नई दिल्ली: यह कहते हुए कि भ्रष्टाचार की प्रकृति अब और अधिक ‘जटिल’ हो गई है, प्रधानमंत्री मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि अब ‘अभिनव भ्रष्टाचार विरोधी समाधानों’ की आवश्यकता है.
मिश्रा के कहा, ‘भ्रष्टाचार प्रशासन के जितना ही पुराना है. भारत में उदारीकरण के बाद भ्रष्टाचार की प्रकृति और जटिल हो गई है. तकनीकी विकास के साथ, ऐसे क्षेत्र उभरे हैं जहां भ्रष्टाचार का पता लगाना मुश्किल है, विशेषकर क्रिप्टोकरेंसी जैसे क्षेत्रों में. अब भ्रष्टाचार विरोधी अभिनव समाधानों की आवश्यकता है.’
गुजरात कैडर के 1972 बैच के आईएएस अधिकारी मिश्रा, जो 2014 से प्रधानमंत्री कार्यालय में अपनी सेवा दे रहे हैं, सीबीआई द्वारा अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार-विरोधी दिवस पर ‘एंटी करप्शन एफ्फोर्ट्स– ए साइन कवा नॉन फॉर डेवलपमेंट एंड सिक्योरिटी’ शीर्षक वाले समारोह में मुख्य भाषण दे रहे थे.
मिश्रा को साल 2019 में पीएम के प्रमुख सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्होंने 2001 से 2004 तक मोदी के प्रमुख सचिव के रूप में तब भी काम किया था, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
मिश्रा ने कहा कि भ्रष्टाचार ‘सरकार में निष्क्रियता को बढ़ावा देता है और आर्थिक अक्षमता को बढ़ावा देता है, यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा हो सकता है.’
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के अपराध से निपटना ‘सभी का अधिकार और जिम्मेदारी है.’
उन्होंने आगे कहा कि भ्रष्टाचार का प्रभाव आम नागरिकों पर विशेष रूप से भारी होता है और समुदाय के गरीब एवं कमजोर व्यक्तियों पर तो यह और भी अधिक असर डालता है.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, किसी न किसी का अधिकार छीन ही लेता है.
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कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच रीयल-टाइम में जानकारी का साझा किया जाना
कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच वास्तविक समय (रियल टाइम) में जानकारी साझा करने का आह्वान करते हुए, उन्होंने कहा कि भारत ‘वित्तीय अपराधों सहित सीमा पार से जुड़े तारों के साथ किये जाने वाले विभिन्न प्रकार के अपराधों से लड़ने’ की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा कि भारत अन्य देशों और उनकी एजेंसियों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है.
अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस की थीम- यूनाइटिंग द वर्ल्ड अगेंस्ट करप्शन- भ्रष्टाचार के खिलाफ दुनिया को एकजुट करना- का उल्लेख करते हुए मिश्रा ने कहा कि यह ‘भ्रष्टाचार की सार्वभौमिक प्रकृति’ और ‘इससे लड़ने के लिए सभी देशों को एक साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता’ को दर्शाता है.
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‘भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस’
साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने के समयकाल का जिक्र करते हुए, मिश्रा ने कहा कि देश ने तब के बाद से एक बड़ा बदलाव करने और ‘नई दिशा’ में आगे बढ़ने का फैसला किया है. सरकार ने ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस’ की नीति का समर्थन करने के लिए बड़ी तेजी से महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान लागू किये हैं.
उन्होंने काले धन पर सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (स्पेशल इंवेस्टीगेटिव टीम -एसआईटी) और काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) कर अधिरोपण अधिनियम- ब्लैक मनी (अनडिस्कोलज्ड फॉरेन इनकम एंड एसेट्स) एंड इम्पोजिशन ऑफ टैक्स एक्ट- 2015 जैसे व्यापक और सख्त कानून को लागू किये जाने का महत्वपूर्ण कदमों के रूप में उल्लेख किया.
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा एक बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 भी है, जो (कानून प्रवर्तन) अधिकारियों को बेनामी संपत्तियों की कुर्की-जब्ती करने का अधिकार देता है.’
उन्होंने कहा, ‘सीबीआई जैसी कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने भी भ्रष्टाचार को कम करने के लिए बहुत कुछ किया है.’
(अनुवाद: रामलाल खन्ना)
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