नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) 2025 से कोई भी भर्ती परीक्षा आयोजित नहीं करेगी और केवल उच्च शिक्षा प्रवेश परीक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करेगी।
उन्होंने कहा कि अगले वर्ष एजेंसी का पुनर्गठन किया जाएगा और नए पद सृजित किए जाएंगे।
चिकित्सा पाठ्यक्रम में दाखिल के लिए आयोजित होने वाली राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) के प्रश्नपत्र कथित तौर पर लीक होने और अन्य अनियमितताओं के कारण कई परीक्षाओं को रद्द किए जाने के बाद इस साल की शुरुआत में गठित एक उच्च-स्तरीय समिति ने परीक्षा सुधारों के लिए सुझाव दिए थे, जिसके आधार पर यह कदम उठाया गया है।
शिक्षा मंत्रालय इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ बातचीत भी कर रहा है कि क्या परीक्षा पेन और पेपर आधारित पारंपरिक तरीके से आयोजित की जानी चाहिए या कंप्यूटर आधारित टेस्ट (सीबीटी) में बदल दी जानी चाहिए।
प्रधान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘एनटीए केवल उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने तक सीमित रहेगी और अगले साल से कोई भर्ती परीक्षा आयोजित नहीं करेगी।’’
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालयीन सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी)-यूजी का आयोजन साल में एक बार ही किया जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख आर. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली उच्च-स्तरीय समिति ने पाया कि एनटीए ने कई परीक्षण एजेंसियों के विविध अनुरोधों को पूरा करने के लिए स्वयं को समायोजित किया है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘एनटीए को मुख्य रूप से प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करनी चाहिए। एनटीए की क्षमता बढ़ने के बाद अन्य परीक्षाओं के लिए इसका दायरा बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।’’
समिति ने एनटीए के पुनर्गठन का सुझाव देते हुए निदेशक स्तर पर 10 विशिष्ट कार्यक्षेत्रों की सिफारिश की। ये कार्यक्षेत्र प्रौद्योगिकी, उत्पाद और संचालन, परीक्षण सुरक्षा और निगरानी से संबंधित होंगे।
इसमें कहा गया है, ‘‘एनटीए को आंतरिक स्तर पर विशिष्ट मानव संसाधनों और विशेषज्ञता, अनुभव और कौशल-युक्त एक नेतृत्व टीम से लैस करने की आवश्यकता है, जो भविष्य में परीक्षण प्रक्रिया का प्रभार संभाल सके।’’
समिति ने यह भी कहा कि एनटीए के पास एक ‘सशक्त और जवाबदेह’ शासी निकाय होना चाहिए, जिसमें परीक्षण का ऑडिट, नैतिकता और पारदर्शिता; नामांकन और कर्मचारियों की स्थिति; तथा हितधारक संबंधों की देखरेख के लिए तीन नामित उप-समितियां हों।
भाषा धीरज सुरेश
सुरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.