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Thursday, 23 May, 2024
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महाराष्ट्र में अब एक और वायरस ने बरपाया कहर, तबाह कर रहा है टमाटर की फसल

वायरस से तबाह हो रही टमाटर की फसलों की शिकायतें, अप्रैल के आख़िर से आनी शुरू हुईं, लेकिन लॉकडाउन के चलते वैज्ञानिक इसकी पहचान, और इसके स्रोत का पता नहीं लगा पा रहे हैं.

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नई दिल्ली: एक रहस्यमयी वायरस ने, जो टमाटर को समय से पहले पका रहा है, महाराष्ट्र में इसकी फसल को तबाह कर दिया है, जिसकी वजह से नाशिक, अहमदनगर, सतारा और पुणे के किसान, भारी मुसीबत में आ गए हैं.

पिछले दस दिनों में इन क्षेत्रों के किसानों की, 60 से 80 प्रतिशत तक फसल ख़राब हो गई है. इस वायरस ने फसल का रंग भी बिगाड़ दिया है, और टमाटरों के ऊपर गढ़े पड़ गए हैं, जो अंदर से काले पड़ जाते हैं.

किसान अब इसे ‘तिरंगा’ वायरस कह रहे हैं, क्योंकि उनका कहना है कि ये उनकी फसल पर लाल, पीली और हरी धारियां बना रहा है.

सतारा ज़िले के कराड़ गांव के एक टमाटर किसान, राजेंद्र कोंदिबा ने दिप्रिंट को बताया कि उसकी पांच एकड़ की टमाटर की फसल, जो उसने मार्च में लगाई थी, पूरी तरह तबाह हो गई है.

कोंदिबा ने बताया,’भारी मांग की वजह से, टमाटर की फसल पूरे साल तोड़ी जाती है. मई में मेरी दूसरी तुड़ाई होती है, जब मैं आमतौर से 350 क्रेट्स तोड़ लेता हूं, लेकिन इस बार मैं केवल 120 क्रेट टमाटर ही तोड़ पाया हूं.’

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उन्होंने ये भी कहा कि,’ टमाटर आमतौर से, तोड़े जाने के 3-4 दिन के बाद सड़ने लगता है, लेकिन वो टमाटर जो नए तिरंगा वायरस का शिकार हो रहा है, 12 घंटे में ही काला पड़ रहा है.’ उन्होंने आगे ये भी कहा कि उसे शक है कि ये वायरस, क्यूकम्बर मोज़ैक वायरस का नया रूप हो सकता है, और अगर इसे क़ाबू नहीं किया गया, तो ये दूसरी फसलों में भी फैल सकता है.

टमाटर रसोई की एक अहम चीज़ है, जिसकी वजह से ये पूरे साल बोया और तोड़ा जाता है. टमाटर की एक सामान्य फसल को, बुवाई के दो महीने बाद तोड़ा जा सकता है.

लॉकडाउन के चलते वायरस की पहचान नहीं कर पा रहे वैज्ञानिक

वायरस से तबाह हो रही टमाटर की फसलों की शिकायतें, अप्रैल के आख़िर से आनी शुरू हुईं, लेकिन कोविड-19 लॉकडाउन के चलते वैज्ञानिक, इसकी पहचान और स्रोत का पता नहीं लगा पा रहे हैं, ताकि इसके फैलाव को रोका जा सके.

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ वेजिटेबिल रिसर्च (आईआईवीआर) वाराणसी के एक वैज्ञानिक ने, नाम न बताने की शर्त पर, दिप्रिंट को बताया, कि इस वायरस को जल्द ही क़ाबू करना पड़ेगा. वैज्ञानिक ने कहा, ‘टमाटर पैदा करने वाले सभी प्रमुख सूबे, जैसे आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात, महाराष्ट्र की सीमा से लगे हैं, जहां इस रहस्यमयी वायरस का प्रकोप हुआ है.’ उन्होंने आगे कहा,’वायरस के कारणों और इलाज का पता लगाने के साथ ही, हमारा मुख्य ध्यान इसे रोकने पर है, क्योंकि अगर ये इन पड़ोसी सूबों में भी फैल गया, तो पूरे देश में टमाटर की फसल तबाह हो सकती है.

लेकिन वैज्ञानिक ने बताया कि ये वायरस इंसानी शरीर को नुक़सान नहीं पहुंचा सकता, क्योंकि इंसानी शरीर में दाख़िल होने के लिए वायरस को जो रिसेप्टर्स चाहिए होते हैं, वो पौधों के रिसेप्टर्स से बिल्कुल अलग होते हैं.


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वायरस से व्यापारी भी प्रभावित

इस रहस्यमयी वायरस के फैलने से, न सिर्फ किसान मुसीबत में आए हैं, बल्कि व्यापारी भी प्रभावित हुए हैं, जो टमाटर की फसल का निर्यात करते हैं. गर्मियों में आने वाली भारतीय टमाटर की अधिकतर फसल, बांग्लादेश, मॉलदीव, यूएई, सऊदी अरब और ओमान जैसे देशों को निर्यात होती है.

राज एग्रो एक्सपोर्ट के मालिक विजय साल्वे ने दिप्रिंट को बताया, ‘जनवरी से मई तक हम अकेले दुबई को लगभग एक लाख टन टमाटर निर्यात करते थे, लेकिन लॉकडाउन में सप्लाई चेन के पूरी तरह बाधित होने से, ये घटकर केवल 20,000 टन रह गया है.’

साल्वे ने आगे कहा, ‘अब अगर लॉकडाउन पूरी तरह हट भी जाए, तो भी हम इस साल टमाटर निर्यात नहीं कर सकते, क्योंकि हमें नहीं मालूम कि कौन सी फसल वायरस से प्रभावित है, कौन सी नहीं है. कोई भी देश बीमारी से ग्रस्त ऐसी फसल नहीं लेगा.’

कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की वेबसाइट के अनुसार, टमाटर के विश्व उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर आता है.


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(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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