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Wednesday, 24 April, 2024
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वानखेड़े परिवार के खिलाफ टिप्पणी करने के लिए नवाब मलिक ने HC से मांगी माफी

हाई कोर्ट की बेंच ने 29 नवंबर को एकल न्यायाधीश का 22 नवंबर का वह आदेश रद्द कर दिया था जिसमें मानहानि वाद की सुनवाई के दौरान मंत्री को वानखेड़े के खिलाफ मानहानिकारक बयान देने से रोकने से इनकार कर दिया गया था.

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मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) अधिकारी समीर वानखेड़े और उनके परिवार के बारे में सार्वजनिक टिप्पणी करने पर शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी जबकि उन्होंने पूर्व में यह आश्वासन दिया था कि वह ऐसा नहीं करेंगे.

मलिक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय ने मंत्री का एक हलफनामा पेश किया जिसमें उन्होंने अदालत के 29 नवंबर के आदेश का उल्लंघन करने के लिए माफी मांगी. मलिक ने हलफनामे में कहा कि अपने खुद के आश्वासन का उल्लंघन करके अदालत का अपमान करने का उनका कोई इरादा नहीं था. उन्होंने हलफनामे में यह भी दलील दी कि उन्होंने टिप्पणी एक साक्षात्कार के दौरान कीं थी और वे सोशल मीडिया पोस्ट या सार्वजनिक टिप्पणियों का हिस्सा नहीं थीं.

मलिक ने हलफनामे में कहा, ‘मैं 25 नवंबर और 29 नवंबर को दिए गए आश्वासन के उल्लंघन के मामले में इस अदालत से बिना शर्त माफी मांगता हूं.’

मंत्री ने कहा कि हाई कोर्ट जब तक समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि वाद पर सुनवाई नहीं कर लेता, तब तक वह वानखेड़े परिवार के बारे में कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करेंगे.


यह भी पढ़ें: बॉम्बे HC ने नवाब मलिक, वानखेड़े के पिता के दस्तावेजों पर लिया संज्ञान, 22 नवंबर को देगी आदेश


हलफनामे में कहा गया है, ‘मुझे विश्वास है कि मेरा बयान मुझे केंद्रीय एजेंसियों के राजनीतिक दुरुपयोग और उनके अधिकारियों के आधिकारिक कर्तव्य निर्वहन के दौरान उनके आचरण पर टिप्पणी करने से नहीं रोकेगा.’ अदालत ने मलिक की माफी स्वीकार कर ली है.

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अदालत ने साथ ही ज्ञानदेव वानखेड़े के वकील बीरेंद्र सराफ द्वारा मलिक के बयान के बारे में उठाई गई आपत्ति पर भी गौर किया कि वह अभी भी ‘केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों’ के आचरण पर टिप्पणी कर सकते हैं.

वकील सराफ ने कहा कि मलिक को हलफनामे के इस हिस्से का दुरुपयोग समीर वानखेड़े (जो एनसीबी के मुंबई क्षेत्रीय निदेशक) के खिलाफ अपमानजनक बयान देना जारी रखने के लिए नहीं करना चाहिए.

चिनॉय ने कहा कि उनके मुवक्किल अधिकारी के खिलाफ कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करेंगे. वकील ने कहा, ‘मैं (मलिक) उनके (समीर वानखेड़े के) निजी जीवन के बारे में कुछ नहीं कह रहा हूं. उनका धर्म, जाति, छुट्टियां, मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है.’

हाई कोर्ट ने चिनॉय के बयान को स्वीकार कर लिया लेकिन यह भी साफ कर दिया कि मलिक अपने आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन में समीर वानखेड़े के पिछले आचरण पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. अदालत ने कहा कि किसी भी टिप्पणी को वर्तमान या भविष्य तक सीमित रखा जाना चाहिए.

अदालत ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों के वकीलों को उन्हें ‘इसे खत्म करने’ की सलाह देनी चाहिए.

चिनॉय ने कहा कि वह ऐसा करना चाहते हैं लेकिन मुद्दा ‘बहुत जटिल’ है.

हाई कोर्ट की बेंच ने 29 नवंबर को एकल न्यायाधीश का 22 नवंबर का वह आदेश रद्द कर दिया था जिसमें मानहानि वाद की सुनवाई के दौरान मंत्री को वानखेड़े के खिलाफ मानहानिकारक बयान देने से रोकने से इनकार कर दिया गया था.

मलिक ने तब यह आश्वासन दिया था कि वह वानखेड़े परिवार के खिलाफ सार्वजनिक बयान नहीं देंगे या सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट नहीं करेंगे. अदालत ने ज्ञानदेव वानखेड़े को 3 जनवरी, 2022 तक एक प्रत्युत्तर (अतिरिक्त) हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.


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