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Friday, 19 April, 2024
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CSU केवल छात्रोंं को ज्योतिष और शिक्षक ही नहीं बना रहा, मार्केट के लिए भी तैयार कर रहा

8 स्कूलों और 29 विभागों के साथ, जनकपुरी, दिल्ली के CSU में विभिन्न प्रोगराम्स के लिए 7,000 से अधिक छात्र नामांकित हैं. यह भारत के 12 संस्कृत उच्च शिक्षा संस्थानों में से एक है.

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नई दिल्ली: छात्रों को कंप्यूटर और ऐप आधारित कौशल सीखने में मदद करने से लेकर नए पाठ्यक्रम के रूप में पर्यटन जैसे विषय शुरू करने तक, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (CSU), संस्कृत से संबंधित नीतियों और योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी से सहयोग ले रहा है. इससे यहां के छात्र आधुनिक नौकरी प्राप्त करने में अधिक योग्य हो रहे हैं. 

वर्तमान में, ऐसे संस्थानों से उत्तीर्ण होने वाले छात्रों के लिए रोजगार के विकल्प सीमित हैं. यहां से पढ़ाई करने के बाद अधिकतर ज्योतिषी या शिक्षक बन रहे हैं.

दिल्ली के जनकपुरी क्षेत्र में स्थित सीएसयू की स्थापना 1970 में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के रूप में की गई थी. उस समय यह एक डीम्ड विश्वविद्यालय था. इसे 2020 में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता दी गई थी, जब केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय अधिनियम, 2020 पारित किया गया था. इसके अलावा दो अन्य संस्थानों को भी यह दर्जा दिया गया था. 

8 स्कूलों और 29 विभागों के साथ, CSU जनकपुरी में विभिन्न प्रोगराम्स में 7,000 से अधिक छात्र नामांकित हैं. यह भारत के 12 संस्कृत उच्च शिक्षा संस्थानों में अग्रणी संस्थान है.

सीएसयू के कुलपति श्रीनिवास वरखेड़ी के अनुसार, विश्वविद्यालय का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को समकालीन मुख्यधारा की नौकरी और कौशल पारिस्थितिकी तंत्र से बाहर महसूस नहीं करना चाहिए.

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छात्रों के बेहतर भविष्य और उनके रोजगार क्षेत्र को व्यापक बनाने की पहल पिछले साल शुरू की गई थी.

उन्होंने कहा, “यह इस धारणा को दूर करने के लिए किया जा रहा है कि संस्कृत के छात्र केवल संस्कृत शिक्षक या पंडित ही बन सकते हैं.”

वीसी के अनुसार, हर साल स्नातक की डिग्री प्राप्त करनेवाले 2,500 छात्रों में से लगभग 500-700 ज्योतिष विद्या (ज्योतिष) और वास्तु (एक प्रणाली जो शांति और समृद्धि के लिए वास्तु युक्तियों की पेशकश करने का दावा करती है) में करियर बनाते हैं. 

उन्होंने कहा, “उच्च शिक्षा नियामक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली’ पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, संस्कृत को लेकर लोगों के अंदर बनी धारणा बदल रही है.” 

उन्होंने आगे कहा, “संस्कृत दुनिया भर में सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है और कई भाषाएं संस्कृत में अपनी मूल शब्दावली की उत्पत्ति पाती हैं. अब, यह हमारा काम है कि हम अपने छात्रों को समकालीन नौकरी बाजार में फिट होने के लिए पर्याप्त कुशल बनाएं.”

वो कहते हैं, “जिस तरह सभी अंग्रेजी साहित्य के स्नातक अंग्रेजी के प्रोफेसर नहीं बनते हैं, उसी तरह हम अपने स्नातकों के लिए भी नौकरी के विकल्पों में विविधता लाना चाहते हैं.”

कौशल प्रयास

रोजगार पहल के हिस्से के रूप में, सीएसयू में विभिन्न भाषा और वैदिक विभागों के छात्र कंप्यूटर विज्ञान और प्राकृतिक भाषाओं के विभागों के साथ मिलकर संस्कृत ऐप विकसित कर रहे हैं, जिसमें भाषा ट्यूटोरियल और वेबसाइट शामिल हैं.

दिल्ली के सीएसयू की एक छात्रा कल्याणी फागरे के अनुसार, जिन्होंने 2017 में संस्कृत में मास्टर डिग्री पूरी की थी और वर्तमान में संस्थान के कौशल प्रयास में शामिल हैं, ने कहा, “ज्योतिष शाखा के छात्र भी एक ऐप विकसित करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों के साथ काम कर रहे हैं, जिसमें हिंदू कैलेंडर शामिल होगा, जिसे पंचांग भी कहा जाता है”.

उन्होंने कहा, “दुनिया भर के कई विश्वविद्यालयों ने कोडिंग के लिए एक भाषा के रूप में संस्कृत के उपयोग की खोज शुरू कर दी है”.

फागरे ने कहा, “हमारे विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान विभाग के छात्रों द्वारा संस्कृत पर आधारित एक कोडिंग भाषा विकसित करने की कोशिश पर इसी तरह का अध्ययन किया जा रहा है.”

छात्रों को विश्वविद्यालय द्वारा पेश किए जाने वाले कंप्यूटर साक्षरता कार्यक्रम में नामांकन के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है.

कार्यक्रम के तीन स्तर हैं – बुनियादी कंप्यूटर साक्षरता और तकनीकी कौशल, ऐप और वेबसाइट विकास पर उन्नत पाठ्यक्रम, और भविष्य की तकनीक जिसमें मशीन अनुवाद और अन्य तकनीक जैसे विषय शामिल हैं जिनका उपयोग विभिन्न भाषाओं के लिए अनुवाद सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए किया जा सकता है.


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इसके अलावा, विश्वविद्यालय छात्रों को उनके साथ काम करने के लिए भारतीय भाषा प्रकाशकों के साथ गठजोड़ के अवसरों की तलाश कर रहा है. अन्वेषण का एक अन्य मार्ग पर्यटन और होटल प्रबंधन है, और आगामी शैक्षणिक सत्र से संभावित कौशल पाठ्यक्रमों के रूप में क्षेत्रों को जोड़ने की संभावना है.

इसके साथ ही रंगमंच पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जो कौशल पहल का एक अन्य प्रमुख फोकस क्षेत्र है. इस साल की शुरुआत में, सीएसयू सहित 10 संस्कृत थिएटर कलाकारों की एक टीम ने कॉमेडी प्ले करने के लिए 2023 में लंदन और डबलिन की यात्रा की थी.

फागरे, जो टीम का हिस्सा थे, ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों के सामने परफार्म करना आश्वस्त करने वाला था, जिन्होंने भाषा और भावनाओं की सराहना की.”

एक प्रशिक्षित ओडिसी नर्तक और रंगमंच कलाकार के रूप में, उन्होंने कहा, “मैं शरीर की गति, अभिनय और मंच डिजाइन पर वर्कशॉप आयोजित करती हूं. इसने मेरे लिए एक पूरी तरह से नया पेशा खोल दिया है.”

अन्य विश्वविद्यालयों में भी प्रयास चल रहे हैं

इसी तरह के प्रयास अन्य महाविद्यालयों में भी किए गए हैं. उज्जैन का महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय इसका उदाहरण है.

विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर, जो नाम नहीं छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, “हमारे पास कंप्यूटर और अन्य समकालीन विषयों में डिप्लोमा पाठ्यक्रम हैं, और जो छात्र अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करना चाहते हैं, वे अक्सर इन पाठ्यक्रमों के लिए साइन अप करते हैं.”

प्रोफेसर ने कहा, “हालांकि, अपने गुरुओं के साथ जुड़ना, ज्योतिष विद्या या वास्तु के लिए अपने केंद्र स्थापित करना, साथ ही पुरोहित (पंडित) बनना सबसे लोकप्रिय करियर विकल्प बना हुआ है.”

विश्वविद्यालय में संस्कृत साहित्य विभाग के सहायक प्रोफेसर आयुष दीक्षित ने कहा कि इस आम धारणा को तोड़ना बहुत मुश्किल है कि सभी संस्कृत छात्र धार्मिक व्यवसाय करना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, “हमारी पाठ्य सामग्री कर्मकांड विद्या (पंडितों द्वारा अनुष्ठानों का प्रदर्शन) को पढ़ने से कहीं आगे जाती है.”

एक साहित्य छात्र के रूप में, उन्होंने कहा कि उन्होंने “कालिदास के ग्रंथ, अन्य कविताएं और कहानियां पढ़ी थीं”.

उन्होंने कहा, “यह ठीक उसी तरह है जैसे एक अंग्रेजी साहित्य का छात्र शेक्सपियर और अन्य लेखकों को कैसे पढ़ता है. संस्कृत में दर्शन के कई स्कूल हैं और उनके भीतर कई उपसमुच्चय हैं.”

दीक्षित ने कहा कि वह हमेशा स्पष्ट थे कि वह प्रोफेसर बनना चाहते हैं. उन्होंने कहा, “हालांकि, “यह सच है कि कक्षा में छात्रों का एक बड़ा प्रतिशत उन परिवारों से आता है जो पारंपरिक रूप से पुजारी हैं और परिवार के पेशे को जारी रखना चाहते हैं.”

अपने विश्वविद्यालय में चल रही पहल के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा, “बॉलीवुड में अब ऐतिहासिक और बाहुबली  जैसी फिल्मों बनने के बाद से ही सिनेमा उद्योग में भी संस्कृत विशेषज्ञों की आवश्यकता बढ़ी है. भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास रंगमंच और उसके रस और भाव पर एक विस्तृत पुस्तक (भारतीय नाट्यशास्त्र) है.”

उन्होंने आगे कहा, “विश्वविद्यालय को 10 मिनट लंबी शॉर्ट फिल्म बनाने का भी काम सौंपा गया है, जो भारतीय ज्ञान प्रणाली [पाठ] में उपयोग की जाने वाली पाठ्यक्रम सामग्री का एक हिस्सा होगा, जिसे जल्द ही देश भर के विश्वविद्यालयों में लागू किया जाएगा.”

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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