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Friday, 22 November, 2024
होमदेशकोई डेडलाइन नहीं, सीजेआई के खिलाफ बड़ी साजिश को साबित करने में समय लगेगा : पटनायक

कोई डेडलाइन नहीं, सीजेआई के खिलाफ बड़ी साजिश को साबित करने में समय लगेगा : पटनायक

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके पटनायक के रूप में 25 अप्रैल को एक सदस्यीय पैनल का गठन किया गया था.

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नई दिल्लीः मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर अप्रैल में यौन उत्पीड़न के आरोप ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय को एक अभूतपूर्व संकट में डाल दिया था, तब शीर्ष अदालत ने तेजी से आरोपों की जांच का आदेश दिया था. साथ ही, 25 अप्रैल को पूर्व जज, एके पटनायक के रूप में एक सदस्यीय पैनल का गठन किया गया था.

मामले में जस्टिस एसए बोबड़े, इंदिरा बनर्जी और इंदु मल्होत्रा ​​के तीन न्यायाधीशों के आंतरिक पैनल द्वारा तेजी से सुनवाई की गई और प्राथमिक सबूतों के आधार पर गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों को खारिज कर दिया गया था, जबकि पटनायक की जांच की प्रगति की कोई जानकारी नहीं है.

पटनायक के पैनल की कार्यवाही से जुड़े सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, ‘रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है और चूंकि कोई समयसीमा नहीं दी गई है, इसमें समय लगेगा.’


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सूत्र ने कहा, ‘पैनल को एससी द्वारा गठित इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार था.’

‘जैसा कि पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार पूर्व जज अब इस मामले को देख रहे हैं. चूंकि कोई समय सीमा नहीं है, इसलिए रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में कुछ समय लगेगा.’

तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें उसने मई में सीजेआई को सभी आरोपों से बरी कर दिया था. रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई थी लेकिन सीजेआई को पेश की गई थी.

दिप्रिंट ने आधिकारिक पुष्टि के लिए न्यायमूर्ति एके पटनायक के कार्यालय से संपर्क किया लेकिन वहां के अधिकारियों ने कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया.

बड़ा षड्यंत्र

पटनायक पैनल का गठन अप्रैल में दिल्ली के एक वकील, उत्सव बैंस द्वारा दायर उस हलफनामे के बाद किया था जिसमें कहा गया था कि उन्हें उन घटनाओं की कड़ी की जानकारी थी जिन वजहों से सीजेआई गोगोई के खिलाफ उनके कार्यालय में काम करने वाली एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.

बैंस ने हलफनामे में आरोप लगाया था कि सीजेआई के खिलाफ उत्पीड़न का आरोप एक बड़ी साजिश का हिस्सा था, जो उन्हें फंसाने के लिए एक बड़े कॉरपोरेट घराने द्वारा बर्खास्त कोर्ट स्टाफ के साथ मिलकर बनाई गई थी.


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बैंस ने यह भी दावा किया था कि उन्हें गोगोई को ‘फ्रेम’ (फंसाने) करने के लिए 1.5 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने तब आदेश दिया था कि बैंस द्वारा दायर हलफनामे को एक सील कवर में जस्टिस पटनायक (रिट.) को हस्तांतरित किया जाए. तब यह भी कहा गया था कि ‘सीबीआई, आईबी और दिल्ली पुलिस कमिश्नर के निदेशक न्यायिक पटनायक (रिट.) को जांच के दौरान और जब आवश्यक हो, सहयोग करेंगे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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