scorecardresearch
Thursday, 19 December, 2024
होमदेशमालिक को सुने बिना किसी भी अनधिकृत निर्माण को नहीं गिराया जा सकता- दिल्ली हाई कोर्ट

मालिक को सुने बिना किसी भी अनधिकृत निर्माण को नहीं गिराया जा सकता- दिल्ली हाई कोर्ट

अदालत ने साफ किया कि एससीजे यह सुनिश्चित करेगा कि याचिकाकर्ता की संपत्ति के खिलाफ कोई भी कार्रवाई प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुपालन के बाद ही की जाए.

Text Size:

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि मालिक को सुनवाई का मौका दिए बिना अनधिकृत निर्माण के आधार पर किसी भी संपत्ति को गिराया नहीं जा सकता है.

जस्टिस सी हरि शंकर ने आदेश देते हुए कहा, ‘मेरे विचार से, किसी भी संपत्ति को इस आधार पर तोड़ने का कोई सवाल ही नहीं हो सकता है कि यह अनधिकृत है, जब तक कि संपत्ति का मालिक और/या कब्जे वाले/निवास करने वाला व्यक्ति न हो. संपत्ति में, सुनवाई का मौका दिया जाता है और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाता है.’

यह आदेश दिल्ली के छतरपुर निवासी हुनुनपुई द्वारा दायर दीवानी वाद पर हाईकोर्ट ने दिया है.

याचिकाकर्ता ने विध्वंस का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया है कि अंबावत नाम का एक व्यक्ति सूट प्रोपर्टी की सातवीं और आठवीं मंजिल पर अवैध और अनधिकृत निर्माण कर रहा था.

अदालत ने कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने अपने जवाब में कहा था कि विचाराधीन पूरी संपत्ति अनधिकृत थी और इसलिए इसे तोड़ने के लिए बुक किया गया था.

अंबावत ने भी अपने फ्लैट में हनुनपुई द्वारा कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए एक दीवानी मुकदमा दायर किया था. उन्होंने एमसीडी को निर्देश देने और भविष्य में अवैध निर्माण पर रोक लगाने की मांग की थी.

इसके बाद याचिकाकर्ता हनुनपुई ने अंबावत द्वारा दायर दीवानी वाद पर रोक लगाने का अनुरोध किया था. उसने तर्क दिया था कि मुकदमे के परिणाम का असर अंबावत के खिलाफ उसके लंबित मुकदमे पर पड़ सकता है.

हनुनपुई द्वारा पेश किए गए आवेदन को वरिष्ठ सिविल जज (एससीजे) ने खारिज कर दिया. इसके बाद उसने एससीजे द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था.

अदालत ने साफ किया कि एससीजे यह सुनिश्चित करेगा कि याचिकाकर्ता की संपत्ति के खिलाफ कोई भी कार्रवाई प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुपालन के बाद ही की जाए.

बेंच ने कहा, ‘यह बिना कहे समझने वाली बात है कि अगर मुकदमा लंबित होने के बावजूद, याचिकाकर्ता की संपत्ति को ध्वस्त कर दिया जाता है, तो मुकदमे में निर्णय के लिए कुछ भी नहीं बचेगा. मुकदमें में आगे बढ़ते समय एससीजे द्वारा इन पहलुओं को ध्यान में रखने की जरुरत है.’


यह भी पढ़ें: UP ‘ऑनर किलिंग’: मुस्लिम युवती को दिया जहर, भाइयों ने ‘दलित प्रेमी’ को कमरे में ही गला दबा कर मार डाला


share & View comments