scorecardresearch
बुधवार, 25 जून, 2025
होमदेशनए आपराधिक कानून समकालीन समाज की चुनौतियों और आशा के अनुरूप हैं: बिरला

नए आपराधिक कानून समकालीन समाज की चुनौतियों और आशा के अनुरूप हैं: बिरला

Text Size:

नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को कहा कि तीनों नए आपराधिक कानून समकालीन समाज की चुनौतियों और आशा के अनुरूप हैं।

बिरला ने नए आपराधिक कानूनों पर संवैधानिक तथा संसदीय अध्ययन संस्थान (आईसीपीएस) द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में 83 देशों के 135 प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि भारत ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान किया है और मानवाधिकारों का प्रबल पक्षधर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी और अपराधों के स्वरुप में आए बदलावों के अनुरूप इन कानूनों का निर्माण किया गया है।’’

उनका कहना था कि नए आपराधिक कानून समकालीन समाज की चुनौतियों और आशा के अनुरूप हैं।

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) इसी साल एक जुलाई को लागू हुए। इन्होंने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है।

बिरला ने कहा कि भारत का कानून अंतिम व्यक्ति को न्याय का अधिकार देता है और आम जनता न्यायाधीश को भगवान के रूप में देखती है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत न्याय पर जनता का अति विश्वास है, जो 75 वर्षों की यात्रा में और अधिक मज़बूत हुआ है।

लोकसभा अध्यक्ष ने कार्यक्रम में भाग ले रहे भारत में कार्यरत विभिन्न देशों के राजनयिकों को सुझाव दिया कि वे भारत के कानूनी ढांचे, संसद की कार्यवाही और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की समझ रखें।

भाषा हक हक प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments