scorecardresearch
Monday, 18 November, 2024
होमएजुकेशनशिक्षा नीति को लागू करने से जुड़े 15 लाख सुझाव मिले, 2022 तक तैयार होगा नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क: पीएम मोदी

शिक्षा नीति को लागू करने से जुड़े 15 लाख सुझाव मिले, 2022 तक तैयार होगा नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क: पीएम मोदी

ये बातें पीएम मोदी ने '21वीं सदी में स्कूली शिक्षा' से जुड़े एक कॉनक्लेव के दौरान कहीं. उन्होंने ये भी कहा कि शिक्षा नीति को बदलना उतना ज़रूरी जितना ख़राब ब्लैकबोर्ड को बदलना ज़रूरी होता.

Text Size:

नई दिल्ली: एक हफ्ते के भीतर माईजीओवी के पोर्टल पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने से जुड़े 15 लाख सुझाव मिले हैं. ये जानकारी पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को दी. पीएम ने ये भी बताया कि नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सिलेबस कम करने और प्रैटिकल शिक्षा पर ज़ोर दिया गया है. इसके लिए नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा. 2022 में आज़ादी के 75वें साल के जश्न के दौरान हम सब इसी के साथ आगे कदम बढ़ाएंगे. सबके सुझाव और मॉर्डन एजुकेशन सिस्टम के इसमें शामिल किया जाएगा.’

ये बातें पीएम मोदी ने ’21वीं सदी में स्कूली शिक्षा’ से जुड़े एक कॉनक्लेव के दौरान कहीं. उन्होंने ये भी कहा कि शिक्षा नीति को बदलना उतना ज़रूरी जितना ख़राब ब्लैकबोर्ड को बदलना ज़रूरी होता. प्रधानमंत्री ने स्कूली बच्चों को प्लेफुल लर्निंग दिए जाने पर भी ज़ोर दिया.’

उन्होंने कहा, ’10+2 को काफ़ी सोच समझकर बदला गया है. 5+3+3+4 के मॉडल से प्लेफुल लर्निंग गांवों तक भी पहुंचेगी. हमारा लक्ष्य से होना चाहिए कि जो बच्चा तीसरी कक्षा पास करे वो 1 मिनट में कम से कम 30-35 शब्द पढ़ पाए. बेसिक गणित भी बच्चे तब आसानी से समझेंगे जब शिक्षा को चारदीवारी से निकालकर वास्विक जीवन से जोड़ा जाएगा.’


यह भी पढ़ें : सुब्रह्मण्यम स्वामी ने JEE परीक्षा के आयोजन को बताया असफल, शिक्षा मंत्री निशंक ने किया पलटवार


प्रख्यात साहित्यकार ईश्वरचंद्र विद्यासागर से जुड़ी एक घटना का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘ईश्वरचंद्र विद्यासागर अपने पिता के साथ कोलकाता जा रहे थे. रास्ते में उन्हें अंग्रेज़ी में लिखे माइलस्टोन मिले. उन्होंने पिता से पूछा कि ये क्या है? पिता ने बताया इनपर कोलकाता कितनी दूर है ये लिखा है. रास्ते भर वो पिता से पूछते रहे हर माइलस्टोन पर लिखे नंबर पूछते रहे और रास्ते में ही वो अंग्रेज़ी की गिनती सीख गए.’

इस दौरान प्रधानमंत्री ने ‘इंगेज, एक्सप्लोर, एक्पिरियंस, एक्सप्रेस और एक्सेल’ का भी मंत्र दिया. प्रैटिकल शिक्षा पर ज़ोर देते हुए उन्होंने बिहार में भागलपुर की साड़ी और सिल्क का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये देशभर में मशहूर हैं. उन्होंने कहा, ‘बच्चों को यहां ले जाया जाना चाहिए ताकि वो देखें की ये साड़ियां बनती कैसे हैं और जब वो इससे जुड़े सवाल पूछ जाएं तो यही अलवी लर्निंग होगी.’

इसके अलावा उन्होंने बच्चों को क्साल से निकालकर अस्पताल से रेलवे स्टेशन तक ले जाने की सलाह दी. उन्होंने कहा, ‘आने वाला भविष्य बिल्कुल अलग होगा और उसके लिए तैयार रहने के लिए बच्चों को कोडिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स, डाटा साइंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस सीखने की ज़रूर है.’

पीएम ने कहा कि आज के दौर में लर्निंग ड्रिवन एजुकेशन की जगह मार्क्स और मार्क्सशीट ड्रिवेन एजुकेशन हावी है. मार्क्सशीट परिवार के लिए प्रेसिटीज शीट है और बच्चों के लिए प्रेशर शीट है. उन्होंने कहा, ‘एनईपी का प्रयास ये है कि इसे बदला जाए. इसके लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र परख की स्थापना भी की जाएगा.’

share & View comments