जम्मू, 27 मार्च (भाषा) जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक और भाजपा सदस्य देवेंद्र सिंह राणा ने दावा किया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता फारूक अब्दुल्ला 2014 में प्रदेश में भगवा पार्टी के साथ गठबंधन सरकार बनाने के लिये तैयार थे।
नेकां के पूर्व सदस्य राणा पिछले साल अक्टूबर में पूर्व मंत्री एस. एस. सलाथिया के साथ दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे।
राणा की यह टिप्पणी इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नेकां के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के इस बयान के विपरीत है कि उन्होंने पीडीपी संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद को 2014 में भाजपा के साथ सरकार बनाने को लेकर आगाह करते हुए कहा था कि यह एक ”त्रासदी” होगी।
राणा ने डोडा में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘2014 के विधानसभा चुनावों में त्रिशंकु जनादेश के बाद, तत्कालीन नेतृत्व ने मुझे एक प्रतिनिधिमंडल के नेता के रूप में दिल्ली भेजा था, ताकि भाजपा को नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ सरकार बनाने के लिए राजी किया जा सके… हम भगवा पार्टी के साथ गठबंधन सरकार बनाने के लिए तैयार थे।”
राणा ने उमर के राजनीतिक सलाहकार के रूप में अपना पद छोड़ने के बाद 2011 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष का पद संभाला था।
उन्होंने कहा कि पीडीपी ने भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन बाद में उसी पार्टी के साथ गठबंधन सरकार बनाई।
साल 2014 के विधानसभा चुनाव में पीडीपी ने 28, भाजपा ने 25, नेकां ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीट जीती थी।
एक मार्च 2015 को, सईद ने एक समारोह में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं ने शिरकत की थी।
पिछले साल 30 नवंबर को किश्तवाड़ जिले के चतरू गांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उमर ने कहा था कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस की ‘कमजोर स्थिति’ का फायदा उठाया और जम्मू-कश्मीर के लोगों को संविधान के अनुच्छेद 370 के रूप में जो दिया गया था, उसे छीन लिया।
उमर ने तब कहा था, ”मुझे ऐसी स्थिति का पूर्वाभास हो चुका था और मैं सरकार गठन को लेकर बिना शर्त बाहरी समर्थन देने के लिए मुफ्ती साहब के पास गया था। मैंने उनसे कहा था कि वह जिस रास्ते पर चल रहे हैं, वह जम्मू-कश्मीर के लिए एक त्रासदी होगी और हम खुद को नहीं बचा पाएंगे।”
उमर ने कहा था, ‘मैंने उनसे कहा कि मुझे सत्ता का कोई लालच नहीं है, क्योंकि मैंने मुख्यमंत्री के रूप में अभी छह साल पूरे किए हैं। मैंने उनसे उन लोगों को सत्ता में आने से रोकने के लिए कहा था, जिनकी जम्मू-कश्मीर को लेकर अच्छी नीयत नहीं थी।”
भाषा जोहेब दिलीप
दिलीप
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