नई दिल्ली : जलवायु के लिए अमेरिका के विशेष राष्ट्रपति दूत जॉन केरी ने संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज28 (सीओपी28) से उन देशों को जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया है, जो वैश्विक जलवायु संकट से लड़ने के लिए किए गए वादों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं.
केरी ने बुधवार को यूएस विदेश विभाग के दुबई क्षेत्रीय मीडिया हब द्वारा आयोजित एक डिजिटल प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, “हम IEA (अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी) के जरिए जानते हैं कि अगर ग्लासगो (COP26) के सभी वादे पूरे हो गए और शर्म अल-शेख (COP27) के सभी वादे पूरे हो गए, तो 2050 तक, आपके ग्रह पर तापमान 1.8°C या 1.7°C हो सकता है. इससे पता चलता है कि इस प्रयास से, चीजें समझ में आ सकती हैं, हालांकि पूरी तरह से नहीं, इस साधारण सी वजह से, जिसे कि हर कोई नहीं कर रहा है, जो कि उन्होंने करने का वादा किया था.”
उन्होंने कहा: “कहने की जरूरत नहीं है कि समस्या है क्या और हमें, कुछ लोगों द्वारा कार्रवाई में कमी के लिए इस सीओपी में जवाबदेही तय करने की जरूरत है.”
1992 में रियो डी जनेरियो में यूएनएफसीसीसी पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से इन पार्टियों (पक्षों) का सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाता है और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में गुरुवार से शुरू होने वाले इस साल के सम्मेलन में 196 देश हिस्सा लेंगे.
यह भी पढ़ें : तेलंगाना विधानसभा चुनाव में BRS सत्ता बचाने, तो कांग्रेस, BJP कब्जाने की लड़ाई में- जानें अहम सीटों का हाल
क्योटो में COP3 और पेरिस में COP21 दो सबसे महत्वपूर्ण सम्मेलन रहे हैं.
COP3 ने क्योटो प्रोटोकॉल को अपनाने का नेतृत्व किया, जिसने अधिक आय वाले देशों के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी उत्सर्जन कटौती लक्ष्य तय किए. COP21 ने पेरिस समझौते का नेतृत्व किया, जिसने 1.5°C तक सीमित करने के प्रयासों के साथ, ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2°C से नीचे सीमित करने का लक्ष्य निर्धारित किया.
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि 2 डिग्री सेल्सियस की सीमा से अधिक ग्लोबल वार्मिंग के विनाशकारी प्रभाव होंगे.
केरी ने बुधवार को यह भी बताया कि सीओपी28 में अमेरिका का फोकस क्या होगा और मीथेन उत्सर्जन पर अमेरिका-चीन का क्या सहयोग होगा.
नुकसान के लिए निर्धारित फंड
केरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि “मजबूत परिणाम हासिल करने” के लिए अमेरिका तीन प्रमुख “अनिवार्य बातचीत वाले मुद्दों” पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो COP28 का हिस्सा हैं, उनमें 2015 पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते की प्रतिबद्धताओं और ‘नुकसान व क्षति’ के संचालन का वैश्विक स्टॉकटेक (धन के स्टॉक का आकलन) शामिल है.
जैसा कि दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था, जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील देशों को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए COP27 में ‘नुकसान और क्षति’ कोष बनाया गया था.
इस साल के COP से पहले, फंड के संचालन की रूपरेखा तय करने के लिए COP27 के बाद एक ट्रांजिशनल समिति बनई गई थी. केरी ने स्पष्ट किया कि अमेरिका इस फंड के संचालन में ट्रांजिशनल समिति द्वारा बनाई गई सहमति का समर्थन करता है.
केरी ने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका उस सर्वसम्मति का पूरी तरह से समर्थन करता है, जिस पर ट्रांजिशनल समिति पहुंची थी, जिसमें हमने काम किया था और इस महीने की शुरुआत में इस बात पर सहमति बनी थी कि आप इस फंड के लिए धन की व्यवस्था को कैसे संचालित करेंगे.”
उन्होंने कहा, “हमें लगता है कि यह फंड… कमजोर देशों की जरूरतों को पूरा करेगा. हमने अपने साझेदारों के साथ उन तरीकों का प्रस्ताव रखने के लिए कड़ी मेहनत की, जिसमें विश्व बैंक को शुरुआत में भंडार के रूप में इस्तेमाल करके इस फंड को जल्दी, लेकिन आत्मविश्वास से तैयार किया जा सकता है.
मीथेन पर अमेरिका-चीन सहयोग
COP28 के दौरान केरी सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में से एक मीथेन पर अमेरिका और चीन के बीच देखते हैं – एक संदेश जिस पर उन्होंने प्रेसवार्ता के दौरान जोर दिया.
केरी ने कहा, “इस वर्ष हम मीथेन के संबंध में एक बहुत ही अहम योगदान को जोड़ रहे हैं, जिसमें तेल और गैस कंपनियों के साथ-साथ देशों व साथ ही चीन और अमेरिका द्वारा एक खास प्रयास भी शामिल होगा, जिस पर हम सनीलैंड्स (कैलिफ़ोर्निया) में सहमत हुए थे, कि मीथेन मुद्दे पर इस सीओपी में एक साथ शामिल होंगे.”
उन्होंने कहा, “मीथेन 50 प्रतिशत ग्लोबल वार्मिंग के लिए ज़िम्मेदार है, ग्लोबल हीटिंग… यह कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में कहीं अधिक हानिकारक, कहीं अधिक विनाशकारी है… हम यह भी सोचते हैं कि यह वार्मिंग के विरुद्ध फायदा हासिल करने की शुरुआत का सबसे आसान, तेज़, और सस्ता तरीका है. मीथेन पर मुख्य फोकस होगा.”
केरी ने इस साल जलवायु परिवर्तन को लेकर चीन के विशेष दूत, झी झेनहुआ से दो बार मुलाकात की- जुलाई में बीजिंग में और नवंबर में सनीलैंड्स, कैलिफोर्निया में – और इन बैठकों के बाद, ‘जलवायु संकट से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने पर सनीलैंड्स स्टेटमेंट’ जारी किया.
दोनों देश COP28 में मीथेन और गैर-CO2 ग्रीनहाउस गैसों पर संयुक्त अरब अमीरात के साथ एक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने पर सहमत हुए.
आईईए के अनुसार, मीथेन का दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक उत्सर्जक भारत के लिए यह मुद्दा मुश्किल है, क्योंकि भारत ने मीथेन उत्सर्जन को कम करने के लिए किए गए उपायों का हवाला देते हुए पिछले दो सीओपी में वैश्विक मीथेन संकल्प पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है. इसने यह भी कहा है कि मीथेन उत्सर्जन देश के “अस्तित्व” का उत्सर्जन है, जबकि पश्चिम में यह एक “लक्जरी” उत्सर्जन है.
(अनुवाद और संपादन : इन्द्रजीत)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें : ओवैसी अपना हैदराबाद का किला बचाते नजर आ रहे हैं, लेकिन तेलंगाना में मुसलमान कहीं और विकल्प तलाश रहे