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Sunday, 3 November, 2024
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CM पेमा खांडू ने बताया- निर्माण उनकी तरफ ही हो रहा, अरुणाचल में चीन का कोई गांव नहीं

मुख्यमंत्री खांडू का कहना है कि चीन के किसी भी सैनिक ने अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश नहीं किया है और न ही राज्य के किसी इलाके में उनकी तरफ से कोई विकास कार्य ही किया गया है.

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मेचुका (शि योमी जिला): चीन की तरफ से सीमा पर कुछ निर्माण किए जाने संबंधी हालिया रिपोर्टों पर अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने स्पष्ट किया कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में कोई गांव नहीं बसाया है और पड़ोसी देश ने सीमा के पास जो कुछ भी विकास कार्य किया है वह उसके अपने इलाके में ही है.

खांडू ने दिप्रिंट को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘दो दिन पहले मैं उसी क्षेत्र मोनिगोंग (उसी जगह के पास जहां चीनी निर्माण गतिविधियों की बात कही जा रही है) में था. मैंने वहां रक्षा कर्मियों के साथ बातचीत की थी. हमारे पास स्पष्ट जानकारी है कि जो भी विकास कार्य और गतिविधियां (चीन की तरफ से) चली हैं, वह पड़ोसी देश के अपने इलाके में हैं.’

एक सैटेलाइट इमेज एक्सपर्ट, जिसका ट्विटर हैंडल @Detresfa_ है, ने पिछले महीने बताया था कि एक नया गांव ‘सर्वे ऑफ इंडिया और मैकमोहन लाइन की सीमा के अंदर बसा नजर आता है.’

पेंटागन ने भी नवंबर में अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी एक रिपोर्ट में पिछले साल त्सारी नदी (मैकमोहन लाइन) के पास एक विवादित क्षेत्र में नया चीनी गांव बसने का उल्लेख किया था. पिछले माह एक रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया था कि ‘चीन ने अरुणाचल प्रदेश में कम से कम 60 इमारतों वाली एक दूसरी बस्ती या एन्क्लेव का निर्माण किया है.’

पेंटागन की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया जताते हुए विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि यद्यपि चीन ने अतीत में इस तरह के निर्माण किए थे, ‘भारत ने न तो अपने क्षेत्र पर चीन के अवैध कब्जे को स्वीकार किया है और न ही उसके अनुचित दावों को.’ वहीं, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ने इन रिपोर्टों को खारिज करते हुए दावा किया था कि चीन की तरफ से कोई भी निर्माण एलएसी के इस तरफ नहीं किया गया है.

पेंटागन की रिपोर्ट के संदर्भ में अरुणाचल के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘पेंटागन ने इस तरह की एक प्रेस रिपोर्ट जारी की थी कि चीन ने अरुणाचल में गांव का निर्माण किया है, जो कि पूरी तरह निराधार तथ्यों पर आधारित है. ये क्षेत्र भारत सरकार के नियंत्रण में है. उन्होंने (चीनियों ने) कोई गांव नहीं बसाया है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘चीन के किसी भी सैनिक ने अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश नहीं किया है और न ही अरुणाचल के किसी इलाके में उनकी तरफ से कोई विकास कार्य ही किया गया है.’

खांडू ने यह बात जनवरी 1972 में पूर्वोत्तर सीमांत एजेंसी (एनईएफए) का नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश किए जाने के 50 साल पूरे होने के मौके पर एक माह तक चलने वाले उत्सव के सिलसिले में सरकार के मीडिया अभियान की शुरुआत के लिए शि योमी जिले के मेचुका की अपनी यात्रा के दौरान कही.

मुख्यमंत्री ने एलएसी पर सुरक्षा की स्थिति, क्षेत्र में केंद्र की तरफ बुनियादी ढांचे के विस्तार, राज्य सरकार के सामने आने वाली चुनौतियों और पूर्वोत्तर में भाजपा और कांग्रेस की संभावनाओं के बारे में भी बात की.


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एलएसी की स्थिति, सीमावर्ती क्षेत्र में विकसित होते गांव

अरुणाचल प्रदेश पश्चिम में भूटान और पूर्व में म्यांमार के साथ सीमाएं साझा करता है और चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ इसकी 1,129 किलोमीटर लंबी सीमा विवादों से घिरी है. एलएसी का पूर्वी क्षेत्र राज्य को चीन से अलग करता है और इसके लिए मैकमोहन लाइन को स्वीकार किया जाता है.

यह पूछे जाने पर कि एलएसी पर भारतीय चौकसी की क्या स्थिति है और क्या सीमा के पास चीन की गतिविधियों को लेकर कोई चिंता बढ़ रही है, खांडू ने कहा, ‘(रक्षा) तैनाती के मामले में हम भी मैनपॉवर के लिहाज से पूरी तरह तैयार हैं. यहां भारी संख्या में भारतीय सेना की मौजूदगी है. उन्हें जो भी चौकी दी गई है, वे वहां पर अच्छी तरह गश्त करने में सक्षम हैं.’

राज्य विधानसभा ने भी बेहतर शिक्षा के अवसरों, स्वास्थ्य देखभाल और नौकरियों के लिए पलायन को रोकने के लिए सीमा से लगे गांवों में रहने वाले लोगों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत बताई है.

सीमा के दूसरी ओर की स्थिति की तुलना में अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के बाबत पूछे जाने पर खांडू ने कहा, ‘मुख्यमंत्री के तौर पर मैं उन क्षेत्रों का दौरा करने की कोशिश कर रहा हूं, जहां बुनियादी ढांचे की कमी है. राज्य सरकार की ओर से हम हमेशा ही अपने लोगों को अपने गांव में रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.’

खांडू ने कहा, ‘सभी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी, खासकर सड़कों के निर्माण पर हमारा विशेष जोर रहता है. विकास कार्य अच्छी गति से आगे बढ़ रहे हैं.’

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अब धीरे-धीरे लोगों के अपने गांवों में लौटने की प्रवृत्ति नजर आने लगी है.


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फंडिंग की समस्या

राज्य सरकार को विकास संबंधी कार्यों को आगे बढ़ाने में जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उनमें से एक धन की कमी भी है.

अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चाउना मीन ने पिछले महीने केंद्र के समक्ष इस मुद्दे को उठाया भी था. साथ ही इस बात को रेखांकित किया था कि चीन की तरफ से बार-बार यह दावा किए जाने के कारण कि अरुणाचल दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, राज्य को मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंकों से फंडिंग नहीं मिलती है.

खांडू ने कहा, ‘दुर्भाग्य से इस अव्यावहारिक दावे के कारण अरुणाचल विदेशी सहायता पाने से वंचित हो गया है. कई अन्य राज्यों के विपरीत अरुणाचल को कभी भी विदेशी फंड नहीं मिलता है.’ साथ ही जोड़ा कि केंद्र सरकार रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (आरआईडीएफ) और नॉन-लैप्सेबल सेंट्रल पूल ऑफ रिसोर्सेज (एनएलसीपीआर) जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाओं के जरिये इस अंतर की भरपाई करने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर आरआईडीएफ में अरुणाचल का हिस्सा विदेशी फंड की कमी की भरपाई के लिए ही बढ़ाया गया है.


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अरुणाचल प्रदेश, पूर्वोत्तर में भाजपा के लिए संभावनाएं

खांडू ने पूर्वोत्तर में भाजपा की संभावनाओं के बारे में भी बातचीत की.

कांग्रेस के पूर्व नेता खांडू ने 2016 में (42 अन्य विधायकों के साथ) पहले पाला बदलकर पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल का दामन थामा था और बाद में उसी साल भाजपा में शामिल हो गए.

विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम- जिसकी इस क्षेत्र में कड़ी आलोचना हुई थी- को पारित किए जाने के संदर्भ में पूर्वोत्तर की राजनीतिक बारीकियों पर भाजपा की समझ के बारे में पूछे जाने पर खांडू ने कहा, ‘भाजपा देश की एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है जो वास्तव में कुछ समझने की कोशिश करती है….नागरिकता कानून को अंतिम रूप देने से पहले माननीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक बुलाई थी.’

खांडू ने बताया कि बैठक के दौरान उन्होंने अनुरोध किया था कि राज्य को अधिनियम के दायरे से मुक्त किया जाए, क्योंकि यह एक जनजातीय राज्य है और इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के अंतर्गत आता है. सीएए को अरुणाचल प्रदेश सहित आईएलपी के तहत आने वाले क्षेत्रों में लागू नहीं किया गया था.

उन्होंने कहा, ‘इस तरह का परामर्श पहले भी किया जा चुका है.’

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पूर्वोत्तर में कांग्रेस के पतन के बारे में भी बात की.

खांडू ने कहा, ‘समय के साथ कांग्रेस नेतृत्व देशभर में लोगों की समस्याएं दूर करने में नाकाम रहा है. पूर्वोत्तर राज्यों की अपनी अलग समस्याएं और चुनौतियां हैं. जब तक केंद्रीय नेतृत्व से हमें पूरी तरह सहयोग नहीं मिलता, पूर्वोत्तर राज्यों का विकास की राह पर आगे बढ़ना मुमकिन नहीं है.’

खांडू ने आगे कहा कि पिछले सात वर्षों में क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के निर्माण पर भाजपा नेतृत्व के फोकस ने पूर्वोत्तर के बारे में दृष्टिकोण पूरी तरह बदल दिया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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