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Tuesday, 5 November, 2024
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खजुराहो में बना नया गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड, सीएम बोले — राज्य में बनेगा पहला जनजातीय, लोक कलाओं का गुरुकुल

विश्व संगीत नगरी ग्वालियर में डेढ़ माह पहले ही तानसेन समारोह के अंतर्गत ताल दरबार कार्यक्रम में एक साथ 1,282 तबला वादकों की प्रस्तुति ने "गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड" में मध्यप्रदेश का कीर्तिमान स्थापित किया था.

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नई दिल्ली: यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल खजुराहों में राग बसंत की लय पर 1484 कथक नृत्य साधकों के थिरकते कदमों ने बुधवार को गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड रच दिया. हाथों में दीपक लेकर जब लय और ताल के साथ घुंघरू साधकों के कदम मिले तब भारतीय संस्कृति और परंपरा एक साथ मुस्कुरा उठी.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के प्राचीन वाद्य यंत्र नगाड़ा की ताल और नृतकों के घुंगुरुओं की झंकार ने 50वें खजुराहों नृत्य समारोह की ऐतिहासिक उपलब्धि को यादगार बना दिया.

विश्व संगीत नगरी ग्वालियर में डेढ़ माह पहले ही तानसेन समारोह के अंतर्गत ताल दरबार कार्यक्रम में एक साथ 1,282 तबला वादकों की प्रस्तुति ने “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड” में मध्यप्रदेश का कीर्तिमान स्थापित किया था.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संपूर्ण भारत में सांस्कृतिक पुनरुत्थान का पर्व मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में भगवान नटराज महादेव को समर्पित साधना की यह उपलब्धि भारतीय संस्कृति का गौरव बन भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन करेंगी. नृत्य आराधना परमात्मा की साधना का मार्ग है. यह ईश्वर से सीधे संपर्क का पवित्र माध्यम है.

सीएम ने प्रदेश के विभिन्न शहरों से आए नृत्य गुरुओं और नर्तक नृत्यांगनाओं को कीर्तिमान रचने पर बधाई और शुभकामनाएं दी. इस दौरान, सुप्रसिद्ध नृत्य गुरु राजेंद्र गंगानी की कोरियोग्राफी में प्रदेश के विभिन्न शहरों से आए नर्तक नृत्यांगनाओं ने 20 मिनट की प्रस्तुति को राग बसंत में निबध्द कर प्रस्तुत किया.

मुख्यमंत्री ने गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड की उपलब्धि को विशेष बनाते हुए खजुराहो में देश के पहले जनजातीय और लोक कलाओं के प्रशिक्षण के लिए गुरुकुल स्थापित करने की घोषणा की.

उन्होंने कहा कि गुरुकुल में जनजातीय और ग्रामीण समुदायों की पारंपरिक कलाओं मसलन शिल्प, नृत्य, गायन, वादन, चित्र और उनके मौखिक साहित्य को वरिष्ठ गुरुओं के माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था रहेगी. इस गुरुकुल की परिकल्पना इस तरह से होगी, जहां ग्रामीण जनजीवन में उनके समग्र विकास के साथ पारंपरिक हुनर और देशज ज्ञान पद्धतियों को संरक्षण मिलेगा. साथ ही पूर्वजों की विरासत को भी विस्तार मिलेगा.

संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी, सांसद खजुराहो वी. डी. शर्मा, प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन शिव शेखर शुक्ला सहित बड़ी संख्या में कला प्रेमी और आमजन ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने.


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