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Monday, 11 August, 2025
होमदेशएनएससीएन-आईएम ने प्रारूप समझौते की 10वीं वर्षगांठ पर नगा संप्रभुता को लेकर प्रतिबद्धता दोहराई

एनएससीएन-आईएम ने प्रारूप समझौते की 10वीं वर्षगांठ पर नगा संप्रभुता को लेकर प्रतिबद्धता दोहराई

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दीमापुर (नगालैंड), तीन अगस्त (भाषा) केंद्र सरकार और एनएससीएन-आईएम के बीच प्रारूप समझौते पर हस्ताक्षर के एक दशक पूरे होने पर संगठन के अध्यक्ष क्यू टुक्कू ने रविवार को समूह की ‘नगा संप्रभुता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता’ की पुष्टि की।

तीन अगस्त 2015 को, जिस दिन समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, नगा लोगों के लिए ‘रेड लेटर डे’ बताते हुए टुक्कू ने कहा कि समझौते ने नगा लोगों के संप्रभु अधिकारों को मान्यता दी है।

टुक्कू ने समूह द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘जो हासिल हो चुका है, उसे हम नहीं छोड़ेंगे।’ उन्होंने ‘किसी भी कीमत पर’ समझौते की गरिमा बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने नगा राजनीतिक संघर्ष के लिए आंतरिक और बाह्य खतरों की चेतावनी दी, तथा नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों की कार्य समिति (डब्ल्यूसी/एनएनपीजी) जैसे प्रतिद्वंद्वी समूहों की आलोचना की, तथा उन पर भारतीय संविधान के तहत समाधान को स्वीकार करके नगा राजनीतिक पहचान से समझौता करने का आरोप लगाया।

केंद्र सरकार ने 2015 में एनएससीएन-आईएम के साथ प्रारूप समझौते पर हस्ताक्षर किए और दो साल बाद डब्ल्यूसी-एनएनपीजी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए।

टुक्कू ने आरोप लगाया कि इन नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों को ‘भारत सरकार ने तैयार किया’, जिसका उद्देश्य एनएससीएन के नेतृत्व और प्रारूप समझौते की वैधता को कमजोर करना है।

केंद्र ने अक्टूबर 2019 में दोनों समूहों के साथ नगा वार्ता समाप्त होने की घोषणा की थी।

जहां एनएनपीजी ने एक ‘व्यावहारिक’ समाधान को स्वीकार करने और बातचीत जारी रखने की इच्छा व्यक्त की, वहीं एनएससीएन-आईएम एक अलग झंडे, संविधान और सभी नगा-बसाहट वाले क्षेत्रों के एकीकरण की अपनी मांगों पर अड़ा हुआ है, जिसे केंद्र ने अस्वीकार कर दिया है। इससे दशकों पुराने नगा राजनीतिक मुद्दे के अंतिम समाधान में देरी हुई है।

भाषा आशीष नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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