चरखी दादरी (हरियाणा): केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनों को ‘नाकाम नहीं होने वाला जन आंदोलन’ करार देते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि मांगें पूरी होने तक घर वापसी नहीं होगी.
टिकैत ने यहां किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को जारी रखने का विश्वास दिलाने के लिए एक नया कानून बनाना चाहिए और गिरफ्तार किये गये किसानों को रिहा करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘यह जन आंदेलन है, यह फेल (नाकाम) नहीं होगा.’
टिकैत ने दावा किया कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन मजबूत होता जा रहा है. कई खाप नेता महापंचायत में मौजूद थे. टिकैत ने आंदोलन को मजबूत करने में उनकी भूमिका की सराहना की.
दादरी से निर्दलीय विधायक एवं सांगवान खाप के प्रमुख सोमबीर सांगवान भी कार्यक्रम में मौजूद थे. उन्होंने पिछले साल दिसंबर में राज्य की भाजपा-जजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. उन्होंने राज्य सरकार को ‘किसान विरोधी’ कहा है.
टिकैत ने तीन फरवरी को अपनी पहली किसान महापंचायत को हरियाणा के जींद स्थित कंडेला में संबोधित किया था.
उत्तर प्रदेश से बीकेयू नेता टिकैत केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के प्रदर्शनों के तहत दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं.
टिकैत ने कहा कि राजा हर्षवर्धन के शासन काल के दौर से ही खाप समाज में अपनी भूमिका निभाते आ रहे हैं.
बीकेयू नेता ने कहा कि जब किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था तब इसे पंजाब और हरियाणा का आंदोलन करार देते हुए इसे विभाजित करने की कोशिशें की गई थी.
किसान संगठनों के बीच एकजुटता प्रदर्शित करने की कोशिश करते हुए टिकैत ने कहा, ‘मंच और पंच नहीं बदलेंगे.’
बीकेयू नेता ने प्रदर्शनकारी किसानों को आगाह करते हुए कहा, ‘कुछ लोग आपको सिख, गैर सिख के तौर पर विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन एकजुट रहना है.’
टिकैत ने एक बार फिर से पंजाब बीकेयू नेता बलबीर सिंह राजेवाल की सराहना की, जिन्होंने आंदोलन का शानदार नेतृत्व किया है. वह इस मौके पर मौजूद थे.
टिकैत ने कहा, ‘राजेवाल हमारे बड़े नेता हैं. हम यह लड़ाई मजबूती से लड़ेंगे.’
उन्होंने उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा का भी जिक्र किया.
उन्होंने कहा, ‘उत्तराखंड में एक बड़ी आपदा आई है. मैं बीकेयू परिवार एवं अन्य किसान संगठनों से मदद का हाथ बढ़ाने तथा स्थानीय प्रशासन की सहायता करने की अपील करता हूं.’
यह भी पढ़ें: ट्विटर इंडिया पॉलिसी हेड ने दिया इस्तीफ़ा, फर्म ने कहा, ‘सरकार की चेतावनी से नहीं कोई संबंध’