नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण ब्यूरो (सीपीसीबी) को आदेश दिया है कि वह अमेजन एवं फ्लिपकार्ट जैसी ई कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ पर्यावरण संबंधी लेखा परीक्षा करे और पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने के लिए उनसे जुर्माना वसूले.
एनजीटी ने कहा कि सांविधिक नियामक ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘सीपीसीबी ने एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कानून लागू नहीं करने के लिए फिर से कोई न कोई कारण बताया गया है, लेकिन इसमें यह नहीं बताया गया कि सीपीसीबी ने नियमों का उल्लंघन रोकने के लिए प्रत्यक्ष रूप से या राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के समन्वय से क्या दंडात्मक कार्रवाई की.’
पीठ ने कहा, ‘सीपीसीबी संबंधित संस्थाओं के खिलाफ पर्यावरण संबंधी लेखा परीक्षा का आदेश देने पर भी विचार कर सकता है और कानून की प्रक्रिया का पालन करते हुए पर्यावरण संबंधी नियमों के उल्लंघन के लिए मुआवजा वसूल सकता है.’
पीठ ने 14 अक्टूबर से पहले मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है.
उसने कहा कि सीपीसीबी के सदस्य सचिव तय आगामी तारीख पर वीडियो कांफ्रेंस के जरिए होने वाली सुनवाई में निजी रूप से मौजूद रह सकते हैं.
इससे पहले सीपीसीबी ने एनजीटी से कहा था कि ई-कॉमर्स कंपनियों को ‘प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2019’ के तहत अपनी विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी पूरी करने और अपने उत्पादों की पैकिंग के कारण पैदा होने वाले प्लास्टिक अपशिष्ट को पुन: एकत्र करने की प्रणाली बनाने की आवश्यकता है.
सीपीसीबी ने 16 वर्षीय आदित्य दुबे की याचिका के जवाब में यह कहा था. दुबे ने अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को पैकिंग के दौरान प्लास्टिक के अत्यधिक इस्तेमाल से रोकने के लिए अधिकरण का दरवाजा खटखटाया था.