नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) बच्चों को मादक पदार्थों की लत से बचाने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में शुरुआत से ही जागरुकता कार्यक्रम शुरू करने की जरूरत है। विशेषज्ञों ने यह राय व्यक्त की है।
स्वतंत्र थिंक टैंक ‘थिंक चेंज फोरम’ (टीसीएफ) ने किशोरों में मादक पदार्थों के सेवन को लेकर नयी प्रवृत्ति पर गौर करने के लिए एक विश्लेषण किया है जिसमें माताओं की चिंताओं पर विशेष ध्यान दिया गया है।
इसके तहत बीते कुछ महीनों के दौरान इस विषय पर अलग-अलग क्षेत्रों की महिला विशेषज्ञों और माताओं के साथ 12 से ज्यादा परामर्श सत्र आयोजित किए गए।
माताओं और महिला विशेषज्ञों ने बच्चों में मादक पदार्थों की लत के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए छह सूत्रीय एजेंडे का प्रस्ताव दिया।
उन्होंने कहा कि बच्चों को मादक पदार्थों की लत के चंगुल से बचाने के लिए सभी स्कूली पाठ्यक्रमों में शुरुआत से ही जागरुकता कार्यक्रम शुरू करने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों में ‘फैंसी इलेक्ट्रॉनिक वैपिंग’ (ई-सिगरेट) उपकरणों की बढ़ती लोकप्रियता गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय तंबाकू उद्योग उन्हें सुरक्षित पदार्थ के तौर पर पेश कर रहे हैं।
‘द चंपा ट्री’ की संस्थापक वैशाली शर्मा ने कहा कि विपणक हानिकर उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए इसे आकर्षक बनाकर पेश करते हैं जिससे किशोर आसानी से प्रभावित हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि ‘वैपिंग’ (ई सिगरेट) को आकर्षक उत्पाद के तौर पर पेश किया जाता है लेकिन यह बात छुपा ली जाती है कि इससे नुकसान पहुंच सकता है।
‘ट्री फॉर लाइफ’ की संस्थापक कविता अशोक ने कहा कि जब किसी पदार्थ से निपटने की बात आती है तो बातचीत करना अहम है।
उन्होंने कहा कि बच्चों में अकेलेपन की भावना आने से वे घरों से बाहर स्वीकृति हासिल करने की कोशिश में लग जाते हैं जिससे वे ‘ई-सिगरेट’ जैसी नुकसानदेह आदतों के चंगुल में फंस जाते हैं।
भाषा नोमान अविनाश
अविनाश
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