नई दिल्ली: बांबे डाइंग के चेयरमैन नुसली वाडिया ने टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा और अन्य के खिलाफ दायर 3000 करोड़ रूपए के हर्जाने सहित मानहानि के सारे मामले सोमवार को वापस ले लिये.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने वाडिया को शीर्ष अदालत में अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी. इससे पहले, पीठ ने इस कथन को दर्ज किया कि टाटा और अन्य की मंशा वाडिया को बदनाम करने की नहीं थी.
पीठ ने कहा, ‘टाटा के इस बयान के मद्देनजर कि वाडिया को बदनाम करने की कोई मंशा नहीं थी, जो उच्च न्यायालय के नतीजे के अनुरूप है, याचिकाकर्ता को मौजूदा याचिका और हर्जाने के लिये लंबित वाद वापस लेने की अनुमति दी जाती है.’
पीठ ने वाडिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी ए सुन्दरम से कहा कि न्यायालय उनके मुवक्किल के दृष्टिकोण की सराहना करता है.
शीर्ष अदालत ने छह जनवरी को वाडिया और टाटा से कहा था कि वे एकसाथ बैठक पर मानहानि के मामले में अपने मतभेद दूर करें.
वाडिया ने 2016 में रतन टाटा और अन्य के खिलाफ उस समय मानहानि का मामला दायर किया था जब उन्हें टाटा समूह की कुछ कंपनियों के बोर्ड से हटा दिया गया था.
(बता दें कि टाटा समूह के चेयरमैन अवकाश प्राप्त रतन टाटा, दिप्रिंट के प्रतिष्ठित संस्थापक-निवेशकों में से एक हैं. निवेशकों के विवरण के लिए कृपया यहां क्लिक करें.)