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Saturday, 4 May, 2024
होमदेशकोर्ट में गोली चलाने वाले आरोपी ने कथित वीडियो में कहा—‘नेपाल के व्यक्ति ने 20 लाख रुपये की पेशकश की’

कोर्ट में गोली चलाने वाले आरोपी ने कथित वीडियो में कहा—‘नेपाल के व्यक्ति ने 20 लाख रुपये की पेशकश की’

कोर्ट परिसर में गैंगस्टर जीवा की हत्या के आरोपी विजय का कथित वीडियो वायरल हो गया है. उसे पुलिस को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जीवा ने जेल में नेपाल के एक व्यक्ति के भाई का अपमान किया था.

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लखनऊ: गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की पिछले हफ्ते लखनऊ की एक अदालत में गोली मारकर हत्या किए जाने के 6 दिन बाद, उसके कथित हत्यारे का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया है कि उसने नेपाल के एक व्यक्ति के इशारे पर गैंगस्टर की हत्या की, जिसने उसे नौकरी के लिए 20 लाख रुपये देने का वादा किया था.

गोलीबारी के घंटों बाद वीडियो में पुलिस को दिए गए एक कथित बयान में कथित हत्यारा, जिसकी पहचान पुलिस ने विजय (या आनंद यादव) के रूप में की है, यह कहते हुए दिखाई दे रहा है कि जीवा की हत्या करने के लिए उसे नेपाल के रहने वाले असलम ने कहा था, जिसके भाई के बारे में यादव का दावा है कि वह लखनऊ जेल में बंद है.

यादव को यह भी कहते हुए सुना जा सकता है कि असलम के भाई आतिफ का जेल में जीवा से झगड़ा हुआ था, क्योंकि आतिफ ने कथित रूप से उसकी दाढ़ी खींची थी, जिसे आतिफ ने अपने अपमान के रूप में लिया था.

जिस समय वह वीडियो में कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों से बात कर रहा है विजय को अस्पताल के बिस्तर पर अपने चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क के साथ लेटे हुए देखा जा सकता है. वकीलों द्वारा पुलिस को सौंपे जाने के तुरंत बाद आरोपी को लखनऊ के एक अस्पताल में ले जाया गया, जिसने कथित तौर पर गोलीबारी के बाद अदालत परिसर के अंदर उसकी पिटाई की थी.

विजय को एक अधिकारी से यह कहते हुए सुना जा सकता है, जो आरोपी को आतिफ के भाई का नाम साझा करने और वीडियो पर कथित बयान दर्ज करने के लिए उकसाते हुए दिख रहा है, “आतिफ नाम का एक शख्स लखनऊ जेल में बंद है. उसने (जीवा) एक बार (आतिफ) की दाढ़ी खींची थी. उसका भाई मुझसे नेपाल में मिला था.”

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विजय को आगे दावा करते हुए सुना जा सकता है, “उसके भाई का नाम असलम है. वह कुर्ता-पायजामा पहनता है. उसने मुझसे कहा, जीवा ने मेरे भाई की दाढ़ी खींची थी, मेरे लिए काम करो. मैं तुम्हें 20 लाख रुपये दूंगा.”

माना जाता है कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का रने वाला जीवा गैंगस्टर मुख्तार अंसारी का सहयोगी रहा है. कई अपहरण, हत्या और अन्य आपराधिक मामलों में आरोपी, उस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो नेताओं, ब्रह्म दत्त द्विवेदी और कृष्ण नंद राय की हत्या में भी शामिल होने का आरोप था. हालांकि, उसे राय की हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया गया था, द्विवेदी हत्याकांड में उसे दोषी ठहराया गया था. उसे एक मामले के सिलसिले में अदालत में ले जाया गया था, जहां उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई.

जबकि यादव को पिछले गुरुवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था, उसके परिवार के एक सदस्य ने सोमवार को दिप्रिंट को बताया कि जहां तक वो जानते थे कि वो कभी भी नेपाल नहीं गया था.

आतिफ नाम के किसी कैदी के बारे में लखनऊ जेल के अधिकारियों की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक सार्वजनिक पुष्टि नहीं हुई है.

हालांकि, लखनऊ के संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून और व्यवस्था) उपेंद्र अग्रवाल ने दिप्रिंट को बताया कि वो कथित बयान सहित हर चीज़ को जांच का हिस्सा मान रहे हैं.

अग्रवाल ने कहा, “हम उसे रिमांड पर लेंगे और उससे आगे पूछताछ करेंगे.” लखनऊ की एक अदालत बुधवार को रिमांड याचिका पर सुनवाई करने वाली है.

इस बीच कानून और व्यवस्था के विशेषज्ञों ने बताया है कि पिछले हफ्ते की गोलीबारी में कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया हथियार – लखनऊ पुलिस के अनुसार, प्वाईंट 357 बोर का बनाया हुआ अल्फ़ा सीरीज़ का मैग्नम रिवॉल्वर था जो कि एक “बहुत शक्तिशाली हथियार” है, जिसका इस्तेमाल अक्सर शिकार करने के लिए किया जाता है क्योंकि वो लक्ष्य की “मौत निश्चित रूप से” सुनिश्चित करता है.

गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को यूपी के प्रयागराज में पुलिस हिरासत में मार दिए जाने के दो महीने से भी कम समय बाद हुई जीवा की हत्या ने फिर से यूपी में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवालिया निशान लगा दिया है.

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने पिछले हफ्ते की घटना के बाद कहा, “लोग पुलिस हिरासत में अदालत परिसर में अपनी जान गंवा रहे हैं. ऐसा लगता है कि सरकार ने (अपराधियों) को बाहर जाने और लोगों को जहां भी वे चाहते हैं मारने की खुली छूट दे दी है. सवाल यह नहीं है कि किसे मारा जा रहा है, सवाल यह है कि उन्हें कहां मारा जा रहा है.”

जबकि कुछ ने सवाल किया था कि अदालत परिसर के अंदर हथियारों की तस्करी कैसे की गई थी, योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली यूपी सरकार ने एक बयान में कहा था कि सीएम ने तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा मामले की उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया था.


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भाई का दावा, यादव कभी नेपाल नहीं गया

लखनऊ पुलिस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, दिलचस्प बात यह है कि यादव को पिछले गुरुवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था, लेकिन कथित वीडियो बयान के लगभग चार दिन बाद, सोमवार को सामने आने से पुलिस घेरे में भौंहें फिर तन गई.

वीडियो की सामग्री बताती है कि इसे पिछले हफ्ते के कांड के बाद यादव को अस्पताल ले जाने के तुरंत बाद शूट किया गया था.

इस बीच, दिप्रिंट से बात करते हुए, सत्यम यादव, जिसने खुद को यादव के छोटे भाई के रूप में पहचाना, दावा किया कि यादव ने परिवार को नेपाल जाने के बारे में कभी सूचित नहीं किया था.

उसने कहा, “हमें इस सब के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. मेरा भाई 2021 से मुंबई में काम कर रहा था, लेकिन 22 मार्च को अचानक घर (जौनपुर) लौट आया. उसने हमें बताया कि वह मुंबई में काम नहीं करना चाहता और अब लखनऊ में काम करेगा. उसने आगे कहा कि दो-तीन दिन घर में बिताने के बाद वो लखनऊ चला गया. वह मुझसे आखिरी बार 10 मई को (जौनपुर) में एक शादी में मिला था और अगले दिन शहर से चला गया था. इसके बाद कई दिनों तक उसका फोन बंद रहा.”

सत्यम ने आगे दावा किया कि विजय 8 जून की शाम तक लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती रहा, जिसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उन्होंने कहा कि जीवा की हत्या के तुरंत बाद पुलिस उसके आवास पर आई और परिवार से पूछताछ की थी.

इससे पहले खबरों में सत्यम के हवाले से कहा गया था कि उसके भाई को उसके पिता ने पढ़ाई में रुचि नहीं रखने और कॉलेज छोड़ने के लिए डांटा और पीटा था, जबकि वह बी.कॉम द्वितीय वर्ष का छात्र था.

इस बीच, जेल अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि हाल के दिनों में जेल में जीवा से मिलने वालों की जानकारी और बैठकों के सीसीटीवी फुटेज के लिए लखनऊ पुलिस जेल अधिकारियों के संपर्क में थी.

जबकि कुछ खबरों में दावा किया गया है कि आतिफ नाम के चार कैदी थे जो वर्तमान में लखनऊ जेल में बंद हैं, डीजी (जेल) एस.एन. साबत ने दिप्रिंट को बताया कि यह एक ऐसा एंगल है जिसकी पुलिस जांच करेगी और यह उनके दायरे में नहीं आता.

उन्होंने कहा, “सैकड़ों कैदी हैं, इसलिए हमें अभी तक ऐसी पहचान नहीं मिल पाई है. संभवत: आने वाले समय में पुलिस इसकी जांच करेगी. यह हमारा डोमेन नहीं है. पुलिस जेल अधिकारियों के संपर्क में है.”

‘प्वाईंट 357 बोर के मैग्नम अल्फा का हत्या में इस्तेमाल’

लखनऊ पुलिस अधिकारियों ने सोमवार को दिप्रिंट को बताया कि जीवा की हत्या में इस्तेमाल किया गया हथियार अल्फ़ा सीरीज़ का चेक निर्मित प्वाईंट 357 बोर मैग्नम रिवॉल्वर था.

अग्रवाल ने दिप्रिंट को बताया, “रिवॉल्वर को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है.”

कानून और व्यवस्था के क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार, रिवाल्वर एक शक्तिशाली हथियार है, जिसे अक्सर शिकार में इस्तेमाल किया जाता है, और इसे “पारखी हथियार” के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

यूपी के पूर्व पुलिस उप महानिरीक्षक (डीजीपी) और राज्यसभा सदस्य बृजलाल ने दिप्रिंट को बताया, “प्वाईंट 357 बोर मैग्नम एक बहुत शक्तिशाली हथियार है. यह बैरल के कई रूपों के साथ आता है, जिसमें 6 इंच, 4 इंच और 2 इंच शामिल हैं. ये हथियार भेदी कारतूस के साथ आते हैं. इस खोखले कारतूस में बिखरने वाला प्रभाव होता है क्योंकि यह प्रवेश करते ही शरीर में फट जाता है. दुर्भाग्य से, यह भारत में गैर-प्रतिबंधित हथियार है और लोग इसे लाइसेंस के साथ रख सकते हैं.”

उन्होंने बताया, “हालांकि, भारत में विदेशी निर्मित हथियारों के आयात पर प्रतिबंध है, खिलाड़ी ऐसे हथियारों को आयात करने के लिए अधिकृत हैं और वे उन्हें बेचते हैं. राजनयिक भी भारत में हथियार ला सकते हैं और बाकी की तस्करी की जाती है.”

लाल के अनुसार, हथियारों की मैग्नम सीरीज़ विशेष रूप से शिकार के लिए उपयोग की जाती है, जिसका उद्देश्य लक्ष्य की “मौत सुनिश्चित” करना है.

उन्होंने दावा किया, “जब तक भारत में शिकार वैध था, मैग्नम सीरीज़ के हथियार शिकार के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किए जाते थे. जब यूपी स्पेशल टास्क फोर्स के छह अधिकारियों को थोकिया गिरोह (एक पूर्व डकैत गिरोह) द्वारा मार दिया गया था, ये हत्याएं मैग्नम राइफल से की गई थी. गोलियां पुलिस वाहन में लगी थीं और अधिकारियों की मौत हो गई थी.”

उन्होंने आगे बताया कि मुख्तार अंसारी की पत्नी और परिवार के सदस्यों के पास कई लाइसेंसी हथियार मौजूद हैं.

उन्होंने आगे कहा, “जबकि मैग्नम सीरीज़ के हथियारों की कीमत विदेशों में कुछ हज़ार डॉलर है, जब वे भारत में आते हैं, उनकी लागत 15-16 लाख रुपये तक पहुंच जाती है.”

यूपी के एक अन्य पूर्व डीजीपी, विक्रम सिंह के अनुसार, रिवाल्वर एक “पारखी का हथियार” हर एक “पुलिसकर्मी का सपना” है, जो लक्ष्य की मौत सुनिश्चित करता है, यहां तक कि एक नौसिखिया भी इससे सीधे गोली मार सकता है.

सिंह ने कहा, “यह चेक गणराज्य (पूर्व चेकोस्लोवाकिया) में बनाया गया एक डिजाइनर हथियार है. प्वाईंट 357 मैग्नम गोली को प्रक्षेपवक्र वेग देता है और भेदन शक्ति प्रदान करता है, भले ही व्यक्ति को घुटने के नीचे गोली मार दी जाए, वह रक्तस्राव से मर जाएगा.”

उन्होंने कहा, “निशाने के विफल होने के बहुत कम चांस है, एक नौसिखिया भी निशाना लगा सकता है और सीधे गोली मार सकता है क्योंकि स्टील बहुत भारी है और रिकॉइल बहुत कम है.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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