नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) उप थल सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने शुक्रवार को कहा कि भविष्य के युद्धों के बदलते स्वरूप के आलोक में अनसुलझी और विवादित सीमाओं की अतीत से मिली चुनौतियां कहीं अधिक जटिल हो गई हैं।
एक सैन्य थिंक-टैंक (समस्याओं पर सलाह देने वाला विशेषज्ञों का समूह) को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत के शत्रुओं के मंसूबों को परास्त करने और किसी सैन्य टकराव को रोकने के लिए अत्यधिक सक्रियता से एक विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करने की भी हिमायत की।
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा, ‘भविष्य के युद्धों के बदलते स्वरूप के आलोक में ‘हमारी अनसुलझी और विवादित सीमाओं की अतीत से मिली चुनौतियां कहीं अधिक जटिल हो गई हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विध्वंसकारी प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल के साथ आक्रमण के नये तरह के हथियार और परंपरागत युद्ध एवं शांति के अस्पष्ट क्षेत्र का इस्तेमाल करने वाले शत्रुतापूर्ण कृत्यों ने युद्ध के मैदान को बदल दिया है।’’
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने यह भी कहा कि अनिश्चित सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्र को तैयार करने की कुंजी सामरिक एवं अभियानगत सैन्य नेतृत्व को सशक्त करना है, ताकि सशस्त्र बल शीघ्रता से बदलावों के अनुकूल ढल सकें और भविष्य के संघर्ष को जीत सकें।
उन्होंने कहा, ‘‘नयी पीढ़ी के युद्ध वे नेतृत्वकर्ता जीतेंगे, जो रचनात्मक हैं, प्रौद्योगिकी को अपनाते हैं और जिन्होंने शानदार पेशेवर ज्ञान के साथ निर्णय लेने का कौशल विकसित किया है।’’
सेमिनार का आयोजन सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज ने किया था।
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि एक बहुआयामी युद्ध लड़ने के लिए क्षमताओं का निर्माण करने के वास्ते भारतीय थल सेना भविष्य के संघर्षों को ध्यान में रखते हुए सक्रियता से आधुनिकीकरण में जुटी हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में थल सेना एक विश्वसनीय और संतुलित (सैन्य) बल का निर्माण कर रही है ताकि सशस्त्र संघर्ष का प्रतिरोध किया जा सके। ’’
उन्होंने कहा कि साइबर, अंतरिक्ष और इंफॉरमेटिक्स के क्षेत्रों का तेजी से हो रहे विस्तार ने युद्ध के प्रति एक नये रुख की जरूरत उत्पन्न की है।
भाषा
सुभाष दिलीप
दिलीप
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