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Saturday, 23 November, 2024
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‘नमस्ते ट्रंप’ के बाद भारत और अमेरिका को रक्षा और ऊर्जा संबंध को मजबूत करना होगा

सोमवार से शुरू हुई राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की 36 घंटे की यात्रा पर भारत और अमेरिका के बीच 6 बिलियन डॉलर के रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है.

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नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा सिर्फ एक दिखावा नहीं है. यह दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों को भी मजबूत करेगा. जिसमें दोनों पक्षों के बीच रक्षा से लेकर ऊर्जा तक कई क्षेत्रों पर हस्ताक्षर करने और इंडो -पैसिफिक पहल को नए सिरे से आगे बढ़ाने की उम्मीद होगी.

हालांकि, नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच एक छोटे व्यापार पैकेज पर बातचीत नहीं बनी थी. रणनीतिक समाभिरूपता के मामले में, दीर्घकालिक निहितार्थ के साथ काफी कुछ घोषणाएं हो सकती हैं.

इस सप्ताह के शुरू में यात्रा की घोषणा करते हुए एक पत्रकार वार्ता के दौरान विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा, ‘वार्ता व्यापक होगी और रक्षा, सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी, साथ ही व्यापार, ऊर्जा, लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान और अन्य द्विपक्षीय मामलों में हमारी रणनीतिक साझेदारी से संबंधित सभी मुद्दों को कवर किया जाएगा.’

वाशिंगटन में विल्सन सेंटर में एशिया कार्यक्रम के उप निदेशक माइकल कुगेलमैन ने कहा इस यात्रा ध्यान नमस्ते ट्रम्प’ इवेंट पर होगा. हम दोनों नेताओं से साझा हितों को रेखांकित करने की उम्मीद कर सकते हैं जो दोनों पक्षों को एक साथ बांधते हैं और दिन के अंत में, वह तत्व जो महत्वपूर्ण होगा वो मोदी और ट्रम्प के बीच साझा मूल्यों या केमिस्ट्री के बजाय सबसे अधिक मायने रखता है.

रक्षा सौदे

दोनों देशों के बीच रक्षा व्यापार 2008 में लगभग शून्य से 2019 में 18 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. भारत अब उन नाटो देशों की श्रेणी में है, जिन्हें एसटीए-1 या सामरिक व्यापार प्राधिकरण टियर 1 पदनाम के तहत संवेदनशील प्रौद्योगिकी तक पहुंच प्राप्त है, जो कि अगस्त 2018 में भारत ने प्राप्त किया है.


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24 सीहॉक एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर और छह अपाचे हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए भारत और अमेरिका 6 अरब डॉलर से अधिक के रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपनी पहली भारत यात्रा पर आये ट्रम्प भी अमेरिकी लड़ाकू जेट- लॉकहीड मार्टिन के F-21 और बोइंग के F / A-18 सुपर हॉर्नेट पर विचार करने के लिए भारतीय वायु सेना की 114 नए लड़ाके विमान खरीद की योजना (15 बिलियन डॉलर) के प्लान के लिए भारत को पुश कर सकते हैं.

ऊर्जा क्षेत्र

भारत के द्वारा अमेरिका के ऊर्जा क्षेत्र में कुछ निवेश की घोषणा करने की उम्मीद है, क्योंकि यहां भारत कच्चे तेल को खरीदने के लिए नए बाजारों की खोज कर रहा है. ऊर्जा का अमेरिकी निर्यात 2008 में शून्य से बढ़कर पिछले साल 8 बिलियन डॉलर हो गया और इस साल 10 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

भारत और अमेरिका ने 2018 में एक स्ट्रेटेजिक एनर्जी पार्टनरशिप (एसईपी) की स्थापना की है, जिसने पहले के एनर्जी डायलॉग की जगह ली है. अमेरिकी ऊर्जा सचिव डैन ब्रोइलेट भी भारत यात्रा के दौरान ट्रम्प प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने जा रहे हैं.

इंडो-पैसिफिक

ट्रंप की यात्रा दोनों देशों को  ‘मुक्त और समावेशी’ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की तलाश में अपने सहयोग के लिए एक नए सिरे से आगे बढ़ा सकते है, जो कि चीन पर नज़र रखता है.

थिंक टैंक गेटमैन हाउस के निदेशक और सह-संस्थापक अनुभवी राजनयिक नीलम देव ने कहा, शायद ट्रम्प प्रशासन चीन पर अपने विचारों को लेकर स्पष्ट है और द्विपक्षीय रक्षा संबंधो को लेकर अधिक सक्रीय है. इसने भारत में रक्षा प्रणालियों की बिक्री को बढ़ावा दिया है, हमारे आर्म्ड फाॅर्स को इनकी जरूरत है.

डीईओ के अनुसार तथ्य यह है कि अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया के क्वाड ने विदेश मंत्रियों के स्तर पर मुलाकात की है, इससे प्रोफ़ाइल बढ़ी है.

क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी ग्रुपिंग या, क्वाड, इंडो-पैसिफिक के भीतर एक और रणनीतिक पहल के रूप में उभरा है. उनके विदेश मंत्रियों की बैठक को काफी हद तक बीजिंग को स्पष्ट संकेत देने के रूप में देखा गया.

अमेरिकी चुनाव

ट्रंप के 36 घंटे के दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तीन बैठकें होंगी, जो कि रणनीतिक रिश्तों को महत्त्व देगी देगी. नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए सरगर्मी बढ़ेंगी.

कुगेलमैन ने कहा, ‘ट्रम्प की यात्रा, छिटपुट सौदों को आगे बढ़ाएगी. जबकि एक ऐसे रिश्ते को एक बढ़ावा प्रदान करेगी जो लगातार बढ़ रहा है. अभी तक कई बार, वाणिज्यिक पक्ष पर तनाव के कारण रिश्ते ख़राब हुए हैं. तथ्य यह है कि राष्ट्रपति ट्रम्प, जो लंबी दूरी की यात्रा करके आये हैं, उनका ध्यान अपने चुनाव पर केंद्रित हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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