नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे सांसद अब अपने आशियाने की तलाश की जद्दोजहद में जुटे हुए हैं. ये सांसद अभी अस्थायी ठिकानों में रह रहे हैं और जल्द ही यह लुटियन दिल्ली में फैले बंगलों और फ्लैट में शिफ्ट कर जाएंगे. लोकसभा सचिवालय ने इस मानदंड का आंकलन शुरू कर दिया है कि इनमें से किसे बंगले-फ्लैट का आवंटन होगा.
सांसदों को उनके ठिकाने हाउस कमेटी आवंटित करती है. लोकसभा पूल में कुल 517 घर हैं जिनमें टाइप-आठ बंगलों से लेकर छोटे फ्लैट तक हैं. हॉस्टल भी हैं.
अधिकारियों ने बताया कि नए लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद पहली समिति जो गठित होगी वह यही हाउस कमेटी होगी.
उन्होंने बताया कि 250 नए सांसदों को अभी विभिन्न राज्य भवनों और वेस्टर्न कोर्ट में ठहराया गया है.
नए सांसदों ने अपनी पसंद बताते हुए फार्म भरकर जमा किया है. सांसदों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार एक ‘स्टेटमेंट’ हाउस कमेटी को उपलब्ध कराया जाएगा और कमेटी इसके आधार पर विभिन्न तरह के आवास के आवंटन का मानदंड तय करेगी.
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एक अधिकारी ने कहा, ‘हाउस कमेटी विभिन्न श्रेणियों में उपलब्ध फ्लैटों और इनके लिए मिले आवेदनों की संख्या के आधार पर फैसला लेगी.’
लोकसभा पूल के लिए उपलब्ध रिहाइशी ठिकानों में 159 बंगले, 37 ट्विन फ्लैट, 193 सिंगल फ्लैट, 96 बहुमंजिला इमारतों में फ्लैट और 32 इकाइयां सिंगुलर रेगुलर ठिकानों की हैं.
यह सभी आवासीय ठिकाने सेंट्रल दिल्ली के नार्थ एवेन्यू, साउथ एवेन्यू, मीना बाग, बिशम्बर दास मार्ग, बाबा खड़क सिंह मार्ग, तिलक लेन और विट्ठल भाई पटेल हाउस में हैं.
सभी निवर्तमान सांसदों को अपने परिसरों को खाली करने के लिए 24 मई से एक महीने का समय दिया गया है जिस दिन सोलहवीं लोकसभा भंग हुई थी.
अधिकारियों ने बताया कि निवास के आवंटन में कई बातों को ध्यान में रखा जाता है. इनमें सदस्य की वरिष्ठता, सुरक्षा की जरूरतें या फिर यह कि सदस्य पहले मुख्यमंत्री, राज्यपाल, राज्य मंत्री या विधायक रह चुका है या नहीं.
टाइप फाइव निवास में चार श्रेणियां हैं. टाइप फाइव (ए) एक ड्राइंग रूम और एक बेडरूम सेट है, टाइप फाइव (बी) एक ड्राइंग रूम और दो बेडरूम सेट है, टाइप फाइव (सी) ड्राइंग रूम और तीन बेडरूम सेट है जबकि टाइप फाइव (डी) ड्राइंग रूम और चार बेडरूम सेट है.
संयुक्त फ्लैट टाइप फाइव (ए/ए), संयुक्त फ्लैट टाइप फाइव (ए/बी) और संयुक्त फ्लैट टाइप फाइव (बी/बी) भी उपलब्ध हैं.
अधिकारियों ने कहा कि हाउस कमेटी अपने मानदंड तय करेगी लेकिन सर्वोच्च श्रेणी के बंगले सर्वाधिक वरिष्ठ सदस्यों को दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि निवर्तमान सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष की सहमति के बाद चार महीने और रहने दिया जा सकता है या फिर स्वास्थ्य कारणों से छह महीने और रहने दिया जा सकता है.
संसद के काम पर निगाह रखने वाली संस्था पीआरएस लेजिस्लेटिव के मुताबिक, लोकसभा में कुल 267 सांसद पहली बार निर्वाचित हुए हैं. निवर्तमान सांसदों में से 230 फिर से चुने गए हैं. 45 सांसद ऐसे हैं जो पहले की लोकसभाओं के सदस्य रह चुके हैं.
(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)