नागपुर: रेमडेसिविर दवा का स्टॉक जमा करने के आरोप में फार्मा कंपनी के शीर्ष अधिकारी से पुलिस की पूछताछ पर आपत्ति जताने से सत्तारूढ़ दलों के निशाने पर आए भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वह अपने खिलाफ होने वाली किसी जांच से नहीं डरते क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है.
ब्रुक फार्मा के निदेशक से रेमडेसिविर के स्टॉक को लेकर हुई पूछताछ पर सवाल उठाने के बारे में फडणवीस ने नागपुर हवाईअड्डे पर पत्रकारों से कहा, ‘ मैं किसी जांच से नहीं डरता क्योंकि मैंने 20 साल तक विपक्ष में काम किया और लोगों के पक्ष में आवाज उठाने के चलते मेरे खिलाफ 36 मामले दर्ज हैं.’
उन्होंने कहा कि वह महाराष्ट्र के हितों के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ कल की घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी. हमने रेमडेसिविर के वे इंजेक्शन भाजपा के लिए नहीं मंगाए थे और प्रवीण दारेकर (विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष) ने खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) मंत्री से मुलाकात की थी और कहा था रेमडेसिविर के इंजेक्शन एफडीए और नगर निगम को दिए जाएंगे.’
फडणवीस ने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति करना गलत है.
उन्होंने कहा कि यह झूठी खबर फैलाई जा रही है उनके पास रेमडेसिविर के इंजेक्शन का स्टॉक था.
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पुलिस की पूछताछ-भाजपा नाराज
कोरोनावायरस संक्रमण के उपचार में महत्वपूर्ण मानी जाने वाली रेमडेसिविर दवा की हजारों शीशियां देश से बाहर भेजी जाने वाली हैं, यह खबर मिलने पर मुंबई पुलिस ने एक फार्मा कंपनी के निदेशक से पूछताछ की.
पुलिस ने रविवार को कहा कि रेमडेसिविर के निर्यात पर पाबंदी है लेकिन सूचना मिली थी कि इसका माल एयर कार्गो के जरिए विदेश भेजा जाने वाला है.
फार्मा कंपनी के निदेशक से पूछताछ के बाद थाने में महाराष्ट्र भाजपा के शीर्ष नेताओं के पहुंचने के कारण शिवसेना नीत राज्य सरकार और भाजपा के बीच कोरोनावायरस महामारी से निपटने और स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण सामग्रियों के अभाव को लेकर राजनीतिक तनातनी बढ़ गई है.
पुलिस ने शनिवार रात केंद्रशासित प्रदेश दमन आधारित ब्रुक फार्मा के निदेशक राजेश डोकानिया से पूछताछ की थी. उनकी कंपनी रेमडेसिविर का उत्पादन करती है.
डोकानिया को विले पार्ले पुलिस ने रात को करीब साढ़े आठ बजे पूछताछ के लिए बुलाया था और आधी रात के बाद जाने दिया था.
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने डोकानिया को जाने दिया लेकिन कहा कि जब भी पूछताछ की जरूरत पड़ेगी, उन्हें उपस्थित होना पड़ेगा.
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता एस. चैतन्य ने रविवार को एक बयान में कहा, ‘दवा कंपनी के निदेशक को पूछताछ के लिए जब थाने लाया गया तो उस वक्त खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की एक टीम भी वहां मौजूद थी.’
‘रेमडेसिविर की 60,000 शीशियां देश के बाहर भेजी जानी हैं’
बयान में कहा गया कि एफडीए के आयुक्त और संयुक्त आयुक्त भी पूछताछ से अवगत हैं.
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसी सूचना मिली थी कि रेमडेसिविर की कम से कम 60,000 शीशियां एयर कार्गो के जरिए देश से बाहर भेजी जानी हैं.
उन्होंने कहा कि दवा की मात्रा काफी अधिक थी, इसलिए पुलिस ने इसके बारे में कंपनी के निदेशक से पूछताछ करने का फैसला किया.
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने कम से कम 60,000 शीशियां जमा कर रखी थीं. कोरोनावायरस के रोगियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली इस दवा की कमी की वजह से राज्य और केंद्र सरकार ने उन्हें इस माल को घरेलू बाजार में बेचने की इजाजत दी थी. हालांकि, मूल रूप से यह निर्यात के लिए थी.’
पुलिस उपायुक्त मंजूनाथ सिंघे ने कहा, ‘हमारा इरादा नेक था क्योंकि इतनी सारी दवा यहां (महाराष्ट्र) के मरीजों की जरूरत पूरी कर सकती है.’
महाराष्ट्र में विपक्षी भाजपा ने मुंबई पुलिस द्वारा फार्मा कंपनी के निदेशक से पूछताछ किए जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि राज्य की शिवसेना नीत सरकार महामारी के बीच राजनीति कर रही है.
डोकानिया से पूछताछ किए जाने की खबर मिलने पर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य भाजपा के अन्य नेता प्रवीण दारेकर पुलिस थाने पहुंच गए.
फडणवीस ने कहा कि भाजपा की महाराष्ट्र इकाई ने रेमडेसिविर की कमी को देखते हुए विभिन्न दवा कंपनियों से संपर्क साधा था.
उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र के लिए रेमडेसिविर की व्यवस्था करने के लिए हमने गंभीर प्रयास किया था.’
फडणवीस ने कहा, ‘हमने चार दिन पहले ब्रुक फार्मा से रेमडेसिविर की आपूर्ति करने का अनुरोध किया था लेकिन तब तक अनुमति नहीं मिल पाने की वजह से वे ऐसा नहीं कर सके. मैंने केंद्रीय (रसायन और उर्वरक राज्य) मंत्री मनसुख मांडविया से बात की थी और हमें एफडीए (खाद्य और औषधि प्रशासन) से मंजूरी मिल गई थी.’
महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता फडणवीस ने दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) ने फार्मा कंपनी के अधिकारी को बुलाया था और उनसे पूछा कि वह विपक्षी दलों की अपील पर रेमडेसिविर की आपूर्ति कैसे कर सकते हैं.
फडणवीस ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने फार्मा कंपनी के निदेशक को शनिवार रात उनके घर से पकड़ा था.
उन्होंने इस कार्रवाई को ‘कल्पना से परे’ करार दिया.
भाजपा नेता ने कहा कि राज्य सरकार केंद्रशासित क्षेत्र दमन में रहने वाले फार्मा कंपनी के निदेशक को तंग कर रही है क्योंकि भाजपा नेताओं ने उनसे राज्य में रेमडेसिविर दवा की आपूर्ति के लिए संपर्क साधा था.
फडणवीस ने कहा, ‘हमने (भाजपा नेताओं ने) महाराष्ट्र में रेमडेसिविर की कमी को देखते हुए ब्रुक फार्मा से संपर्क साधा था. हमने राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) मंत्री को भी इस बाबत सूचित किया था और आवश्यक अनुमति के लिए केंद्र सरकार से भी संपर्क किया था.’
भाजपा नेता ने कहा कि महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं ने हाल ही में ब्रुक फार्मा के अधिकारियों से मुलाकात की थी और उनसे निर्यात के लिए रखा गया माल महाराष्ट्र में बेचने का अनुरोध किया था.
उन्होंने कहा, ‘कंपनी की ओर से उनसे कहा गया कि यदि केंद्र और राज्य सरकार मंजूरी देंगे तो वे पूरा माल महाराष्ट्र को बेच देंगे.’
महाराष्ट्र के मंत्री जयंत पाटिल ने ट्वीट किया, ‘रेमडेसिविर की किल्लत को देखते हुए कल रात मुंबई पुलिस ने आपूर्ति संबंधी गड़बड़ी/जमाखोरी पर नजर रखने के अपने कर्तव्य को बखूबी निभाया. असल सवाल यह है कि क्या कोई भाजपा नेता, राज्य सरकार, स्थानीय अधिकारियों और पुलिस को सूचित किए बिना लाखों रुपये की जीवनरक्षक दवा खरीद सकता है. यह निम्न स्तर है.’
वहीं, कार्यकर्ता साकेत गोखले ने फडणवीस के इस दावे पर सवाल उठाया कि भाजपा ने दवा की यह खेप लोगों के बीच वितरित करने के लिए खरीदी थी.
उन्होंने पूछा, ‘फडणवीस की तरह कोई निजी व्यक्ति गुजरात से रेमडेसिविर कैसे खरीद सकता है, जबकि इसकी बिक्री केवल सरकार को ही करने की अनुमति है.’
गोखले ने ट्वीट किया, ‘फडणवीस ने आपूर्तिकर्ता से संबंधित राज्य सरकार को सूचित क्यों नहीं किया और स्टॉक की खरीद राज्य सरकार के चैनलों के जरिए करने में मदद क्यों नहीं की? दवा की गंभीर किल्लत के बीच भाजपा ने 4.75 करोड़ रुपये की रेमडेसिविर अपने पार्टी कार्यालय में (गुजरात की तरह) क्यों रखी.’
मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘रेमडेसिविर की आपूर्ति करने वाली एक फार्मा कंपनी के निदेशक से पुलिस ने शीशियों के भंडार के सिलसिले में पूछताछ की थी.’
उन्होंने कहा, ‘विशिष्ट सूचना के आधार पर पुलिस ने फार्मा कंपनी के निदेशक को पकड़कर विले पार्ले में रखा था.’
अधिकारी ने कहा कि दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगने के बाद उन्होंने उसकी कम से कम 60,000 शीशियों का भंडार जमा कर रखा था. राज्य और केंद्र सरकार ने उन्हें इसे घरेलू बाजार में बेचने की अनुमति दे दी है.
उन्होंने कहा, ‘हमने पाया कि उन्होंने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया, हमने उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की. उनसे दवा के भंडार के बारे में पूछताछ की गई, जिसके बाद उन्होंने जरूरी दस्तावेज पेश कर दिए.’
इस मामले में राजनीतिक तनातनी शनिवार सुबह उस समय शुरू हुई जब महाराष्ट्र सरकार के मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार रेमडेसिविर उत्पादकों पर महाराष्ट्र में उनका स्टॉक नहीं बेचने के लिए दबाव बना रही है.
राज्य के भाजपा नेताओं के साथ ही केंद्र सरकार के दो मंत्रियों ने भी महाराष्ट्र सरकार पर पलटवार किया और आरोपों को ‘झूठा’ करार दिया.
केंद्रीय मंत्रियों ने इसे महामारी पर सियासत करने की कोशिश करार दिया.
फडणवीस ने कहा, ‘मलिक और कुछ मंत्रियों को कोरोनावायरस महामारी से जूझ रहे लोगों की परेशानियों से कोई लेना-देना नहीं है. उन्हें सियासत में ज्यादा दिलचस्पी है.’
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