नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के यह कहने के कुछ दिनों बाद कि संसदीय समिति की तरफ से डेटा संरक्षण बिल के मसौदे को ‘बिग थम्स अप’ मिला था, नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (नैसकॉम) ने एक स्पष्टीकरण जारी करके कहा कि मंत्री ने यह नहीं कहा था कि बिल को ‘अनुमोदित’ कर दिया गया है.
आईटी मंत्री वैष्णव ने गुरुवार को नैसकॉम टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम में अपने संबोधन के दौरान कथित तौर पर कहा था, ‘मैं कुछ अच्छी खबरें साझा करना चाहूंगा कि बिल को संसद में पेश किए जाने से पहले ही आईटी और संचार पर स्थायी संसदीय समिति—जो इस विषय (डेटा सुरक्षा) से संबंधित समिति है—की तरफ से इसकी समीक्षा की जा चुकी हैं, और उसने बिग थम्स अप दिया है.’
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल नवंबर में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) विधेयक, 2022 का मसौदा पब्लिश किया था.
प्रौद्योगिकी उद्योग के शीर्ष निकाय नैसकॉम ने शुक्रवार को इस मामले पर एक स्पष्टीकरण जारी करके कहा कि वैष्णव ने ‘इंडस्ट्री को आश्वस्त किया है कि यह बिल सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में शुमार है और संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति के स्तर पर समीक्षा और चर्चा के बाद इसे जल्द से जल्द संसद में पेश करने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं.’
इसमें आगे कहा गया कि मंत्री ने ‘यह नहीं कहा था कि विधेयक को समिति का ‘अनुमोदन’ मिल गया है.’
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क्यों इस पर उठा विवाद
वैष्णव के बयान के तुरंत बाद ही कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम—जो संसदीय समिति के सदस्य भी हैं—ने इसका खंडन करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया और इसे ‘असत्य’ करार दिया.
कार्ति ने लिखा, ‘नवंबर 2022 में सार्वजनिक परामर्श के लिए ड्राफ्ट बिल जारी किया गया था. दिसंबर में नागरिकों की निजता और डेटा सुरक्षा पर चर्चा के दौरान समिति ने मसौदा विधेयक पर प्रारंभिक चर्चा भी की. सदस्यों ने मसौदे को लेकर कई मुद्दों को उठाया…डीपीडीपी विधेयक को औपचारिक रूप से समिति को नहीं भेजा गया है और इसलिए अश्विनी वैष्णव का ‘बिग थम्स अप’ का दावा पूरी तरह असत्य है.’
समिति के सूत्रों ने दिप्रिंट से पुष्टि की है कि वर्तमान मसौदे के साथ उनके मुद्दों पर चर्चा ‘काफी समय से लंबित’ है और सरकार ‘जल्दबाजी में काम कर रही है.’
हालांकि, विशेषज्ञों ने मोटे तौर पर इस बात पर सहमति जताई थी कि इस तरह के नीतिगत ढांचे की शुरुआत आवश्यक है, लेकिन विधेयक के मौजूदा प्रारूप को लेकर चिंताएं बरकरार रही हैं.
प्रौद्योगिकी नीति विशेषज्ञों का मानना है कि नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा पर सरकार की अधिकृत शक्तियों, व्यक्तिगत डेटा में सेंध लगने पर मुआवजे और ऑनलाइन उपस्थिति के लिए 18 वर्ष की आयु सीमा को मान्यता आदि को लेकर स्थिति साफ होनी चाहिए.
लेकिन केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि यह बिल बच्चों सहित नागरिकों की रक्षा करेगा और मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि ‘सर्वसम्मति’ हो.
आगे क्या?
टेक पॉलिसी थिंक टैंक द डायलॉग के संस्थापक काजिम रिजवी ने दिप्रिंट को बताया कि बिल को संसद में पेश किए जाने से पहले कैबिनेट की तरफ से मंजूरी दी जाएगी.
उन्होंने कहा, ‘(ड्राफ्ट) डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 पर परामर्श की प्रक्रिया नवंबर 2022 में शुरू हुई थी और अब अगले कदम के तौर पर इसे कैबिनेट की मंजूरी के बाद संसद में पेश किया जाना है. हमें उम्मीद है कि संभवत: मानसून सत्र के दौरान विधेयक संसद में पेश कर दिया जाएगा.’
बहस के लिए विधेयक के सदन पटल पर रखे जाने के बाद इसे सूचना प्रौद्योगिकी मामलों पर संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा.
उन्होंने आगे कहा, ‘एक बार यह बिल संसद में पेश होने के बाद इसे सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी संसदीय समिति या व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 की तरह एक संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जा सकता है. इस परिदृश्य में, समिति इस पर विचार-विमर्श करेगी. विधेयक पर मंथन के बाद समिति की तरफ से संसद में एक रिपोर्ट पेश की जाएगी और फिर इस बिल को अंतिम रूप देने के लिए मंत्रालय इसका अध्ययन करेगा. हालांकि, यह मंत्रालय पर भी निर्भर करता है कि वह समिति की तरफ से की गई सिफारिशों को स्वीकार करता है या नहीं.’
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