भूपतिनगर: 15-वर्षीय मोनोतोष जाना पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर के नरूआबिला गांव में अपने मिट्टी के घर के दरवाज़े पर बैठे हैं. उनके पिता को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार तड़के गिरफ्तार कर लिया था.
मोनोतोष जिन्होंने अभी फरवरी में दसवीं के बोर्ड की परीक्षा दी है, ने कहा, “सुबह करीब 5:30 बजे, वो मेरे पिता को ले गए और मुझे उनकी कोई खबर नहीं है. मेरी मां भगवान शिव से प्रार्थना करने गई हैं. मेरे पिता ने कुछ भी गलत नहीं किया है.”
कपड़े, बर्तन और कंटेनर फर्श पर बिखरे हुए थे, गद्दे उलटे हुए थे — दिसंबर 2022 के भूपतिनगर विस्फोट मामले की जांच करने के लिए एनआईए टीम के गांव में उतरने के बाद ऐसा लग रहा था जैसे घर में तूफान आ गया हो. नरूआबिला गांव भूपतिनगर पुलिस थाने के तहत आता है.
अब घर पर अकेले मोनोतोष ने दिप्रिंट से बात करते हुए उन दृश्यों को याद किया जो शनिवार सुबह उनके सामने सामने आए थे.
मोनोतोष ने कहा, “तड़के 3 बजे, हमने दरवाज़े पर ज़ोर से थपथपाने की आवाज़ सुनी. गहरी नींद में हमें यह समझने में थोड़ा समय लगा कि क्या हो रहा है. मैंने दरवाज़ा खोला तो 15-16 अधिकारी थे, उन्होंने घर को घेर लिया था और अंदर आ गए. उन्होंने मेरे पिता को लात मारी, मेरी मां को चोट पहुंचाई और हमारी चीज़ों को खंगालना शुरू कर दिया.”
एजेंसी के बयान के अनुसार, उनके (मोनोतोष) 40-वर्षीय पिता मोनोब्रोतो को बलाई चरण मैती के साथ एनआईए ने गिरफ्तार कर लिया था, क्योंकि एनआईए ने पाया था कि उन्होंने आतंक फैलाने के लिए कच्चे बम बनाने और भूपतिनगर में विस्फोट करने की साजिश रची थी, इस हमले में तीन लोगों की मौत हो गई थी.
मोनोतोष ने कहा, “उन्होंने (एनआईए अधिकारियों ने) मुझे वाहन के अंदर डाला और मुझे अपने पिता के साथ आने के लिए कहा.”
ग्रामीणों के अनुसार, जब उन्होंने एनआईए टीम को एक नाबालिग को अपने वाहन में ले जाते देखा, तो महिलाएं उत्तेजित हो गईं और अधिकारियों और उनके वाहन को रोक दिया, जो गांव की एक संकरी सड़क में घुस गए थे. गवाहों ने यह भी दावा किया कि जब वे गिरफ्तारियों का विरोध कर रहे थे, तो केंद्रीय बल ने “अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और ग्रामीणों पर शारीरिक हमला किया”.
एनआईए ने बाद में आरोप लगाया कि उनकी टीम पर भूपतिनगर में भीड़ ने हमला किया था.
घटना के दिन एनआईए द्वारा जारी एक प्रेस बयान में कहा गया: “एनआईए टीम के एक सदस्य को मामूली चोट लगी और एजेंसी के आधिकारिक वाहन को भी नुकसान हुआ क्योंकि भीड़ में कुछ उपद्रवियों ने उन पर हमला किया. आक्रामक भीड़ ने गिरफ्तारी की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए एनआईए टीम और उसके सुरक्षा अधिकारियों को भूपतिनगर थाने की ओर बढ़ने से रोकने की कोशिश की. एनआईए ने इस संबंध में स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई है.”
हालांकि, भूपतिनगर के ग्रामीणों का घटनाओं पर एक अलग दृष्टिकोण है. नाम न छापने की शर्त पर 36-वर्षीय ग्रामीण ने बताया कि मोनोब्रोतो को “उनकी राजनीतिक संबद्धताओं के लिए निशाना बनाया गया था”.
उन्होंने कहा, “एनआईए ने पिछले साल दिसंबर में पंचायत चुनाव से ठीक पहले पांच-छह ग्रामीणों को नोटिस भेजा था और अब लोकसभा चुनाव से पहले फिर से उन्होंने नोटिस भेजा है और (मोनोब्रोतो) जाना को गिरफ्तार किया है. वे यहां (सत्तारूढ़) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे हैं.”
ग्रामीणों ने दिप्रिंट को बताया कि मोनोब्रोतो एक ड्राइवर है जो यात्रियों को पूरे जिले में और कभी-कभी पड़ोसी राज्य ओडिशा में भी ले जाता था. नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य ग्रामीण ने कहा, “उनका एकमात्र दोष यह था कि उन्होंने टीएमसी के लिए काम किया और इसीलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है.”
एनआईए के सूत्रों ने आरोपियों को गिरफ्तार करते समय “शारीरिक हमले” के आरोपों का खंडन किया और कहा कि एनआईए अदालत से वारंट प्राप्त करने से लेकर गिरफ्तार व्यक्तियों को नियमों के अनुसार, अदालत में पेश करने से पहले मेडिकल जांच करने तक उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था.
बुधवार के अदालत के आदेश के अनुसार, पश्चिम बंगाल पुलिस ने कलकत्ता हाई कोर्ट को सूचित किया था: “एनआईए की एक टीम शनिवार सुबह 4:15 बजे भूपतिनगर थाने पहुंची थी और लगभग 4:25 बजे मदद के लिए अनुरोध पत्र दिया था. ऐसी कोई जगह नहीं बताई गई जहां पर छापा मारा जाए. इसके बावजूद फोर्स की व्यवस्था की गई, लेकिन, सुबह 6:25 बजे तक मदद के लिए कोई कॉल नहीं आई. सुबह करीब 6:45 बजे जब स्थानीय पुलिस अधिकारी उक्त गांव के पास गए तो देखा कि एनआईए की टीम लौट रही है. एनआईए कर्मियों ने पुलिस अधिकारियों को वहां हुई घटनाओं के बारे में बताया. सुबह 8:40 बजे आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई. एनआईए अधिकारियों ने पुलिस को इस तरह की छापेमारी के लिए मदद करने का मौका नहीं दिया था.”
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केस का इतिहास और जांच
लोकसभा चुनाव के प्रचार के बीच शनिवार की घटना ने टीएमसी को गैर-भाजपा शासित राज्यों में केंद्रीय एजेंसियों के “दुरुपयोग” के खिलाफ अपना मामला मजबूत करने की अनुमति दे दी है.
विस्फोट का मामला दिसंबर 2022 का है, जब देर रात भूपतिनगर में टीएमसी के एक ब्लॉक अध्यक्ष के घर को एक विस्फोट में उड़ा दिया गया था, जिसमें टीएमसी नेता, उनके भाई और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई थी.
ग्रामीणों ने दावा किया कि टीएमसी बूथ अध्यक्ष का घर एक अवैध पटाखा फैक्ट्री थी, लेकिन उन्होंने कच्चे बम के निर्माण के आरोपों से इनकार किया, जिसकी जांच एनआईए अब कर रही है.
जबकि कलकत्ता हाई कोर्ट ने उस मामले की एनआईए जांच का आदेश दिया था, जिसकी शुरुआत में पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा जांच की जा रही थी, मामले को स्थानांतरित करते हुए, उसने पुलिस को एनआईए को जांच शुरू करने के लिए विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धाराएं जोड़ने का भी निर्देश दिया.
एनआईए के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि विस्फोट की फोरेंसिक रिपोर्ट देखने के बाद, “कुछ सुराग” सामने आए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि एनआईए ने नोटिस दिया था, लेकिन मामले में गवाह के रूप में बुलाए गए लोगों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
एनआईए द्वारा शनिवार को गिरफ्तार किए गए दो लोग सक्रिय टीएमसी कार्यकर्ता हैं और उन्होंने दिसंबर 2022 में विस्फोट में मारे गए टीएमसी बूथ अध्यक्ष राजकुमार मन्ना की मौत के बाद पार्टी के काम की कमान संभाली थी.
इस मामले में अब तक ये केवल दो गिरफ्तारियां हुई हैं. दिप्रिंट के पास एनआईए द्वारा मामले में दर्ज की गई एफआईआर की प्रति मौजूद है.
शनिवार की घटना के कुछ घंटों बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि एनआईए “महिलाओं को परेशान कर रही है”.
बालुरघाट में एक रैली में बोलते हुए बनर्जी ने कहा: “महिलाओं ने भूपतिनगर में किसी पर हमला नहीं किया. एनआईए ने पहले हमला किया…वो गलत समय पर किसी के घर गए और महिलाओं को परेशान किया.”
रविवार को भूपतिनगर पुलिस ने कुछ ग्रामीणों की शिकायत पर एनआईए अधिकारियों और उनके साथ आए सीआरपीएफ कर्मियों पर महिलाओं से “छेड़छाड़” करने का मामला दर्ज किया. एनआईए द्वारा अपने अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एनआईए अधिकारियों को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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