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Tuesday, 17 December, 2024
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महंगे दामों में बिक रहीं हैं भारतीय कलाकारों की NFT कलाकृतियां, क्या इसके लिए तैयार हैं आर्ट गैलरीज

पिछले दो वर्षों में, भारतीय कला उद्योग और रचनाकारों के समूह ने तेजी के साथ एनएफटी के विचार को अपनाया है. यह उन्हें विशिष्टता का अहसास करवाता है.

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एक सुबह 30 वर्षीय मल्टीडिसप्लीनरी विजुअल इंजीनियर करण कालरा दिल्ली स्थित अपने घर पर ईमेल की एक बाढ़ के साथ जागे और यह उनके किसी आम दिनों की तुलना में थोड़ी असामान्य दिन की शुरुआत थी. उससे ठीक एक रोज पहले, उन्होंने अपनी एनएफटी कृति ‘ड्रीमर्स’ की रचना की थी, जो उनके कुत्ते ‘ज़ेल्डा’ द्वारा कार की सवारी का आनंद लेने के प्रति उनके प्यार का एक इजहार था. वह पहले भी अपनी कुछ कलाकृतियां बेचने में कामयाब रहे थे, लेकिन उन्हें अभी भी अपनी पहली ‘बड़ी’ बिक्री का इंतजार था और यह साल 2021 के उस दिन संभव हुआ. उनकी रगों में तब सही साबित होने और बाजी मार लेने की भावना उमड़ पड़ी जब उन्हें पता चला कि उनकी इस ‘कलाकृति’ को लगभग 600 वज़ीरएक्स – एक भारत-आधारित क्रिप्टोकरेंसी- में खरीदा गया था, जिसकी कीमत उस समय लगभग 80,000 रुपए थी. तब के बाद से कालरा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा है.

आखिर एनएफटी है क्या? आपके दिमाग की कोशिकाओं को तकनीकी शब्दजाल में उलझाए बिना इन वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों की व्याख्या करना मुश्किल है. सीधे-सपाट शब्दों में, एनएफटी, या नॉन-फंजीबल टोकन,एक डिजिटल संपत्ति हैं जो ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करता है. यह डिजिटल और लौकिक दोनों प्रकार की वस्तुओं के स्वामित्व के एक विश्वसनीय प्रमाण के रूप में काम करता है और नॉन-इंटरचेंजेबल, ट्रेसेबल (पता लगाने योग्य) और इम्म्यूटेबल होता है. एक एनएफटी किसी भी चीज – एक तस्वीर, वीडियो, जीआईएफ, गीत, या भौतिक वस्तु – के रूप में हो सकता है.

और ऐसा क्या है जिसके मूल्य पर आप आंख मूंदकर भरोसा नहीं कर सकते हैं और जिसकी प्रामाणिकता की गारंटी की आवश्यकता है?- कला. पिछले दो वर्षों में, भारतीय कला उद्योग और रचनाकारों के समूह ने बड़ी तेजी के साथ एनएफटी के आईडिया को अपनाया है.

चाहे यह कालरा की 2,000 रुपए की नोट की पेंटिंग हों या सिराज हसन की ‘केज्ड’ सीरीज़, ‘क्रिप्टो आर्ट’ रचनाकारों को एक नया कैनवास प्रदान कर रही है – यह डिजिटल, अनूठा, गैर-हस्तांतरणीय और मेटावर्स युग के लिए एकदम सही है.

यह इस बात की गारंटी देता है कि आपके पास कलाकार की मूल कृति है, क्योंकि यह उनके डिजिटल हस्ताक्षर के साथ आती है. कलाकार जो वर्षों से कला का निर्माण करने के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहे हैं, उनके पास इसके आफ्टर-लाइफ (कलाकृति के निर्माण के बाद का काल) या खरीदार के लिए एक्सक्लयूसिविटी (अनूठेपन का एहसास) सुनिश्चित करवाने का कोई तरीका नहीं था.क्रिप्टो आर्ट ने इस चीज को बदल दिया है. अब, एक एनएफटी पेंटिंग आपकी डिजिटल दीवार पर लटक सकती है और पूरी तरह से आपकी हो सकती है. ब्लॉकचैन पर साइंड, सील्ड और डिलीवर्ड.

कई बड़ी कंपनियों के लिए एक कलाकार के रूप में कई साल बिताने वाले कालरा कला के क्षेत्र में एनएफटी द्वारा लाए गए बदलाव की बड़ी लहर की कसमें खाते हैं.

एनएफटी से पहले के अपने जीवन के बारे में वे कहते हैं, ‘आप हमेशा कला की दुनिया में दोयम दर्जे के नागरिक की तरह महसूस करते हैं,’ और ऐसा सोचने वाले वे अकेले शख्स नहीं है.‘

पिछले एक या दो साल में, कलाकारों की एक वर्चुअल सेना ने अपनी अदृश्य तहखाने से बाहर निकल ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करते हुए अपनी हैसियत को पाने का काम किया है. कलाकारों को अब अपनी पहली बिक्री के लिए बिचौलियों पर निर्भर करने या वर्षों तक इंतजार करने की जरुरत नहीं पड़ेगी. एनएफटी जैसे फ्री-फ्लोटिंग डिजिटल कला के आगमन ने सभी उम्र के कलाकारों के लिए कला बाजार का ‘लोकतंत्रीकरण’ कर दिया है.

29-वर्षीय कलाकार और वास्तुकार श्रेया डैफनी, जिन्होंने पिछले पांच वर्षों में 30 से अधिक कलाकृतियां बेची हैं, कहती हैं, ‘मैं उडुपी जैसे तटीय शहर से अपनी कला बेच रही हूं! यह एक समान धरातल वाले खेल का मैदान है. ‘

जब जानी-मानी नीलामी संस्था क्रिस्टी ने साल 2021 में बीपल के ‘एवरीडेज़: दि फर्स्ट 5000 डेज़’ को $69 मिलियन की आश्चर्यजन कीमत में बेचा (जिसकी वजह से यह किसी प्रमुख नीलामी घर द्वारा बेची जाने वाली पहली एनएफटी कला बन गई) तो देश और विदेश दोनों में क्रिप्टो कला उद्योग को जिस मान्यता और बढ़ावे की जरूरत थी वह मिल गई.

कला और एनएफटी कलाकार

केरल के एक दृश्य कला कलाकार (विजुअल आर्टिस्ट) 35 वर्षीय विमल चंद्रन ने साल 2010 में अपनी एनालॉग कलाकृति के साथ डिजिटल कलाकृतियां बनाना शुरू किया था. साल 2021 में एनएफटी के साथ उनकी अचानक हुई मुलाकात ने उन्हें अपनी कला को अकल्पनीय ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद की.

चंद्रन, अपनी कलाकृति ‘दि अराइवल’, जो ‘कुथिरा वेला’ के पात्रों – लकड़ी के सजाए गए घोड़ों के साथ एक जुलूस जिसे अक्सर केरल के मंदिर उत्सवों के दौरान देखा जाता है – की फिर से कल्पना करता है, के बारे में कहते हैं, ‘मैंने एक नई श्रृंखला फोक साई- फाई (लोक विज्ञान फंतासी) पर काम किया था और मुझे याद है कि मैंने इसे 31 मई 2021 को बनाया था – यह बिक्री के लिए उपलब्ध मेरा पहला एनएफटी था. मैं यह देखकर स्तब्ध रह गया कि यह 24 घंटों के भीतर बिक गया. ‘

https://www.instagram.com/p/CPm1PUoDcYg/?hl=en

उन्होंने अपनी इस कलाकृति,  जो उनकी विस्तृत ‘लोक विज्ञान फैंटेसी’ श्रृंखला का एक हिस्सा है, की अवधारणा के बारे में लिखा है, ‘चमचमाती रोशनी, गुब्बारों और रंगीन पात्रों के साथ, मंदिर के त्यौहार हमेशा मेरे लिए आकर्षक रहे हैं, तब से जब से मैं एक छोटा सा बच्चा था. एक बच्चे के रूप में, मुझे ये घोड़े आकार में बहुत बड़े लगते थे और मैं उनके बारे में पृथ्वी पर आने वाले विशाल अंतरिक्ष यान के रूप में सोचता था.’

हालांकि, चंद्रन के लिए कला अक्सर उस स्थान के लिए लिखे एक प्रेम पत्र जैसा होता है जहां वह बड़े हुए थे और वे इसे अपनी जड़ों के लिए एक श्रद्धांजलि मानते हैं; वहीं डैफनी इस कला को अपने मूड के अनुसार चीजों को जाहिर करने, उनका सामना करने और जश्न मनाने रूप में करती हैं. वह अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में कहती हैं, ‘मुझे नैरेटिव-आधारित कलाकृतियां बनाना पसंद है. वे चीजें जिन्हें आप रोज देखते हैं लेकिन वास्तव में आपने उनपर ध्यान नहीं दिया होगा. मैं इसे थोड़ा-बहुत ‘जीवन’ देने के लिए अक्सर इसमें ‘चोप्पी एनिमेशन’ जोड़ती हूं.’  डैफनी तब से कलाकृतियां बना रही हैं जबसे उन्हें याद है – उनका काम उनके मूड और व्यक्तित्व का विस्तार है.

एक मनभावन पल के रूप में डैफनी की कलाकृति वज़ीरएक्स प्लेटफॉर्म, जब इसे पिछले साल लॉन्च किया गया था, पर बेची जाने वाली पहली कलाकृति थी.

https://www.instagram.com/p/CPpocOnJBZg/?utm_source=ig_embed&ig_rid=2a094d5f-54ae-4508-9e66-411a88ba9ac8

‘चेसिंग सनशाइन’ नाम की इस कलाकृति की कल्पना कोविड लॉकडाउन के दौरान ‘एक विशेष रूप से कठिन दिन’ में की गई थी.

कालरा के लिए भी, एनएफटी के साथ उनकी मुलाकात एक क्रमिक घटना थी. बड़े होते हुए उन्हें हमेशा से पारंपरिक कटघरों में अपने आप को समा पाना मुश्किल लगता था. अमेरिका में एनीमेशन, मोशन ग्राफिक्स और फिल्म का अध्ययन करने और कुछ वर्षों तक वहां काम करने के बाद, वह साल 2019 में डोनाल्ड ट्रम्प युग के दौरान एच -1 बी वीजा से जुड़ी कुछ समस्याओं के बाद भारत लौट आए थे .

जून 2021 में कालरा को वज़ीरएक्स पर ‘स्पॉटलाइट आर्टिस्ट’ के रूप में चुना गया था. जटिल विवरणों के कारण उनकी कलाकृतियों को पूरा होने में महीनों लग जाते हैं. बॉलीवुड के एक स्व-घोषित शौकीन के रूप में उनकी सबसे हालिया कलाकृति से 26 से अधिक फिल्मों – जैसे कि अंदाज़ अपना अपना और हेरा फेरी जैसी फिल्मों  – से संदर्भ लिए गए हैं.

अपनी सबसे सफल कृतियों में से एक, ‘ऑर्गनाइज्ड कैओस – जो उनके गृहनगर, दिल्ली के लिए एक आइसोमेट्रिक श्रद्धांजलि है,  के बारे में बोलते हुए वे कहते हैं, ‘मैं एक बड़ा अव्यवस्थित आदमी हूं, जो मेरी कलाकृति में भी नजर आ जाता है.’

https://www.instagram.com/karankalra_art/?utm_source=ig_embed&ig_rid=754885c5-4145-4615-879c-e060023cb1bb

लेकिन कला की दुनिया में सब कुछ एकदम से चाक-चौबंद नहीं है. कालरा के अनुसार, 2,000 रुपए के नोट के भविष्य की प्रस्तुति उनकी सबसे विवादास्पद कलाकृति है, जिसमें महात्मा गांधी को ब्लूटूथ इयरपीस और वीआर गॉगल्स पहने देखा जा सकता है, जबकि क्रिप्टोक्यूरेंसी इस चित्रण की पृष्ठभूमि में तैरती दिखती है. वे कहते हैं, ‘यह अवधारणा भारत के आगे बढ़ने और रोबोटिक्स, अंतरिक्ष यात्रा तथा ब्लॉकचेन जैसे क्षेत्रों में पश्चिमी देशों का स्थान लेने के लिए आगे आने की अनंत संभावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए थी. इस राह में मुझे केवल एक ही रोड़ा दिखाई दे रहा है, वह है पैसा, इसलिए करेंसी नोट का चुनाव किया गया है.‘


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क्या आर्ट गैलरीज़ इन सब के लिए तैयार हैं?

नई दिल्ली और मुंबई जैसे शहर पिछले कई वर्षों से सांस्कृतिक केंद्र बने हुए हैं और समकालीन कला की दुनिया 1990 के बाद से फली-फूली है.  लेकिन उभरता हुआ एनएफटी उद्योग उन युवा कलाकारों के लिए एक विकल्प के रूप में विकसित हुआ है, जो काफी अधिक बाधाओं वाली पारंपरिक दीर्घाओं में इतनी आसानी से अपनी जगह नहीं बना पाते हैं. एनएफटी कला को एक बड़े और वर्चुअल दर्शक वर्ग के लिए सुलभ बना रहा है, जिससे आर्ट कलेक्टरों (कला का संग्रह करने वालों) की एक पूरी पीढ़ी का मार्ग प्रशस्त हो रहा है.

दिल्ली स्थित वदेहरा आर्ट गैलरी की निदेशक पारुल वदेहरा कहती हैं, ‘चूंकि एनएफटी हमारी शब्दावली में नए शामिल हुए हैं, इसलिए उनके बारे में और जिस कला से वे जुड़े हैं, उसके बारे में खूब चर्चा हो रही है.’

लेकिन एनएफटी कलाकृति न केवल कला जगत का ‘लोकतंत्रीकरण’ कर रही है और कलाकारों के लिए इस क्षेत्र को समतल बना रही है, बल्कि इसमें मुख्यधारा के कला बाजार में तूफान लाने की भी क्षमता है.

इंडिया आर्ट फेयर की फेयर डायरेक्टर जया अशोकन कहती हैं, ‘एनएफटी के प्रचार से परे, हम देख रहे हैं कि कैसे डिजिटल तकनीक, विशेष रूप से ब्लॉकचेन तकनीक, हम किसी चीज को कैसे खरीदते हैं, बेचते हैं और यहां तक कि कला की रचना कैसे करते हैं साथ इसका आनंद कैसे लेते हैं, इन सब को फिर से आकार देने में मदद कर रही है.’

हालांकि, अशोकन ने यह भी बताया कि कैसे कोई भी माध्यम किसे अन्य से ‘बेहतर’ नहीं होता है और बाजार में विविधता और गतिशीलता को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है. इंडिया आर्ट फेयर के 2022 संस्करण में ‘टेरेन आर्ट’  ने अमृत पाल सिंह, डेविड यंग और लाया मथिक्षरा जैसे एनएफटी कलाकारों की कृतियों का प्रदर्शन किया था. उन्होंने अनूठी कलात्मक भाषाएं विकसित की हैं जो कला के साथ प्रौद्योगिकी का नायब सम्मिलन है.

इस साल की शुरुआत में महत्वाकांक्षी कलाकारों को शिक्षित करने और भारत में एनएफटी कला के भविष्य पर चर्चा करने की एक पहल के रूप में, इंडिया आर्ट फेयर ने इस क्षेत्र में विशेषता रखने वाले कुछ प्रमुख हस्तियों के साथ ‘एनएफटीटीएएसई’ नमक एक चर्चा भी आयोजित की थी.

वदेहरा आर्ट गैलरी, जो दिल्ली एनसीआर में पारंपरिक कला दीर्घाओं में एक प्रमुख नाम है, ने अभी तक किसी भी एनएफटी कलाकृति का प्रदर्शन नहीं किया है. हालांकि, वदेहरा ने जोर देकर कहा कि अगर उनके द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाला कोई भी कलाकार एनएफटी के क्षेत्र में उतरने का फैसला करता तो वे उसका पूरा समर्थन करेंगे.

2020 के बाद से क्रिप्टो आर्ट के तेज ट्रेजेक्टरी के बावजूद, समकालीन कला जगत हमेशा की तरह ‘जीवंत’ प्रतीत होता है. एनएफटी के महत्व को स्वीकार करते हुए वदेहरा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि कला की भौतिक कृति को व्यक्तिगत रूप से देखने के अनुभव की जगह कोई भी नहीं ले सकता, यह कला की रचना और देखने का मूलभूत पहलू है.’


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एनएफटी – कला या पैसा?

अमिताभ बच्चन, युवराज सिंह और मनीष मल्होत्रा, सभी में एक बात समान है – उन्होंने अपना स्वयं का एनएफटी संग्रह लॉन्च किया हुआ है. पिछले एक साल में, भारत ने डिजिटल क्रिएटर्स (रचनाकारों) का एक उभरता हुआ समूह और एनएफटी मार्केटप्लेस जैसे कि बियॉन्डलाइफ.क्लब, वज़ीरएक्स, बॉलीकॉइन और अन्य को समृद्ध होते हुए देखा है.

एनएफटी कला की दुनिया में एक आम धारणा यह है कि यह प्रसिद्धि और पैसा कामने के लिए एक त्वरित जरिया है. लेकिन क्या यह कला के लिए है या सिर्फ पैसे के लिए?

अशोक विश्वविद्यालय में क्यूरेटर और संकाय सदस्य श्रीनिवास आदित्य मोपीदेवी कहते हैं, ‘मेरा सिद्धांत यह है कि कला शायद वह बहाना बन गई है जिसके माध्यम से क्रिप्टो मुख्यधारा में आ गई है.’

लेकिन 2021 में अचानक आई तेजी के साथ, क्या ‘एनएफटी का बेह्तरीन पल’ अब बीत गया है?

कालरा इस बात से सहमत हैं कि पीएफपी परियोजनाओं जैसे कुछ पाहलूओं में ‘पिछले साल की तुलना में थोड़ा ठहराव आ गया है’; मगर एनएफटी का ललित कला पक्ष, जिसका कालरा और उनके साथी कलाकार ‘सक्रिय रूप से एक हिस्सा हैं’, अभी भी बहुत तेजी से ऊपर की ओर बढ़ रहा है.’ दूसरी ओर, मोपीदेवी को लगता है कि इसका कोई ठीक-ठीक जवाब मौजूद नहीं है क्योंकि एनएफटी बाजार के उतार-चढ़ाव पर ‘इस कदर निर्भर’ है कि अभी नजर आ रहे एक खास तरह के ठहराव की भावना को एक और लहर के साथ खत्म किया जा सकता है जो शायद किसी कोने में इंतजार कर रही है. वे कहते हैं, ‘किसी को भी बाजार की बदलती गति से परिचित और अभ्यस्त होना चाहिए और इस तथ्य को भी जानना चाहिए कि कैसे यह एनएफटी परिदृश्य को परिभाषित और समेकित करने जा रहा है.’

मोपीदेवी डिजिटल कला की दुनिया की बारीकियों को समझने के लिए एक बहुत जरूरी चीज के रूप में ‘आलोचनात्मक सोच’ की वकालत करते हैं. वे कहते हैं, ‘जिस कारण से दुनिया इस बात पर गदगद हो रही है वह यह है कि कैसे 22-24 महीने – या उससे भी कम समय में – क्रिप्टो, जो कि वैध मुद्रा भी नहीं थी, अचानक मुख्यधारा की चीज बन सकती है? मेटा के लांच किए जाने और इसी अवधि में क्रिप्टोपंक्स को आधा बिलियन डॉलर में बेचे जाने के बीच क्या निकटता है?’

वह यह भी मानते हैं कि एनएफटी ने विभिन्न प्रकार के रचनाकारों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है और एक कलाकार -कलाकार सहकर्मी समर्थन प्रणाली बनाई है. उन्होंने बताया कि कैसे एक विजुअल आर्टिस्ट अमृत पाल सिंह, भारत में एनएफटी परिदृश्य के लिए एक अनौपचारिक प्रवक्ता के रूप में सामने आए हैं.

मोपीदेवी कहते हैं, ‘जब भी वह कोई कलाकृति बेचते हैं, तो वह भारत के किसी अन्य युवा एनएफटी कलाकार की कृति को भी खरीदते है ताकि उनका समर्थन किया जा सके. यह मामला कोई अपवाद नहीं है और भारतीय एनएफटी क्षेत्र में यह एक आम बात है.’

कई कलाकारों के लिए जब हालात थोड़े निराशजनक हो जाते हैं, तो कलेक्टर-आर्टिस्ट संबंध अक्सर एक प्रेरक कारक होता है. कालरा की सबसे खास कलाकृति ‘ड्रीमर्स’ को खरीदने वाले कलेक्टर अरिजीत दास समय के साथ उनके अच्छे दोस्त बन गए हैं. चंद्रन भी रचनाकारों और संग्रहकर्ताओं के फलते-फूलते समुदाय के बारे में कसमें खाते हैं.

बेंगलुरू स्थित ‘कलर्स ऑफ इंडिया’ इस देश में चलाए जा रहे कई एनएफटी समूहों में से एक है. इसका उद्देश्य युवा और महत्वाकांक्षी कलाकारों को शिक्षित करना और उनका समर्थन करना है. वैश्विक स्तर पर एनएफटी के आसपास जुट रहे भारी समर्थन और चर्चाओं को देखकर, रमेश गोपाल, जो इस समूह के संस्थापक और खुद एक कलेक्टर भी हैं, को दक्षिण एशियाई एनएफटी जगत के लिए भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहन मिला.

मगर, चाहे यह समकालीन कला हो या डिजिटल आर्ट, अधिकांश रचनाकार और विशेषज्ञ कला को सबसे महत्वपूर्ण चीज मानते हैं. उनके अनुसार, वैल्यूएशन इकोनॉमी के बजाय कलात्मक कारकों के बारे में बातचीत इसमें रुचि और रचनात्मकता को प्रवाहमान बनाये रह सकती है.

लेकिन, मोपीदेवी के अनुसार, वैल्यूएशन इकोनॉमी की तुलना में जो चीज अधिक महत्वपूर्ण है, वह है एनएफटी जगत की सर्कुलेटरी पोटेंशिअल.

मोपीदेवी कहते हैं, ‘आज, लैटिन अमेरिका के सुदूर इलाके में बैठा कोई व्यक्ति दिल्ली में किसी अन्य व्यक्ति के साथ कलात्मक एकजुटता बना सकता है, बिना यह सोचे कि ये उनकी बीच की भौगोलिक निकटता क्या है.’ और इसके लिए एनएफटी को ही शुक्रिया कहा जाना चाहिए.

(इस फ़ीचर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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