुछ के पास उत्कृष्ट हस्तकला कौशल है और उनके साथ बातचीत करने का मौका मिलना बहुत अच्छा लगता है, मैं भी नई चीजें सीखती हूं. ”
कटक में, कैदियों के दो बैचों को ब्यूटीशियन के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है. यह कार्यक्रम पुरुषों और महिलाओं दोनों के बीच हिट है.
सुष्मिता जो एक ट्रेनर हैं, ने दिप्रिंट को बताया, “हम महिलाओं को थ्रेडिंग, वैक्सिंग, फेशियल और बुनियादी मेकअप सिखा रहे हैं. रिस्पांस अद्भुत मिल रहा है. हमारे यहां 39 महिलाएं और 30 पुरुष हैं जो यह प्रशिक्षण ले रहे हैं. पुरुषों को हेयरकट, शेविंग, फेशियल, पेडीक्योर सिखाया जा रहा है.”
चौद्वार जेल में बंद कटक के एक निवासी ने कहा कि वह रिहा होने के बाद अपना खुद का एक सैलून खोलना चाहते हैं. “हम प्रतिदिन चार घंटे ट्रेनिंग लेते हैं और हम इस कक्षा का इंतजार करते हैं. हमें हर हफ्ते नई चीजें सीखने में बहुत मजा आता है.
चौद्वार मंडल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक प्रदीप्त कुमार बेहरा ने इस प्रशिक्षण के महत्व के बारे में बताया.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “जेल आने के बाद कैदी आमतौर पर अवसाद में आ जाते हैं. वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं कि आगे क्या होगा. आज के व्यवसायों को ध्यान में रखते हुए इस तरह के उन्नत कौशल विकास प्रशिक्षण से उन्हें न केवल बाद में अपना भविष्य सुरक्षित करने में मदद मिलती है, बल्कि जेल में रहने के दौरान भी उनका दिमाग व्यस्त रहता है.”
अनुरोध पर कैदियों के नाम गुप्त रखे गए हैं.
(अनुवाद/ संपादन- पूजा मेहरोत्रा)
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