नयी दिल्ली, 12 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि देश में नर्सरी और प्राथमिक विद्यालय उन इमारतों में संचालित किए जाने चाहिए, जिनका निर्माण स्थानीय भवन उपनियमों के अनुरूप किया गया हो।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की उस याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें शीर्ष अदालत के 13 अप्रैल 2009 के फैसले में जारी कुछ दिशा-निर्देशों पर स्थिति साफ करने का अनुरोध किया गया था।
पीठ ने कहा, “नर्सरी और प्राथमिक विद्यालयों का संचालन उन इमारतों में किया जाना चाहिए, जिनका निर्माण संबंधित क्षेत्र में लागू स्थानीय भवन उपनियमों के अनुसार किया गया हो।”
सीबीएसई ने जिन दिशा-निर्देशों को स्पष्ट करने का अनुरोध किया था, उनमें से एक में कहा गया है, “नर्सरी और प्राथमिक विद्यालयों का संचालन एक मंजिला इमारत में किया जाना चाहिए और स्कूल भवन में मंजिलों की अधिकतम संख्या भूतल सहित तीन होगी।”
बोर्ड ने एक अन्य दिशा-निर्देश पर भी स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया था, जिसमें कहा गया है कि सीढ़ियां, जो निकास या बचाव के मार्ग के रूप में कार्य करती हैं, उनके निर्माण में भारत की राष्ट्रीय भवन संहिता, 2005 में निर्दिष्ट प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए, ताकि बच्चों की त्वरित निकासी सुनिश्चित हो सके।
सीबीएसई की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने 2009 में आग के खतरों को ध्यान में रखते हुए ये दिशा-निर्देश जारी किए थे।
उन्होंने कहा, “ऐसे कई राज्य हैं, जिनके भवन उपनियम अग्नि सुरक्षा तंत्र के साथ चार मंजिला, पांच मंजिला इमारतों में संचालन की अनुमति देते हैं।”
भाषा पारुल पवनेश
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