कोहिमा, 10 अप्रैल (भाषा) नगा छात्र संघ (एनएसएफ) ने बृहस्पतिवार को स्थानीय नगा आबादी के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक ताने-बाने के लिए बढ़ते खतरों का दावा करते हुए ‘इनर लाइन परमिट’ (आईएलपी) के सख्त क्रियान्वयन की मांग की।
एनएसएफ के अध्यक्ष मेदोवी री और ‘इनर लाइन रेगुलेशन कमीशन’ (आईएलआरसी) के अध्यक्ष और वरिष्ठ छात्र नेता एन एस एन लोथा ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव जे. आलम को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें 1873 के ‘बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन’ (बीईएफआर) के ऐतिहासिक महत्व और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला गया है।
बीईएफआर का उद्देश्य नगालैंड के मूल निवासी लोगों की पहचान और अस्तित्व की रक्षा करना है। यह विनियमन किसी भी भारतीय नागरिक और विदेशी दोनों के लिए, जो नगालैंड का मूल निवासी नहीं है, नगालैंड सरकार द्वारा निर्धारित इनर लाइन परमिट (आईएलपी) प्राप्त करना अनिवार्य बनाता है, ताकि सीमित अवधि के लिए नगालैंड राज्य में प्रवेश किया जा सके।
एनएसएफ ने गैर-नगा व्यक्तियों द्वारा ‘‘अनियंत्रित आर्थिक अतिक्रमण’’ के कारण आसन्न संकट की चेतावनी देते हुए कहा कि नगाओं की अर्थव्यवस्था पर आधिपत्य इतना बढ़ गया है कि आम चुनावों के दौरान राजनेताओं को भी धन मुहैया कराया जाता है।
इसने इस बात पर जोर दिया कि नगालैंड सभी लोगों का स्वागत करता है, लेकिन मेहमानों को राज्य के कानूनों का पालन करना चाहिए और क्षेत्र की स्वदेशी अखंडता को कमजोर नहीं करना चाहिए।
भाषा शफीक माधव
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