नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने भूजल निकासी के नियमन के लिए जिम्मेदार निकाय के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के बजाय एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने को लेकर दिल्ली सरकार सहित संबंधित प्राधिकारियों को फटकार लगाई है।
एनजीटी ने कहा कि यह एक ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ स्थिति है, जहां अधिकारी अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से अनभिज्ञ हैं। उसने दिल्ली के मुख्य सचिव को यह पता लगाने का निर्देश दिया कि कौन सा प्राधिकरण भूजल निकासी को विनियमित करता है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने यहां अवैध भूजल निकासी के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली सरकार और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) से पूछा गया था कि भूजल की अवैध निकासी को रोकने के लिए कौन सा प्राधिकरण जिम्मेदार है, लेकिन कोई भी इसका जवाब नहीं दे सका।
पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार के वकील को यह नहीं पता कि इसके लिए कौन सा अधिकारी जिम्मेदार है, जबकि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने कहा है कि जिम्मेदारी जिला स्तरीय सलाहकार समिति की है और डीपीसीसी ने कहा कि उपायुक्त (राजस्व) जिम्मेदार हैं।
एनजीटी ने 22 अगस्त के अपने आदेश में कहा, ‘‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। मामला लंबे समय से लंबित है और इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी अधिकारी अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से अवगत नहीं हैं और वे स्पष्ट रूप से यह बताए बिना कि दिल्ली में भूजल निकासी को विनियमित करने के लिए कौन सा प्राधिकरण जिम्मेदार है, जवाबदेही एक-दूसरे पर डाल रहे हैं।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘इन परिस्थितियों में, हम दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश देते हैं कि वे उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जिम्मेदार प्राधिकरण का पता लगाएं और संबंधित प्राधिकरण को उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ की गई/की जाने वाली कार्रवाई के संबंध में अधिकरण के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दें।’’
मामले की अगली सुनवाई तीन सितंबर के लिए सूचीबद्ध की गई।
भाषा
शफीक संतोष
संतोष
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