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Thursday, 19 December, 2024
होमदेश‘बिना अनुमति LBSNAA में कोई वीडियो, रील नहीं’ — IAS अकादमी में ट्रेनी अधिकारियों के लिए नए नियम

‘बिना अनुमति LBSNAA में कोई वीडियो, रील नहीं’ — IAS अकादमी में ट्रेनी अधिकारियों के लिए नए नियम

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी द्वारा लगाए गए नोटिस में कहा गया है कि प्रतिबंध एक्स, यूट्यूब, स्नैपचैट, लिंक्डइन और मेटा प्लेटफॉर्म सहित अन्य पर लागू हैं.

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नई दिल्ली: लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) ने ‘शिष्टाचार’ के पालन में अपनी “आचार संहिता” में अखिल भारतीय सेवा के ट्रेनी (आईएएस) अधिकारियों के लिए सोशल मीडिया दिशानिर्देश बनाए हैं.

ट्रेनी आईएएस अधिकारियों की दूसरे चरण की ट्रेनिंग के दौरान LBSNAA के नोटिस बोर्ड पर एक पोस्टर चस्पा है जिसमें ट्रेनी अधिकारियों को बिना पूर्व अनुमति के अकादमी से संबंधित कोई भी डिजिटल कंटेंट पोस्ट करने से प्रतिबंधित किया गया है.

नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि, “किसी भी प्रकार के डिजिटल कंटेंट जिसमें ट्रेनिंग, अकादमी कैंपस, ट्रेनिंग प्रोग्राम, यात्रा कार्यक्रम, आधिकारिक दौरे से संबंधित फोटो, वीडियो, रील आदि शामिल हैं, को सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अपलोड करना अधिकृत प्राधिकारी से पूर्व अनुमोदन के बिना प्रतिबंधित है.”

यह प्रतिबंध मसूरी स्थित सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थान के भीतर सार्वजनिक नीति और लोक प्रशासन पर कई क्षेत्रों को कवर करता है.

नोटिस में कहा गया है कि ट्रेनी अधिकारी हॉस्टल, खेल परिसर, कक्षा, मेस हॉल, लाउंज, किट, भोजन या कोई अन्य लेख या अध्ययन सामग्री दिखाने वाली कोई भी चीज़ पोस्ट नहीं कर सकते हैं.

दिप्रिंट ने अकादमी के नोटिस बोर्ड पर लगाए गए नोटिस की एक तस्वीर देखी है.

पिछले कुछ साल से ऐसे उदाहरण हैं जब दीपक रावत जैसे सिविल सेवक सोशल मीडिया पर सक्रिय रहे हैं. कुछ ट्रेनी अधिकारियों ने तो LBSNAA में अपनी शुरुआती ट्रेनिंग के दिनों से ही पोस्ट करना शुरू कर दिया था.

नोटिस के अनुसार, सोशल मीडिया पर प्रतिबंध एक्स, यूट्यूब, स्नैपचैट, लिंक्डइन और मेटा जैसे प्लेटफार्मों पर लागू हैं.

इसमें लिखा है कि ट्रेनी अधिकारियों को “यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके सोशल मीडिया स्टेटस अपडेट में ट्रेनिंग की किसी भी गतिविधि या अकादमी से संबंधित कंटेंट का संदर्भ न हो.”

नोटिस में यह भी कहा गया है कि आधिकारिक यात्राएं, जैसे कि हिमालय अध्ययन यात्रा, केवड़िया यात्रा, गांव की यात्राएं और अकादमी द्वारा आयोजित कोई भी अन्य भ्रमण, इन दिशानिर्देशों के अंतर्गत आते हैं.

आईएएस ट्रेनिंग दो चरणों में विभाजित है. पहले चरण में ट्रेनी अधिकारियों को बुनियादी कौशल और ज़रूरी ज्ञान दिया जाता है, जिसमें लोक प्रशासन, कानून, अर्थशास्त्र और भारतीय राजनीति की समझ प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. यह कक्षा सत्रों, क्षेत्र यात्राओं और व्यावहारिक प्रशिक्षण के माध्यम से सिखाया जाता है ताकि अधिकारियों को शासन और सार्वजनिक सेवा की जटिलताओं को समझने में मदद मिल सके.

दूसरे चरण व्यावहारिक प्रदर्शन के माध्यम से सैद्धांतिक ज्ञान पर केंद्रित है. इस दौरान ट्रेनी अधिकारी अपने जिला प्रशिक्षण के बाद अकादमी में लौटते हैं. वे लोक प्रशासन और शासन, क्षेत्र के अनुभवों की अपनी समझ साझा करते हैं और वास्तविक दुनिया की चुनौतियों से सीखते हैं.

एक ट्रेनी अधिकारी ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि सोशल मीडिया को यूज़ करने की बात आने पर कई अन्य लोगों को सावधान रहना चाहिए.

उन्होंने कहा, “हमने यहां तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की है. परीक्षा की तैयारी कर रहे अन्य अभ्यर्थी हमारी पोस्ट से प्रेरित होते हैं, लेकिन अब इस नोटिस के साथ, मुझे लगता है कि हम सभी कम महत्वपूर्ण होंगे. कुछ ट्रेनीज़ ने सोशल मीडिया से अपनी पोस्ट को आर्काइव करना शुरू कर दिया है.”

आईएएस अधिकारी जितिन यादव ने अकादमी द्वारा उठाए गए कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह सिविल सेवाओं की तैयारी के लिए प्रेरणा को “सही दिशा में” निर्देशित करेगा.

2016 बैच के आईएएस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “मैं इस कदम का स्वागत करता हूं. यह सिविल सेवाओं की तैयारी के लिए प्रेरणा को सही दिशा में निर्देशित करेगा. कई लोग अधिकारियों के प्रवेश, सुरक्षा और सोशल मीडिया पर दिखाए जाने वाले आकर्षण से प्रभावित होते हैं, लेकिन एक आईएएस अधिकारी बहुत कुछ करता है, क्षेत्र में काम करने से लेकर नीति बनाने तक.”

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमारे मौजूदा आचरण नियमों में संशोधन होना चाहिए. केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम 1964 और अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1968 दोनों को वर्तमान समय के अनुसार अपडेट किया जाना चाहिए.”

एक सिविल सेवा उम्मीदवार ने महसूस किया कि यह फैसला एक अच्छा कदम था.

यूपीएससी अभ्यर्थी ने दिप्रिंट से कहा, “उन्हें अन्य सिविल सेवकों द्वारा प्रसिद्धि के मुद्रीकरण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना चाहिए. कुछ लोग खुद को भगवान और फिल्म स्टार समझते हैं और मीडिया उनके इर्द-गिर्द घूमता है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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