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Wednesday, 24 April, 2024
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कर्ज के कारण किसानों की आत्महत्या के राज्यवार आंकड़े 2016 के बाद से उपलब्ध नहीं : नरेंद्र सिंह तोमर

2016 में कर्ज में डूबे होने और दिवालियापन के कारण 3,097 किसानों ने आत्महत्या की जिनमें महाराष्ट्र से 1,293, कर्नाटक से 946, तेलंगाना से 632 और आंध्र प्रदेश से 154 किसानों के आत्महत्या के मामले आए.

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नई दिल्ली : सरकार ने मंगलवार को बताया कि कर्ज में डूबे होने और दिवालियापन के कारण किसानों द्वारा आत्महत्या करने के राज्यवार आंकड़े 2016 के बाद से उपलब्ध नहीं हैं.

लोकसभा में प्रतापराव जाधव के प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘2014 और 2015 के दौरान ऋणग्रस्तता और दिवालियापन के कारण किसानों द्वारा आत्महत्या किये जाने संबंधी राज्यवार आंकड़े हैं. हालांकि यह आंकड़ा 2016 के बाद से उपलब्ध नहीं है.’

सरकार द्वारा राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से संबंधित रिपोर्ट के माध्यम से उपलब्ध कराये गए ऋणग्रस्तता और दिवालियापन के कारण किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों के अनुसार 2014 में इसके कारण 1,163 किसानों ने आत्महत्या की थी जिनमें महाराष्ट्र से 857, तेलंगाना से 208, कर्नाटक से 51 और आंध्र प्रदेश से 36 किसानों की आत्महत्या के मामले शामिल हैं.

2016 में कर्ज में डूबे होने और दिवालियापन के कारण 3,097 किसानों ने आत्महत्या की जिनमें महाराष्ट्र से 1,293, कर्नाटक से 946, तेलंगाना से 632 और आंध्र प्रदेश से 154 किसानों के आत्महत्या के मामले आए.

मंत्री ने बताया कि कृषि राज्य का विषय है, अत: राज्य सरकारें राज्य में कृषि विकास के लिये उपयुक्त उपाय करती हैं, हालांकि भारत सरकार उचित नीतिगत उपायों और बजटीय सहायता के माध्यम से राज्यों के प्रयासों में सहयोग करती है.

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