कटरा/जम्मू: शनिवार सुबह 8:10 बजे जब वंदे भारत एक्सप्रेस श्रीनगर के लिए अपनी पहली यात्रा पर कटरा रेलवे स्टेशन से रवाना हुई, तो यह 100 प्रतिशत बुक थी. रविवार को वापसी की यात्रा भी पूरी तरह से बुक है.
IRCTC की वेबसाइट के अनुसार, शनिवार और रविवार के लिए ट्रेनों की जोड़ी 6 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर पूरी तरह से बुक हो गई थी.
कटरा से श्रीनगर के लिए प्रतिदिन दो यात्री ट्रेनें चलेंगी — एक सुबह 8:10 बजे और दूसरी दोपहर 2:55 बजे. ईद-उल-अजहा की पूर्व संध्या पर इन ट्रेनों को लॉन्च किया गया था.
272 किलोमीटर लंबा उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (USBRL) सभी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. यह ऐतिहासिक लाइन कश्मीर को न केवल जम्मू से बल्कि पहली बार रेलवे लाइन के माध्यम से पूरे भारत से जोड़ती है. शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने दो रेल सेवाओं को हरी झंडी दिखाई: एक कटरा में श्री माता वैष्णो देवी (एसएमवीडी) रेलवे स्टेशन से श्रीनगर तक और दूसरी श्रीनगर से कटरा तक.
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने चेनाब पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च ब्रिज और अंजी खड्ड पर भारतीय रेलवे के देश के पहले केबल-स्टेड ब्रिज का भी उद्घाटन किया.
जम्मू-कश्मीर में, अब तक कश्मीर घाटी में बनिहाल और बारामुल्ला के बीच और जम्मू क्षेत्र में जम्मू, उधमपुर और कटरा के बीच ट्रेनें चल रही हैं, लेकिन पहली बार जम्मू के कटरा से श्रीनगर के लिए एक सीधा रेल संपर्क खोला गया है.
इस रेल संपर्क की शुरुआत पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के कुछ ही हफ्ते बाद हुई है. 22 अप्रैल के हमले के बाद से कश्मीर में पर्यटन में गिरावट देखी गई है और नई ट्रेन सेवा को घाटी में सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है.

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहलगाम में पर्यटकों पर हमला “देश भर में सांप्रदायिक झड़पें भड़काने और कश्मीर के लोगों को उनकी आजीविका से वंचित करने” का प्रयास था.
उद्घाटन यात्रा
6 जून को, पहली वंदे भारत एक्सप्रेस कटरा से रामबन जिले के संगलदान तक चली और दूसरी सेवा श्रीनगर से संगलदान तक चली. स्टेशन तक पहुंचने के लिए ट्रेन दो प्रमुख इंजीनियरिंग लैंडमार्क्स से गुज़री: अंजी खंड केबल-स्टेड ब्रिज और चेनाब रेल ब्रिज — दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज.
संगलदान की अपनी यात्रा में ट्रेन लुभावनी हरी-भरी पहाड़ियों, देवदार के जंगल और कई सुरंगों से गुज़रती है — लगभग हर आधे किलोमीटर पर — ऊबड़-खाबड़ इलाकों से होकर गुज़रती है. उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दिलीप कुमार के अनुसार, ट्रेन को जम्मू-कश्मीर की कठिन स्थलाकृतिक और जलवायु परिस्थितियों में चलने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करके डिज़ाइन किया गया है.
कुमार ने दिप्रिंट को बताया, “ट्रेन को ऐसी तकनीक से लैस किया गया है कि यह क्षेत्र में पड़ने वाली भीषण सर्दियों के दौरान यात्रियों को आराम प्रदान करने के लिए गर्म हो जाएगी.”
उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक परियोजना का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा स्टील और कंक्रीट से बने चेनाब रेल पुल का निर्माण करना था. यह एक मुश्किल काम था क्योंकि यह क्षेत्र उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र में आता है और यहां अक्सर तेज़ हवाएं चलती हैं.
कई ट्रायल रन के बाद, आखिरकार 6 जून को ट्रेन को लॉन्च किया गया. रेलवे अधिकारियों के अनुसार, चेनाब पुल 260 किमी/घंटा तक की हवा की गति को झेल सकता है. इसका अनुमानित जीवनकाल 120 साल है.
कुमार ने कहा, “यह कोई सामान्य रेलवे लाइन नहीं है, बल्कि इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है. यह भारतीय रेलवे की उपलब्धि है और इंजीनियरों और इस पुल के निर्माण में शामिल सभी लोगों के लिए गर्व का क्षण है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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