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Wednesday, 20 November, 2024
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प्रयागराज में दलित परिवार की हत्या के मामले में आया नया मोड़, पुलिस बोली- ठुकराए गए स्टॉकर ने अपराध कबूल किया

पिछले हफ्ते ही एक दलित परिवार के चार सदस्यों की उनके प्रयागराज स्थित घर में हत्या कर दी गई थी. उनके रिश्तेदारों ने एक सवर्ण परिवार, जिनके साथ उनका भूमि विवाद चल रहा था, पर उंगली उठाई थी.

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प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में प्रयागराज जिले के गोहरी गांव में 23 नवंबर की रात को आखिर हुआ क्या था? एक तथ्य जो सामने है वह यह है कि उस रात एक दलित परिवार के चार सदस्यों की उनके ही घर में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी.

उनके मृत शरीर कथित तौर पर दो दिन बाद, 25 नवंबर को, ही मिल पाए थे – जब उनके घर के परिसर में बांध कर रखी गई इस परिवार की पालतू बकरियों की मिमियाहट ने करीब 500 मीटर दूर रहने वाले उनके रिश्तेदारों को सतर्क किया.

रिश्तेदार ने घटना स्थल का दृश्य जिस तरह से बताया वह एक पूर्वनियोजित तरीके से किये जाने वाले अपराध जैसा लगता है.

पिता का शव बरामदे में एक खाट पर पड़ा था और उसके बगल में उनके 10 साल के बेटे का शव रजाई से ढका हुआ था. मां का शरीर बेटे के बगल में था और यह भी आंशिक रूप से एक कंबल से ढका हुआ था.

अंदर एक कमरे में बेटी का शव नग्नावस्था में मिला था. उसके पैर कथित तौर पर फैले हुए थे. अपराध के समय उसने संभवत: जो सलवार-कमीज पहन रखी थी, उसे फर्श पर फेंक दिया गया था.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह पाया गया कि पिता और पुत्र की हत्या अपराध स्थल से ही जब्त की गई  कुल्हाड़ी से की गई थी. उन्होंने यह भी बताया कि मां के सिर पर किसी नुकीली चीज से प्रहार किया गया जबकि बेटी का गला घोंट दिया गया था.

प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने दिप्रिंट को बताया, ‘उसके (बेटी के) जननांगों पर किसी पुरुष के वीर्य के निशान थे और डॉक्टरों ने उसका बलात्कार किये जाने का संकेत दिया है, हमने आगे की जांच के लिए डीएनए नमूनों को फोरेंसिक लैब में भेज दिया है.’

मृत परिवार के रिश्तेदारों द्वारा की गई शिकायत के आधार पर, पुलिस ने पड़ोस में रहने वाले एक उच्च जाति (सवर्ण) के परिवार, जिसके साथ पीड़ित परिवार का कथित तौर पर भूमि विवाद चल रहा था, के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, एस.सी.-एस.टी.एक्ट, की धाराएं लगाई गई हैं. शुरुआत में पुलिस को यह संदेह था कि बेटी नाबालिग थी, और इसलिए पॉक्सो अधिनियम की भी धाराएं लगाई गईं थीं, लेकिन बाद में पुलिस को उसकी आयु 25 वर्ष होने की बात पता चली. इस मामले में अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

लेकिन इस सप्ताह के अंत में पुलिस को लगा कि वो एक अलग मामले की खोज बीन में जुटे हैं लेकिन मामला कुछ और है. ऐसा उन्होंने 21 नवंबर को मृत परिवार की बेटी के कुछ व्हाट्सएप चैट को देखने के बाद मिली जानकारी के बाद महसूस किया.

इस शनिवार को पीड़ितों की तरह ही पासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पवन सरोज नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाने के बाद पुलिस ने कहा कि इस शख्श ने 25 वर्षीय पीड़िता द्वारा कथित रूप से ठुकराए जाने के बाद इस परिवार को जान से मारने की बात कबूल की है.

माना जाता है कि मृतका ने पवन को एक संदेश भेजा था जिसमें उसने लिखा था ‘आई हेट यू’. एसएसपी त्रिपाठी ने कहा कि पवन ने इसके बदले मृतका को ‘गुड मॉर्निंग’ का संदेश भेजा था .

पुलिस ने कहा कि उसके (पवन के) किसी संदिग्ध साथी की भूमिका की जांच कॉल डेटा रिकॉर्ड के आधार पर ही पता की जाएगी.

हालांकि, मृतकों के परिवार के अन्य सदस्यों ने पुलिस द्वारा बताये जा रहे मामले के इस कोण पर सवाल उठाया है. पिता के भाई ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने कभी किसी पवन सरोज के बारे में नहीं सुना था.


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‘जाति वाला मामला’

एक दलित परिवार की हत्या के इस मामले ने उत्तर प्रदेश, जहां अगले साल चुनाव होने हैं, ने तत्काल सभी लोगों का राजनीतिक रूप से ध्यान आकर्षित किया है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पीड़ितों के परिवार से मुलाकात की और ‘दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामलों की संख्या में वृद्धि’ को रेखांकित करते हए राज्य की ‘दयनीय कानून और व्यवस्था की स्थिति’ के मुद्दे के साथ सरकार पर प्रहार किया.

आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से कथित तौर पर कहा गया है कि ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में इस राज्य में गरीबों और वंचित वर्गों के खिलाफ गुंडागर्दी और बर्बरता को खुली छूट मिल गयी है’.

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी ‘खराब कानून और व्यवस्था’ पर सरकार पर हमला किया, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) ने भाजपा सरकार को ‘दलित विरोधी’ बताया. सपा के सदस्यों के साथ-साथ फूलपुर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा सांसद केशरी देवी पटेल ने भी पीड़ित परिवार से मुलाकात की.

प्रयागराज जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री राहत कोष के तहत पीड़ित परिवार को बंदूक लाइसेंस, पुलिस की सुरक्षा, जमीन और आर्थिक मदद के तौर पर 16 लाख रुपये का मुआवजा देने का वादा किया है.

इस अपराध के जाति से संबंधित होने के आरोपों के केंद्र में एक पुराना भूमि विवाद है जो इस दलित परिवार का अपने उच्च जाति के पड़ोसियों के साथ जमीन के एक टुकड़े को लेकर चल रहा था.

पीड़ितों के परिवार के अनुसार, उनके पास 12 बीसा (आधा बीघा) ‘सरकारी पट्टे की जमीन’ या सरकार द्वारा भूमिहीन लोगों को दी गई जमीन का टुकड़ा है, जबकि ठाकुर परिवार भी जमीन के उसी हिस्से पर अपने स्वामित्व का दावा करता है.

यह विवाद तीन प्राथमिकियों का भी कारण बना. इनमें से दो सितंबर 2019 और सितंबर 2021 में दलितों द्वारा दर्ज कराई गईं थी, और एक उच्च जाति के परिवार द्वारा भी सितंबर 2021 में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. दोनों परिवारों ने एक-दूसरे पर हमले का आरोप लगाया है.

दलित परिवार के सदस्यों में से एक ने सितंबर 2019 की घटना के बारे में बताते हए कहा, ‘हम जमीन के उस हिस्से में दालें उगाते थे. बबली का परिवार अपने मवेशियों को वहीं छोड़ देता था. हमारी सास भी उनसे बात करने गई थी. लेकिन कान्हा ठाकुर शराब के नशे में थे और उसने हम पर लाठी से वार किया. उन्होंने हमारे घर का दरवाजा भी तोड़ दिया. इस मारपीट के बाद हमें टांके लगवाने पड़े.‘

दलित परिवार की ओर से जिन दो प्राथमिकियों को दर्ज करवाया गया था उनमें एससी/एसटी अधिनियम, सहित अन्य धाराएं शामिल हैं, जिनमें ठाकुर परिवार के सदस्यों का नाम लिया गया है 2021 की शिकायत में, उन्होंने किसी संभावित ‘अप्रिय घटना’ के बारे में भी आशंका व्यक्त की.

ठाकुर परिवार द्वारा दर्ज करवाई गयी प्राथमिकी उसी दिन – 21 सितंबर 2021 को – दर्ज की गई थी जिस दिन दलित परिवार की दूसरी प्राथमिकी दर्ज की गई थी. ठाकुरों ने आरोप लगाया था कि दलित परिवार उनकी जमीन पर बीज बो रहा था और उन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया. लगाए गए आरोपों में आईपीसी की धारा 354 शामिल है, जो ‘किसी महिला का शील भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल प्रयोग’ से संबंधित है.

सवर्ण परिवार के सदस्यों की पहचान बबली सिंह, आकाश सिंह, अमित सिंह, राव, मनीष, अभय, राजा, रंजू, कुलदीप, कान्हा ठाकुर और अशोक के रूप में हुई है. उन सभी का नाम हत्या की प्राथमिकी में दर्ज किया गया है, और उनमें से आठ को गिरफ्तार भी कर लिया गया है.

दलित परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनके द्वारा दायर किसी मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. 2019 के मामले में न तो कोई गिरफ्तारी की गई और न ही कोई आरोप पत्र दायर किया गया.

परिवार के एक सदस्य ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए दावा किया, ‘जब उन्होंने हमें थाने बुलाया, तो वे हमारा मज़ाक उड़ाते थे, ‘देखो, ये गरीब लोग आ गए हैं, उन्हें न्याय दिलाओ’. उन्होंने हमें फर्श पर और ठाकुरों को कुर्सियों पर बिठाया,.’

पुलिस ने यह तो स्वीकार किया है कि उनकी ओर से देरी हुई थी, लेकिन इसके लिए उन्होंने ‘कोविड और अन्य व्यस्तताओं’ को दोष दिया. हालांकि हत्याकांड में प्राथमिकी दर्ज होने के एक दिन बाद ही, 26 नवंबर को, प्रयागराज पुलिस ने मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी थी.

त्रिपाठी ने कहा, ‘हमने आरोपी परिवार को नोटिस भेज दिया था और वे पुलिस थाने में भी पेश हुए.’

उन्होंने कहा, ‘चूंकि ठाकुर परिवार का एक आरोपी पहले से एक और चोरी के आरोप में जेल में है, इसलिए सितंबर 2021 में जांच शुरू नहीं की जा सकी. लेकिन अब जांच चल रही है.’

ठाकुर परिवार के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी में पूर्व में पहचाने गए 11 लोगों के नाम शामिल किये गए हैं.

त्रिपाठी ने कहा,’हमने एक महिला, बबली सिंह, सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया है. सभी सात पुरुषों के डीएनए नमूने फोरेंसिक परीक्षण के लिए भेजे गए हैं. अन्य दो आरोपी इस समय मुंबई में हैं और एक अस्पताल में बिस्तर पर पड़ा है.’

The home of the Thakur family | Jyoti Yadav | ThePrint
ठाकुर परिवार का घर/ ज्योति यादव/दिप्रिंट

रविवार को जब दिप्रिंट ने इस गांव का दौरा किया तो बबली के घर पर ताला लगा हुआ था. लेकिन परिवार की अन्य महिलाएं काफी आक्रोशित थीं. कान्हा ठाकुर की मां ने कहा, ‘हमें सिर्फ न्याय चाहिए. मेरी भगवान से प्रार्थना है कि जिसने भी यह घृणित अपराध किया है उसे सजा मिले.’


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स्टॉकर का मामला

पवन सरोज के बारे में पुलिस का कहना है कि वह 25 वर्षीय मृतका के पीछे कई दिनों से पड़ा था, लेकिन वह उसे नजरअंदाज करती रही. उन्होंने कहा कि उसकी शर्ट पर खून के धब्बे पाए गए हैं और इसे फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है.

पुलिस ने कहा कि उन्होंने पवन के घर की तलाशी ली थी और वहां से उन्हें उसके 19 वर्षीय चचेरे भाई सोनू की पतलून मिली, जिसपर कथित तौर पर खून के धब्बे थे. सोनू कथित तौर पर फरार है.

त्रिपाठी ने कहा, ‘हम अब तक हर सबूत का हर टुकड़ा इकट्ठा कर रहे हैं.’

हालांकि, पीड़ितों के परिवार ने उनके द्वारा मामले की इस तरह की विवेचना पर संदेह जताया है.

उनका कहना है कि वे पवन सरोज को जानते ही नहीं हैं और पुलिस मामले से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. परिवार के एक सदस्य ने कहा, ‘हमें प्रशासन से आश्वासन चाहिए कि भविष्य में ठाकुर परिवार हमें परेशान नहीं करेगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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