भुवनेश्वर, 30 अगस्त (भाषा) ओडिशा में उर्वरक की कथित कमी को लेकर किसानों में बढ़ते आक्रोश के बीच राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने इस मामले में केंद्र से हस्तक्षेप करने की शनिवार को मांग की और चालू खरीफ सत्र के दौरान यूरिया की पर्याप्त आपूर्ति किए जाने का अनुरोध किया।
पटनायक ने दक्षिणी ओडिशा के मलकानगिरि, गंजाम और नबरंगपुर जिलों में उर्वरक की पर्याप्त आपूर्ति की मांग को लेकर किसानों के सड़कों पर उतरने की खबरों के बाद यह अपील की है। मलकानगिरि में विरोध प्रदर्शन के कारण शुक्रवार को राष्ट्रीय राजमार्ग-326 पर यातायात बाधित हो गया।
ओडिशा के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री के सी पात्रा ने हालांकि केंद्र को पत्र लिखने और राज्य के लिए अधिक उर्वरक की मांग करने के लिए पटनायक का मखौल उड़ाया। उन्होंने दावा किया, ‘‘राज्य में उर्वरक की कोई कमी नहीं है।’’
मंत्री ने यह भी याद दिलाया कि कैसे पटनायक ने पिछले साल राज्य में आलू की आपूर्ति प्रभावित होने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा था।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हर कोई जानता है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को लिखे उनके पत्र का क्या हुआ। अब उर्वरकों के लिए केंद्र को पत्र लिखने की कोई जरूरत नहीं है।’’
मंत्री ने दावा किया कि किसान भाजपा सरकार से संतुष्ट हैं, जिसने धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
उन्होंने दावा किया, ‘‘जिन किसानों ने बीजद सरकार के दौरान खेती करना बंद कर दिया था, वे अब मोहन चरण माझी सरकार के तहत खेती में अपना भविष्य देख रहे हैं।’’
बीजू जनता दल (बीजद) के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री पटनायक ने केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जे पी नड्डा को लिखे पत्र में उनसे अनुरोध किया कि वह ‘‘कृषक समुदाय के व्यापक हित में खरीफ के इस सत्र में ओडिशा को यूरिया की पर्याप्त आपूर्ति करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।’’
बीजद प्रमुख ने कहा कि कृषि ओडिशा की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है, जो इसकी 70 प्रतिशत से अधिक आबादी को आजीविका प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशक में कृषि क्षेत्र में राज्य का विकास शानदार रहा है।
उन्होंने पत्र में लिखा, ‘‘चावल के आयातक से ओडिशा ने खुद को देश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में बदल दिया है।’’
पटनायक ने कहा कि ओडिशा चावल उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है और यह प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा खाद एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति के कारण संभव हुआ है।
उन्होंने कहा कि उर्वरक कृषि उत्पादन के लिए बहुत आवश्यक हैं और खरीफ सीजन के दौरान फसलों के बढ़ने के लिए इसकी सुचारू आपूर्ति बहुत महत्वपूर्ण है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ओडिशा के किसानों को ‘‘इस चालू खरीफ सीजन के दौरान यूरिया प्राप्त करने में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘खरीफ सीजन की शुरुआत में यूरिया की कम आपूर्ति, इसकी कालाबाजारी और मिलावट हमारे किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कई जिलों में, खासकर आदिवासी जिलों में, यूरिया की अनुपलब्धता के कारण किसान आंदोलन कर रहे हैं। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो इससे कृषि गतिविधियों में गंभीर व्यवधान पैदा हो सकता है और इसका असर उत्पादन एवं किसानों की आजीविका पर भी पड़ेगा।’’
पटनायक ने कहा कि हालांकि राज्य सरकार 7.94 लाख टन यूरिया होने का दावा करती है, लेकिन किसान इसे पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पूरे ओडिशा में यूरिया सरकार द्वारा स्वीकृत दर से अधिक दाम पर अवैध रूप से बेचा जा रहा है। सरकार द्वारा नामित वितरण एजेंसी मार्कफेड किसानों के बजाय निजी व्यापारियों को सब्सिडी वाले उर्वरक की आपूर्ति कर रही है।’’
पुलिस ने बताया कि मलकानगिरि में सैकड़ों किसान शुक्रवार को उर्वरक के लिए मैथिली लार्ज एरिया मल्टीपर्पस कोऑपरेटिव सोसाइटी (एलएएमपीएस) में इकट्ठा हुए, लेकिन भारी भीड़ के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग-326 पर यातायात बाधित हो गया।
स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि एलएएमपीएस केंद्र में उर्वरक की केवल 1,200 बोरियां उपलब्ध थीं, जबकि किसानों की संख्या लगभग 10 गुना थी।
उन्होंने बताया कि वितरण टोकन प्रणाली के माध्यम से किया गया, जिससे एक किसान को केवल एक बैग यूरिया मिल सका।
किसानों ने दावा किया कि सरकारी उर्वरक की कालाबाजारी की जा रही है।
कृषि एवं किसान सशक्तीकरण विभाग का कार्यभार संभाल रहे उपमुख्यमंत्री के.वी. देव ने कहा कि उर्वरकों की कालाबाजारी में लिप्त पाए जाने वाले डीलरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
भाषा धीरज नेत्रपाल
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