श्रीनगर, 25 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष टीमों ने दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादियों द्वारा किए गए घातक हमले में जीवित बचे पर्यटकों सहित प्रत्यक्षदर्शियों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
मानव रहित विमानों (यूएवी) और ड्रोन जैसे नवीनतम उपकरणों से लैस जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बल पीर पंजाल रेंज के घने जंगलों में आतंकवादियों की तलाश में बड़े पैमाने पर अपना अभियान जारी रखे हुए हैं।
एनआईए ने हालांकि अभी तक इस मामले की जांच अपने हाथ में नहीं ली है, लेकिन इसकी टीमों ने उन सुरागों की तलाश में जीवित बचे लोगों से बातचीत शुरू कर दी है, जो उन आतंकवादियों को पकड़ने में मदद कर सकते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि टीमों ने मंगलवार को प्रत्यक्षदर्शियों से संपर्क करना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के सघन अभियान के कारण पिछले कुछ दिनों में दक्षिण और उत्तरी कश्मीर में कुछ मुठभेड़ें हुई हैं और शुक्रवार को बांदीपुरा जिले में लश्कर के शीर्ष कमांडर अल्ताफ लाली को मार गिराया गया।
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। इस मामले की शुरुआती जांच से पता चलता है कि इसमें शामिल आतंकवादियों की संख्या पांच से सात हो सकती है। अधिकारियों ने बताया कि उन्हें पाकिस्तान में प्रशिक्षण प्राप्त कम से कम दो स्थानीय आतंकवादियों से मदद मिली थी।
अधिकारियों के अनुसार उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर, मुख्य संदिग्ध बिजबेहरा निवासी आदिल ठोकर उर्फ आदिल गुरी और त्राल निवासी आसिफ शेख की भूमिका सामने आई है।
अधिकारियों का मानना है कि थोकर 2018 में पाकिस्तान चला गया था, जहां उसने प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के साथ सशस्त्र प्रशिक्षण लिया और फिर हमले करने के लिए भारत लौटा।
उन्होंने बताया कि दोनों आतंकवादियों के घर तब नष्ट हो गए जब वहां रखे विस्फोटकों में विस्फोट हो गया।
भाषा शोभना प्रशांत
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