कोहिमा/गुवाहाटी, 24 जनवरी (भाषा) नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने सोमवार को कहा कि उनकी और असम की सरकारें पूर्वोत्तर के दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच लंबे समय से लंबित अंतर-राज्यीय सीमा विवाद का अदालत से बाहर समाधान करने को तैयार हैं।
रियो ने कहा कि नगालैंड और असम के प्रतिनिधिमंडल फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिल सकते हैं और समाधान को लेकर विचार-विमर्श कर सकते हैं।
नगालैंड विधानसभा की सीमा मुद्दे संबंधी प्रवर समिति ने बंद कमरे में करीब डेढ़ घंटे तक विचार-विमर्श किया। इससे एक दिन पहले ही रियो, उप मुख्यमंत्री वाई पाट्टोन और एनपीएफ विधायक दल के नेता टी आर जेलियांग ने रविवार को गुवाहाटी में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा से मुलाकात की थी।
रियो ने कोहिमा में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम गुवाहाटी गये थे और सरमा के साथ सीमा मुद्दे पर सकारात्मक बातचीत की। नगालैंड और असम ने 23 दिसंबर, 2020 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ संयुक्त रूप से इस विषय को उठाया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों राज्यों की सरकार अदालत के बाहर विवाद के समाधान के पक्ष में हैं और हो सकता है कि हमारे प्रतिनिधिमंडल फरवरी की शुरुआत में शाह से मिलें और इस बारे में आगे बढ़ने के लिए चर्चा करें।’’
असम-नगालैंड सीमा पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस पर रॉयल्टी के मुद्दे पर भी चर्चा की गयी। रियो ने कहा, ‘‘अगर हम सीमा विवाद और रॉयल्टी के मुद्दे को सुलझा लेते हैं तो यह दोनों पक्षों के लिए अच्छा होगा क्योंकि हम हमेशा पड़ोसी रहेंगे।’’
हाल ही में मोन जिले में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत के मामले में केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) की रिपोर्ट मिलने में देरी के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी जांच पूरी कर ली है और फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘सीएफएसएल रिपोर्ट के बिना, निष्कर्ष अधूरा होगा तथा आगे की कार्रवाई के लिए कोई सबूत या वैज्ञानिक प्रमाण नहीं होगा।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या नगालैंड को फॉरेंसिक प्रयोगशाला मिलेगी, मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस मामले को शाह के समक्ष उठाएंगे।
नागरिकों के मारे जाने के विरोध में गणतंत्र दिवस समारोह का बहिष्कार करने के कोन्याक यूनियन और ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन के आह्वान पर रियो ने कहा कि वे सरकार से सिर्फ सार्वजनिक कार्यालयों में तिरंगा फहराने के लिए कह रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र में वे जो चाहें, वह कह सकते हैं लेकिन सरकार जो जरूरी समझेगी, वह करेगी।’’
असम को 1963 में काटकर नगालैंड राज्य बनाया गया था और उस समय से ही दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद है। दोनों राज्यों के बीच 512.1 किलोमीटर लंबी सीमा है।
असम सरकार ने सीमा विवाद के हल के लिए 1988 में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जो अब भी लंबित है। इससे पहले सरमा ने कहा था, ‘नगालैंड का मुद्दा उच्चतम न्यायालय में है और हम शायद दो-तीन साल में फैसला आने की उम्मीद कर सकते हैं।’
भाषा
अविनाश दिलीप
दिलीप
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