मुंबईः राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने एंटीलिया बम मामले और कारोबारी मनसुख हिरन की हत्या के आरोपी क्रिकेट सट्टेबाज नरेश गौड़ को जमानत देने के विशेष अदालत के आदेश को शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी.
विशेष एनआईए अदालत ने 20 नवंबर को गौड़ को जमानत दे दी थी, लेकिन वह अभी भी जेल में है क्योंकि अदालत ने 25 दिन के लिए अपने आदेश पर रोक लगा दी थी. इस सप्ताह की शुरुआत में उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने स्थगन आदेश यह कहते हुए रद्द कर दिया कि सत्र न्यायालय के न्यायाधीश के पास अपने ही आदेश पर रोक लगाने की शक्ति नहीं है.
जांच एजेंसी ने अपनी अपील में कहा है कि वर्तमान मामला ‘आतंकवाद से जुड़ा अपराध’ है और लोगों के बीच आतंक फैलाने के इरादे से यह कृत्य किया गया.
एनआईए के वकील संदेश पाटिल ने न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ से एकल पीठ के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगाने का अनुरोध किया.
गौड़ के वकील शिरीष गुप्ते और अनिकेत निकम ने दलील दी कि याचिका के तथ्यों के आधार पर जमानत मिलने के बावजूद वह (गौड़) जेल में है. गुप्ते ने कहा, ‘उसे रिहा करना चाहिए. अगर जमानत आदेश के खिलाफ एनआईए की अपील को स्वीकार कर लिया जाता है तो वह (आरोपी) आत्मसमर्पण कर देगा.’ पीठ ने कहा कि वह 15 दिसंबर से तथ्यों के आधार पर अपील पर सुनवाई शुरू करेगी.
एनआईए ने इस साल मार्च में गौड़ को एंटीलिया बम मामले में शामिल होने और व्यवसायी हिरन की हत्या में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. एनआईए के मुताबिक गौड़ ने मामले में सह-आरोपियों को सिम कार्ड मुहैया कराए थे.
एजेंसी ने उच्च न्यायालय में अपनी अपील में दावा किया कि गौड़ और बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन वाजे समेत मामले के अन्य आरोपियों ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के पास विस्फोटक सामग्री वाली एक गाड़ी खड़ी की थी और उसके बाद इलाके में रहने वाले लोगों में आतंक फैलाने के इरादे से वाहन के मालिक हिरन की हत्या कर दी.
एनआईए ने याचिका में कहा है कि विशेष अदालत ने एक गलत आदेश पारित किया. एजेंसी ने आरोप लगाया कि गौड़ को इस बात की पूरी जानकारी थी कि उसने जो सिम कार्ड दिए उसका इस्तेमाल जबरन वसूली और आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के लिए किया जाना था.
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