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Thursday, 5 December, 2024
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कोई ‘घालमेल’ नहीं—UPSC का दावा रैंक साबित करने के लिए दोनों उम्मीदवारों ने बनाए जाली दस्तावेज़

यूपीएससी ने एक बयान में कहा कि वह आयशा मकरानी और तुषार बृजमोहन के खिलाफ ‘धोखाधड़ी’ से यह दावा करने के लिए ‘दंडात्मक कार्रवाई’ करेगी कि उन्हें सिविल सेवाओं के लिए चुना गया था.

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नई दिल्ली: देश में ‘ग्रुप ए’ के अधिकारियों की भर्ती करने वाली केंद्रीय एजेंसी संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने शुक्रवार को कहा कि वह “फर्ज़ी” तरीके से रैंक का दावा करने के लिए दो उम्मीदवारों के खिलाफ “आपराधिक और अनुशासनात्मक दंडात्मक कार्रवाई” करेगी.

पिछले सप्ताह घोषित किए गए परीक्षा परिणामों में पहले नाम साझा करने वाले दो उम्मीदवारों के बीच “मिक्स-अप” की मीडिया रिपोर्ट आने के कुछ दिनों बाद यह बात सामने आई है.

खबरों के मुताबिक, मध्य प्रदेश की दो उम्मीदवारों—देवास से आयशा फातिमा और अलीराजपुर से आयशा मकरानी ने समान 184वीं रैंक हासिल करने का दावा किया है.

यूपीएससी ने के एक बयान में कहा कि इंटर्नल जांच में यह पाया गया था कि मकरानी और हरियाणा के रेवाड़ी के एक अन्य उम्मीदवार तुषार बृजमोहन ने अपने दस्तावेज़ को यह दावा करने के लिए जाली बनाया कि उन्हें “वास्तव में चुने गए उम्मीदवारों के रोल नंबर” के बजाये सिविल सेवा परीक्षा 2022 में यूपीएससी द्वारा चुना गया था.

मकरानी की तरह बृजमोहन ने कथित तौर पर दावा किया था कि उनके पास वही 44वीं रैंक थी, जो उनके जैसे नाम वाले बिहार के भागलपुर जिले के एक अन्य उम्मीदवार तुषार कुमार की थी.

यूपीएससी के अनुसार, दोनों उम्मीदवारों ने पिछले साल आयोजित अपनी प्रारंभिक परीक्षाओं को पास नहीं किया था और परीक्षा के अगले चरण में जाने के लिए कथित रूप से जाली दस्तावेज़ तैयार किए थे.

नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से बात करते हुए, केंद्रीय कार्मिक प्रशिक्षण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि संदिग्धों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की जाएगी.

अधिकारी ने कहा, “चूंकि दोनों उम्मीदवारों ने कभी भी परीक्षा पास नहीं की और देश के निजी नागरिक बने रहे, इसलिए उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी) के तहत जवाबदेह ठहराया जाएगा.”


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कहां हुई गड़बड़

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हफ्ते की शुरुआत में फातिमा और मकरानी दोनों ने एक ही रोल नंबर- 7811744 होने का दावा किया.

यूपीएससी ने अपने बयान में कहा कि मकरानी ने जनरल स्टडीज़ के पेपर-1 में 22.22 और पेपर-2 में 21.09 अंक हासिल किए थे. ये पाया गया कि संबंधित पेपरों के लिए अंक 88.22 और 66 के कट-ऑफ अंक से बहुत कम थे.

बयान में कहा गया है, “उसका वास्तविक एनरोलमेंट नंबर 7805064 है.”

इसमें आगे कहा गया, “वह न केवल पेपर- II में अर्हता प्राप्त करने में विफल रही, बल्कि पेपर- I के कट-ऑफ अंकों की तुलना में बहुत कम अंक प्राप्त किए हैं, जो वर्ष 2022 की प्रारंभिक परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी के लिए 88.22 थे. इसलिए, सुश्री आयशा मकरानी प्रारंभिक परीक्षा के चरण में ही अनुत्तीर्ण हो गईं और परीक्षा के अगले चरण में आगे नहीं बढ़ सकीं.”

दोनों तुषार का मामला भी एक जैसा था. बयान के मुताबिक, दोनों ने एक ही एनरोलमेंट नंबर 1521306 होने का दावा किया था.

बयान में कहा गया है, “उनमें से एक रेवाड़ी, हरियाणा के तुषार बृजमोहन और दूसरे भागलपुर, बिहार के तुषार कुमार थे. दोनों ने यूपीएससी परीक्षा में 44वीं रैंक प्राप्त करने का दावा किया.”

यूपीएससी के बयान में कहा गया है कि रेवाड़ी के तुषार बृजमोहन परीक्षा के पहले दौर को पास करने में असफल रहे थे और उन्होंने जाली दस्तावेज़ बनाए थे.

एजेंसी के अनुसार, बृजमोहन ने जनरल स्टडीज़ के पेपर- I में “शून्य से 22.89 अंक” और पेपर-II में 44.73 अंक प्राप्त किए थे.

बयान में कहा गया, “परीक्षा नियमों की आवश्यकता के अनुसार, उन्हें पेपर- II में कम से कम 66 अंक प्राप्त करने की आवश्यकता थी. इस प्रकार यहां तक कि तुषार भी प्रारंभिक परीक्षा के चरण में असफल हो गए और परीक्षा के अगले चरण में आगे नहीं बढ़ सकते थे. मकरानी और बृजमोहन दोनों ने सिविल सेवा परीक्षा, 2022 नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन किया था.”

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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