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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशनवीन पटनायक की सूझबूझ और समय से पहले की फूर्ती ने ओडिशा को कोरोनावायरस संक्रमण के प्रकोप से बचाया

नवीन पटनायक की सूझबूझ और समय से पहले की फूर्ती ने ओडिशा को कोरोनावायरस संक्रमण के प्रकोप से बचाया

कोरोना की मार से कराह रहे अन्य की राज्यों के मुकाबले ओडिशा सरकार ने काफी पहले कमर कसी. यही नहीं, जबतक अन्य राज्य इस भयंकर वायरस की विध्वंशकारी संभावना को संज्ञान में लेते, तब तक ओडिशा सरकार न केवल कोरोना को फैले से रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा चुकी थी.

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भुवनेश्वर: पूर्वी राज्य ओडिशा में कोरोना की स्थिति देश के अन्य राज्यों के मुकाबले अभी भी काफी बेहतर है. आज सुबह तक राज्य में केवल चार ही लोग कोरोना पाज़िटिव पाए गए गए हैं और अभी तक इस जानलेवा बीमारी से यहां किसी की मौत नहीं हुई है .

लेकिन जैसा की राज्य सरकार द्वारा लोगों को कोरोना संबंधित सूचना देने के लिए नियुक्त मुख्य प्रवक्ता सुब्रतो बागची ने कल अपने रोजाना मीडिया ब्रीफिंग में कहा इस बात को लेकर ‘आश्वस्त होना या अपनी पीठ थपथपाना’ गलत होगा, क्योंकि आनेवाले दिनों में स्थिति काफी तेज़ी से बिगड़ सकती है और ओडिशा का अन्य राज्यों से बराबरी पर आने या उन्हें पीछे छोड़ देने की संभावना से इनकार किया नहीं जा सकता.

जब से यह पता चला है कि मार्च महीने के मध्य में दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तबलीगी जमात के धार्मिक जमावड़े में ओडिशा से भी 10-15 लोग शामिल थे, तब से यह संभावना और भी बढ़ गई है . इनमें से अबतक केवल तीन लोगों की ही शिनाख्त हो पाई है और उन्हें क्वारंटाइन में रखा गया है . उनके परिवार वालों पर नजर रखी गई है और बाकी लोगों की तलाश जारी है .


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ऐसी आशंका का एक बड़ा कारण यह है कि पिछले 23 तारीख से देश भर में लागू किए गए लॉकडाउन के पालन के बारे में ओडिशा के लोग गंभीर हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा . टेलीविजन के जरिए राज्यभर में लॉकडाउन की पाबंदियों के पालन का जो चित्र उभरकर आ रहा है, वह बेहद चिंताजनक है. कई जगह दुकानों, बाजारों और सड़कों पर लोगों की इतनी भीड़ देखी जा रही है कि वहां कोई लॉकडाउन है, ऐसा लग ही नहीं रहा. माहौल लगभग वैसा ही है जैसा अन्य दिनों में देखा जाता है. ‘सामाजिक दूरी’ का खुले आम उल्लंघन हो रहा है और अपनी सभी कोशिशों के बावजूद स्थानीय प्रशासन और पुलिस लोगों को ऐसे आत्मघाती रवैये से रोक पाने में असफल हो रही हैं .

राजधानी भुवनेश्वर में भी इस बारे में जागरूकता की काफी कमी स्पष्ट देखी जा रही है. जिस दिन दिल्ली में अपने गांव लौटने के लिए उतावले हो रहे हजारों प्रवासी श्रमिकों की भीड़ देखी गई, उसी दिन ओडिशा के सड़कों में भी सैंकड़ों श्रमिकों को सैंकड़ों मील पैदल चलकर अपने, अपने गांव लौटते देखे गए. जाहिर है यह सभी चीजें ओडिशा में कोरोना की स्थिति को काफी तेज़ी से बिगाड़ सकतीं हैं.


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ओडिशा के लिए एक बेहद चिंता का विषय यह भी है कि यहां प्रवासी श्रमिकों की तादाद काफी बड़ी है . सरकारी सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा अन्तः राज्य गमन पर पूरी तरह से रोक लगाए जाने के बाद अभी ओडिशा के डेढ़ लाख प्रवासी श्रमिक अन्य राज्यों में फंसे हुए हैं. पाबंदी लगने से पहले सूरत और अन्य स्थानों में काम करने वाले हजारों ओडिशा श्रमिक अपने गावों में लौट आए हैं . इसी तरह हाल ही में विदेश से लौटे लगभग पांच हजार लोगों ने सरकारी वेबसाइट पर अपना पंजीकरण किया है . लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपना पंजीकरण नहीं करवाया और जिन्हें ढूंढ़ना सरकार के लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा है .

हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर अभी तक ओडिशा में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में हैं, तो इसका पूरा नहीं तो कुछ श्रेय राज्य सरकार को जाता है, क्योंकि कोरोना की मार से कराह रहे अन्य की राज्यों के मुकाबले ओडिशा सरकार ने काफी पहले कमर कसी. यही नहीं, जबतक अन्य राज्य इस भयंकर वायरस की विध्वंसकारी संभावना को संज्ञान में लेते, तब तक ओडिशा सरकार न केवल कोरोना को फैले से रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा चुकी थी, बल्कि पूरे छह महीने के लिए एक दीर्घसूत्री ‘एक्शन प्लान’ बनाकर उसपर अमल करना भी शुरू कर दिया था .

यहां यह बताना जरूरी है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूरे देश में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा करने से दो दिन पहले ही ओडिशा सरकार पूरे राज्य में लॉकडाउन लागू कर चुकी थी .


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23 तारीख को टेलीविजन पर देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगर लोगों को लॉकडाउन के दौरान अपने घर से न निकलने के लिए ‘हाथ जोड़कर’ अपील की, तो मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने उनसे कुछ घंटे पहले ही टेलीवीजन पर लोगों से यही अपील करते हुए उन्हें उनको उनके ‘बीवी, बच्चों की कसम’ दे डाली.

वैसे तो तत्काल इसका कोई असर नहीं देखा गया. लेकिन उसके बाद हर दूसरे दिन, मुख्यमंत्री द्वारा टेलिविज़न के ज़रिए अलग अलग तरीके से वही संदेश देने और प्रशासन तथा पुलिस की बढ़ती चुस्ती के कारण अब लोगों में कोरोना और इसकी जानलेवा संभावना को लेकर जागरूकता बढ़ती हुई जरूर नजर आ रही है .

(लेखक ओडिशा में वरिष्ठ पत्रकार हैं.)

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