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Thursday, 14 August, 2025
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एनएमए ने पटना में अशोक महल के क्षेत्र के लिए विरासत उपनियमों का मसौदा जारी किया

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पटना, 28 अक्टूबर (भाषा) बिहार की राजधानी स्थित जिस जगह पर सम्राट अशोक का महल होना माना जाता है उस क्षेत्र के संरक्षण और उसके आसपास के इलाकों के विकास के लिए राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) ने विरासत उपनियमों का मसौदा जारी किया है।

पटना के कुम्हरार क्षेत्र में जिस जगह अशोक का महल कथित तौर पर स्थित है उसको भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित किया जा रहा है। कुम्हरार पटना का वह क्षेत्र है जहां प्राचीन शहर पाटलिपुत्र के अवशेषों की खुदाई की गई थी।

मौर्य काल ((322-185 ईसा पूर्व)) के पुरातात्विक अवशेष यहां खोजे गए हैं जिसमें 80 खंभों वाले एक सभागार का खंडहर भी शामिल है।

यहां प्राप्त अवशेष 600 ईसा पूर्व तक के हैं। यह अजातशत्रु, चंद्रगुप्त और अशोक की प्राचीन राजधानी को चिह्नित करते हैं और सामूहिक रूप से अवशेष 600 ईसा पूर्व से 600 ईस्वी तक की चार निरंतर अवधियों के हैं।

विरासत उपनियमों का मसौदा सक्षम प्राधिकारी द्वारा किए गए क्षेत्र सर्वेक्षण के आधार पर प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष (एएमएएसआर) अधिनियम, 1958 की धारा 20 (ई) के तहत जारी किया गया है।

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एनएमए को केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के आसपास निषिद्ध और विनियमित क्षेत्र के प्रबंधन के माध्यम से स्मारकों और स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण सहित कई कार्य सौंपे गए हैं।

निषिद्ध और विनियमित क्षेत्र में निर्माण-संबंधी गतिविधि के लिए आवेदकों को अनुमति देने पर विचार करना भी एनएमए की जिम्मेदारी है।

उप नियमों में कहा गया, ‘‘कुम्हरार में 1951 से 1955 के बीच के.पी. जायसवाल अनुसंधान संस्थान के तत्वावधान में खुदाई की गई थी, जिसमें मौर्य काल से 600 ईस्वी तक के स्थल के सांस्कृतिक अनुक्रम का पता चला था। इनके अलावा, मौर्य स्तंभ वाले सभागार के स्तंभों के आठ और आधार मिले। ये आधार 1912-14 में डॉ. स्पूनर द्वारा उजागर किए गए स्तंभ वेदिका के अतिरिक्त थे।’’

अशोक महल के स्थल के लिए विरासत उपनियमों के मसौदे पर टिप्पणी करते हुए, राज्य सरकार की बिहार हेरिटेज डेवलपमेंट सोसाइटी (बीएचडीएस) के कार्यकारी निदेशक, बिजॉय कुमार चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘केंद्रीय संरक्षण के लिए विरासत उपनियम तैयार किया जा रहा है जो एनएमए के लिए अनिवार्य है। लेकिन एक बात मुझे अवश्य कहनी चाहिए कि कुम्हरार में प्राचीन मौर्य/अशोक महल के उत्खनन अवशेष पटना के गौरवशाली अतीत के जीवित संकेत हैं।’’

भाषा धीरज प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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