नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) दिल्ली पुलिस ने दो अलग-अलग अभियान में तीन नाबालिगों सहित नौ बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, जो राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न स्थानों पर अवैध रूप से रह रहे थे। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
इससे पहले 25 मई को अपराध शाखा की एक टीम ने दिल्ली के नरेला से चार बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया। वे सड़कों के किनारे की बस्तियों और अस्थायी आवासों में रह रहे थे।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जमीनी स्तर पर एकत्रित खुफिया जानकारी के आधार पर टीम ने चार लोगों- हफीजुल (19), मोमिनुल (21), शमीम (22) और इनामुल (38) को हिरासत में लिया, जो बांग्लादेश के खुदीग्राम और नकेशवरी जिलों के निवासी हैं।
अधिकारी के अनुसार, चारों कोई भी वैध दस्तावेज पेश करने में विफल रहे। पूछताछ के दौरान, उन्होंने बचपन में अपने माता-पिता के साथ अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने की बात स्वीकार की। अधिकारियों ने कहा कि हालांकि चारों के परिवार बाद में बांग्लादेश लौट गए, लेकिन वे भारत में ही रहे। ये बिना किसी कानूनी अनुमति के रह रहे थे।
उन्होंने बताया कि वे काम की तलाश में बहादुरगढ़, सोनीपत, खुर्जा, महेंद्रगढ़, गाजियाबाद, बहरोड़ और दिल्ली समेत अन्य शहरों में अक्सर घूमते रहते थे और पकड़े नहीं जाते थे।
इसके अलावा, पूर्वी जिला पुलिस ने बुधवार को आनंद विहार इलाके से पांच बांग्लादेशी नागरिकों- एक दंपति और उनके तीन नाबालिग बच्चों को पकड़ा।
पुलिस ने बताया कि पकड़े गए लोगों की पहचान मोहम्मद शाहीन (30), उसकी पत्नी रुजीना (26) और उनके 14, 9 और 4 साल के बच्चों के रूप में हुई है। ये सभी बांग्लादेश के शिमुलबाड़ी गांव के निवासी हैं।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वे नदी मार्गों से अवैध रूप से भारत में घुसे थे और बिना वैध दस्तावेजों के पूर्वी दिल्ली में रह रहे थे।
उन्होंने बताया कि हिरासत में लिए गए लोग पूछताछ के दौरान अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने में असफल रहे तथा उनके मोबाइल फोन से बरामद डिजिटल साक्ष्यों से उनकी बांग्लादेशी पहचान की पुष्टि हुई।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सभी नौ लोगों को फिलहाल हिरासत केंद्र में रखा गया है और उन्हें वापस भेज दिया जाएगा। मामले में आगे जांच की जा रही है।’’
अवैध प्रवासियों की पहचान करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पिछले साल 19 नवंबर को एक विशेष अभियान शुरू किया गया था। अब तक पूर्वी जिले से 20 बांग्लादेशी नागरिकों को निर्वासित किया जा चुका है।
भाषा आशीष पवनेश
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