नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने शुक्रवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा उसके संवैधानिक अधिकार को बरकरार रखने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे विस्थापित ओबीसी किसानों और उनके परिवारों को न्याय मिला है।
आयोग ने केंद्र सरकार द्वारा 2018 में उसे संवैधानिक दर्जा दिए जाने के फैसले की सराहना की, जिससे वह अदालत में पिछड़े वर्गों के अधिकारों की प्रभावी ढंग से रक्षा कर सके।
यह मामला कर्नाटक पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (केपीसीएल) की परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित भूमि को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकारों के बीच 2016 में हुए समझौते से संबंधित है।
वर्ष 2023 की समीक्षा बैठक और जन सुनवाई में, एनसीबीसी ने अधिकारियों को विस्थापित किसानों, मजदूरों और ग्रामीणों के मुआवजे, पुनर्वास और शिकायतों के निपटारे का निर्देश दिया था।
केपीसीएल और कर्नाटक सरकार ने इन निर्देशों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसके बाद उच्च न्यायालय ने शुरू में इस पर रोक लगा दी।
अदालत ने 19 सितंबर को अपना फैसला सुनाते हुए, रोक हटा दी और याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 338बी के तहत, एनसीबीसी एक संवैधानिक निकाय है जिसके पास सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की शिकायतों की जांच करने, निगरानी और निवारण करने की शक्तियां हैं।
एनसीबीसी ने कहा कि ‘विस्थापित ओबीसी किसानों और उनके परिवारों को न्याय मिला है’।
भाषा वैभव आशीष
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