नैनीताल, दो नवंबर (भाषा) नेपाली लेखक और अर्थशास्त्री सुजीव शाक्य ने अपने देश में सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल की तुलना ‘एक बड़ी सर्जरी’ से करते हुए कहा कि अब देश सुधार के दौर से गुजर रहा है।
शनिवार को यहां ‘हिमालयन इकोज साहित्य और कला महोत्सव’ के 10वें संस्करण में अपने संबोधन में शाक्य ने कहा कि नेपाल वर्षों के राजनीतिक ठहराव और युवाओं में बढ़ती निराशा के बाद गहरे बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं जो उपमा इस्तेमाल करता हूं वह यह है कि एक बड़ी सर्जरी हो चुकी है। इसलिए हमें इससे उबरना होगा, हमें पुनर्वास से गुजरना होगा। हो सकता है कि आपको एक-दो बार और आईसीयू में जाना पड़े, लेकिन हम इससे उबर चुके हैं।’’
शाक्य ने कहा, जिनकी हालिया पुस्तक ‘नेपाल 2043: द रोड टू प्रॉस्पेरिटी’ सितंबर में ‘जेन-जेड’ विद्रोह से ठीक दो हफ्ते पहले प्रकाशित हुई थी।
सुशीला कार्की (73) सितंबर में तत्कालीन प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के पद से हटने के बाद नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं हैं। भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध को लेकर सरकार के खिलाफ युवाओं के नेतृत्व वाले ‘जेन-जेड’ प्रदर्शनों के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था।
शाक्य ने अशांति के मूल में अलग-अलग पीढ़ियों के लोगों के बीच बढ़ती दूरी की ओर इशारा किया।
उन्होंने कहा, ‘‘जिस देश में लगभग आधी आबादी 25 साल से कम उम्र की है और 42 प्रतिशत लोग 18 से 40 साल के बीच की उम्र के हैं, वहां 65 साल से ऊपर के 3 प्रतिशत पुरुषों का शासन था। इसलिए एक बहुत बड़ा अंतर था जिसके बारे में मैं लिखता रहा हूं, और किताब में मैंने इसका जिक्र किया है।’’
साहित्य और प्रकृति दोनों पर केंद्रित दो दिवसीय साहित्य और कला महोत्सव में प्रसिद्ध लेखक स्टीफन ऑल्टर, बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका अनुराधा रॉय, फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली, पर्यावरणविद् वंदना शिवा और अन्य लोगों ने भाग लिया।
यह महोत्सव रविवार को संपन्न हुआ।
भाषा वैभव नरेश
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