चंडीगढ़, पांच अप्रैल (भाषा) पंजाब और हरियाणा में भले ही चंडीगढ़ के दावे को लेकर मतभेद रहे हों, लेकिन भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के शीर्ष अधिकारियों के चयन मानदंड के नियमों में बदलाव के मुद्दे पर वे एक ही राय रखते हुए नजर आते हैं।
हरियाणा विधानसभा ने मंगलवार को एक प्रस्ताव किया जिसमें कहा गया है कि पूर्णकालिक सदस्यों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार द्वारा बीबीएमबी के नियमों में हालिया संशोधन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की भावना के खिलाफ है, जो नदी परियोजनाओं को पंजाब और हरियाणा की साझा संपत्ति मानता है।
पंजाब विधानसभा द्वारा चंडीगढ़ को तत्काल राज्य को स्थानांतरित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने के कुछ दिनों बाद हरियाणा विधानसभा का एक दिवसीय सत्र बुलाया गया।
हरियाणा विधानसभा ने सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के निर्माण को पूरा करने और पंजाब से हिंदी भाषी क्षेत्रों को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने यह प्रस्ताव पेश किया था।
खट्टर ने मंगलवार को सदन को बताया कि उन्होंने नियमों में बदलाव के बाद केंद्र को पत्र लिखकर राज्य की आपत्ति दर्ज करते हुए पिछली व्यवस्था बहाल करने की मांग की थी।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी सदन में बीबीएमबी का मुद्दा उठाया और कहा, ‘‘नए नियमों से हरियाणा के हित सुरक्षित नहीं रहेंगे और हरियाणा सरकार को भी इसका विरोध करना चाहिए।’’
केंद्र ने पहले बीबीएमबी सदस्यों के चयन मानदंड के नियमों में बदलाव किया था।
बीबीएमबी, जो पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत एक वैधानिक निकाय है और सतलुज और ब्यास के जल संसाधनों का प्रबंधन करता है, में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष और दो सदस्य-सदस्य (सिंचाई) और सदस्य (ऊर्जा) होते हैं।
चंडीगढ़ में कर्मचारियों की तैनाती में पंजाब और हरियाणा का 60:40 का अनुपात है।
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश
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