नई दिल्ली: शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में भारत बुधवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) और शीर्ष अधिकारियों की एक बैठक की मेजबानी कर रहा है.
इस बैठक में शामिल होने के लिए कई देशों के एनएसए भारत आए हुए हैं. पाकिस्तान और चीन के एससीओ-एनएसए की बैठक में वर्चुअली शामिल हुए हैं. भारत की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने बैठक में उद्घाटन भाषण दिया.
हालांकि, पाकिस्तान में फिलहाल कोई एनएसए नहीं है, जिसे देखते हुए किसी वरिष्ठ डिफेंस अधिकारी के मीटिंग में शामिल हुए हैं.
उन्होंने कहा, ”वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य हाल के वर्षों में विकास के कारण कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जो एससीओ को भी प्रभावित कर रहा है. भारत सदस्य देशों से संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सीमाओं का पारस्परिक सम्मान रखने का आह्वान करता है.”
डोभाल ने दृढ़ता से कहा कि आतंकवाद अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में एक गंभीर खतरा है.
बता दें कि एससीओ एक प्रमुख क्षेत्रीय महाशक्ति है जिसे दो दशक पहले अपने सदस्य देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था. एससीओ के आठ सदस्य देश दुनिया की कुल आबादी का लगभग 42 प्रतिशत और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 25 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं.
दरअसल, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) 2001 में स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है और इसमें आठ सदस्य देश- भारत, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं.
भारत 9 जून 2017 को एससीओ का पूर्ण सदस्य बना था और इसने 2022 में, साल 2023 के लिए शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता ग्रहण की थी. चार देश एससीओ के पर्यवेक्षक हैं, जिनमें अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया का नाम शामिल है. इस संगठन में छह डायलॉग पार्टनर आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्किए शामिल हैं.
उन्होंने कहा, ”आतंकवाद अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में इसके वित्तपोषण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है. आतंकवाद का कोई भी कार्य, चाहे उसकी प्रेरणा कुछ भी हो गलत है.”
एनएसए ने कहा कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा अत्यधिक लाभकारी हो सकती है क्योंकि भारत अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ संबंधों को बनाए रखने और विकसित करने और अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों की रोकथाम में सहयोग करने पर केंद्रित है.
डोभाल ने कहा कि भारत सदस्य देशों से संप्रभुता, राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता, बल का उपयोग न करने या अंतरराष्ट्रीय संबंधों में इसके उपयोग की धमकी के लिए सीमाओं का पारस्परिक सम्मान रखने और क्षेत्रों में एकतरफा सैन्य श्रेष्ठता की मांग नहीं करने का आह्वान करता है.
एनएसए डोभाल ने एससीओ सदस्य देशों की सुरक्षा परिषद के सचिवों की 18वीं बैठक में अपने उद्घाटन भाषण के दौरान कहा, ”भारत अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर में अपने दायित्वों को पूरा करने और आईएनएसटीसी के ढांचे के भीतर चाबहार बंदरगाह को शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है. भारत जून 2017 में शंघाई सहयोग संगठन का सदस्य बना था, लेकिन इसके सदस्यों देशों से हमारे संबंध कई सदी पुराने हैं.”
कनेक्टिविटी के बारे में उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता बनी हुई है.
उन्होंने कहा, ”हम क्षेत्र में निवेश और कनेक्टिविटी के निर्माण में सहयोग करने के लिए तैयार हैं. इस तरह की पहल सुनिश्चित करने के लिए कनेक्टिविटी का विस्तार करना भी महत्वपूर्ण है.”
उन्होंने आगे दोहराया कि कनेक्टिविटी यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि इस तरह की पहल पारदर्शी और समावेशी होने के साथ-साथ सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करती है.
डोभाल ने यह भी रेखांकित किया कि भारत की विदेश नीति इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित है और “हर संभव तरीके से हमारी प्रतिबद्धता” को दर्शाती है.
उन्होंने बैठक में आने के लिए उनके निमंत्रण को स्वीकार करने के लिए शीर्ष प्रतिनिधियों को धन्यवाद दिया और कहा कि अधिकारियों की भागीदारी न केवल चर्चाओं को समृद्ध करेगी बल्कि कुछ महीनों में एक सफल शिखर सम्मेलन के लिए जमीन भी तैयार करेगी.
एससीओ की मुख्य बैठक इस साल गोवा में आयोजित होगी, लेकिन उससे पहले 27-29 अप्रैल तक शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक होगी.
पाकिस्तान ने काशी में आयोजित एससीओ के पर्यटन प्रशासन के प्रमुखों की बैठक में अपना प्रतिनिधि भेजा था. रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए भी पाकिस्तान को निमंत्रण भेजा गया है.
यह भी पढ़ें: इस महीने LAC पर चीन से होने वाली बातचीत से पहले लेह बेस्ड 14 कोर को मिल सकते हैं नए कमांडर